झारखंड की धरती प्रतिभा की धनी है. झारखंड के कोने-कोने से लोग मायानगरी में किस्मत आजमाने पहुंचते हैं. कुछ गुमनाम रह जाते हैं, जबकि कुछ लोग फिल्म इंडस्ट्री में सफलता के झंडे गाड़ देते हैं. ऐसे ही एक युवा हैं विक्रम पासवान. बोकारो जिला के विक्रम पासवान डांस की दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए मायनगरी मुंबई पहुंचे थे. उनकी कहानी भी थोड़ी फिल्मी है. पेट पालने के लिए रेस्टोरेंट में वेटर की नौकरी तक की. यह नौकरी भी चली गयी. लेकिन, दिन सुधरे. बॉलीवुड की कुछ फिल्मों में बैकग्राउंड डांसर के रूप में काम किया. अब भोजपुरी फिल्म के सुपरस्टार खेसारीलाल यादव समेत कई कलाकारों को नचा रहे हैं. स्ट्रगलर से भोजपुरी फिल्मों के कोरियोग्राफर बन चुके विक्रम पासवान से श्रद्धा छेत्री ने लंबी बातचीत की. विक्रम के संघर्ष की कहानी आप भी पढ़ें…
अपनी जर्नी के बारे में कुछ बताएं?
शुरुआत से ही काफी स्ट्रगल करना पड़ा. अभी भी स्ट्रगल ही कर रहा हूं. बचपन में पंडाल में या किसी प्रतियोगिता में, शो में डांस किया करता था. धीरे-धीरे ये शौक सपने में बदल गया. मुझे जब लगा कि इस फील्ड में आगे बढ़ना है, तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं मुंबई जाकर अपने सपने को पंख दूं. इसके बाद मैं बेरमो से निकलकर मुंबई चला गया.
पहला चांस कैसे मिला?
पहला चांस मुझे सुरेश मुकुंद जी के किंग्स यूनाइटेड की बदौलत मिला. कई साल वहां डांस सीखने के बाद सुरेश जी ने मुझे आईपीएल 2016 में डांस करने का मौका दिया. इसके बाद मुझे और मौके मिलने शुरू हो गये. हाल ही में ब्रह्मास्त्र फिल्म में भी बैकग्राउंड डांसर के रूप में काम किया.
भोजपुरी इंडस्ट्री की ओर कैसे रुख किया?
भोजपुरी इंडस्ट्री में मैं पिछले एक-डेढ़ साल से हूं. शुरुआत में एक डांसर के रूप में मैं यहां आया था. फिर माता रानी की कृपा से मुझे कोरियोग्राफी करने का मौका मिला. एक कोरियोग्राफर के रूप में मुझे ‘नथुनिया हमार’ गाने पे खेसारी लाल यादव को डांस सिखाने का चांस मिला. ये गाना काफी हिट भी हुआ था. इसके अलावा रितेश पांडे, अरविंद अकेला कल्लू जैसे स्टार्स के साथ काम कर चुका हूं.
डांस के अलावा और किन चीजों का शौक रखते हैं?
डांस के अलावा एक्टिंग भी कर लेता हूं. हाल ही में सा रे गा मा भोजपुरी के एक म्युजिक वीडियो ‘सऊदी बलम’ रिलीज हुआ था. इसमें मैंने सिंगर शिल्पी राज के साथ लीड के तौर पर काम किया था.
शुरुआती दौर में किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
स्ट्रगल तो अब भी चल ही रहा है. हां, मगर शुरुआती 8 साल काफी ज्यादा संघर्ष भरे रहे. मेरे संघर्ष की कहानी मैंने अपने परिवार वालों को कभी नहीं बतायी. उन्हें आज तक ये पता नहीं चलने दिया कि अपने सपने के पूरा करने के लिए मैंने किन-किन परेशानियों का सामना किया. अपना खर्चा चलाने के लिए मैं एक रेस्टोरेंट में वेटर का काम करता था, लेकिन बाद में मुझे वहां से भी निकाल दिया गया. आज भी उन दिनों को याद करता हूं, तो मेरी आंखें भर आती हैं.
फ्यूचर प्लान क्या है?
मैं अपना लेवल और बढ़ाना चाहता हूं. भोजपुरी ही नहीं, बॉलीवुड में भी अपनी छाप छोड़ना चाहता हूं. मैं सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए भी कुछ करना चाहता हूं, जो मेरी तरह छोटे शहर से हैं और कुछ बड़ा करने की चाह रखते हैं. मैं उन्हें लेकर चलना चाहता हूं. एक दिन मैं ये करके रहूंगा.