Jharkhand News: बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा– बोकारो जिले के बेरमो अनुमंडल के नावाडीह प्रखंड अंतर्गत ऊपरघाट के गोनियाटो निवासी विश्वदीप डे तंजानिया के नये भारतीय उच्चायुक्त बनाये गये हैं. एक अगस्त को वह शपथ लेंगे. शुक्रवार को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें क्रेडेंशियल लेटर (प्रमाण पत्र) दिया. इसको लेकर भारत की राष्ट्रपति ने तंजानिया के राष्ट्रपति को पत्र लिखा है. विश्वदीप 12 साल से कई देशों में राजदूत व उप राजदूत रह चुके हैं. फिलहाल भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई में भारत के प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत हैं. यहां तीन साल का कार्यकाल उनका पूरा हो गया है.
गिरिडीह में हुआ विश्वदीप का जन्म
विश्वदीप के पिता एसएन डे उर्फ मंटू बाबू बोकारो के तेनुघाट व्यवहार न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं. 13 जुलाई 1976 को विश्वदीप का जन्म गिरिडीह में हुआ था. उस वक्त उनके पिता गिरिडीह कोर्ट में वकालत रहे थे. विश्वदीप की प्राइमरी पढ़ाई दो साल गिरिडीह के कार्मल स्कूल में हुई. वर्ष 1982 में गिरिडीह कोर्ट से अलग होकर तेनुघाट कोर्ट जब अस्तित्व में आया. श्री डे सितंबर 1981 में परिवार के साथ तेनुघाट आ गये और यहीं वकालत करने लगे. बोकारो थर्मल स्थित संत पॉल मॉर्डन स्कूल में विश्वदीप ने दो साल पढ़ाई की. इसके बाद वर्ष 1984 में विश्वदीप का एडमिशन हिमाचल प्रदेश के डलहौजी बोर्डिंग स्कूल में हुआ. यहां से ने दसवीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद 11वीं और 12वीं की पढ़ाई गोमिया स्थित पिट्स मॉर्डन स्कूल से की. बीएचयू से राजनीतिक विज्ञान ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया. इसमें यूनिवर्सिटी टॉपर रहे. इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की. यहां भी विश्वविद्यालय टॉपर रहे. इसके बाद मास्टर ऑफ लॉ भी दिल्ली विश्वविद्यालय से किया. मास्टर ऑफ लॉ करने के दौरान ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. पहली बार में ही बेहतर रैंक से उनका सेलेक्शन होने के कारण इन्हें भारतीय विदेश सेवा मिल गया. विश्वदीप की पहली पोस्टिंग अरबी भाषा पढ़ने के लिए इजिप्ट में हुई. यहां उन्होंने दो साल तक अरबी भाषा की पढ़ाई की. इसमें भी उनका रिजल्ट बेहतर रहा. इसके बाद रियाद (मक्का-मदीना) में इनकी पोस्टिंग की गयी. यहां तीन साल तक एचओसी (हेड ऑफ चांसलरी) पद पर रहे. इसके बाद फिलिस्तीन का राजदूत बनाया गया. यहां वे चार साल तक फिलिस्तीनी मिशन के हेड रहे. इसके बाद दो साल तक दिल्ली में रहे. फिर उन्हें भूटान का डिप्टी चीफ ऑफ मिशन (डिप्टी एंबेसडर) बना कर भेजा गया, जहां वे दो वर्ष तक रहे. इसके बाद विश्वदीप दक्षिण अमेरिकी कैरेबियन कंट्री गणराज्य त्रिनिदाद एवं टौबेगो में भारतीय राजदूत के पद पर रहे. इसके अलावा बांग्लादेश में भी तीन साल तक डिप्टी एंबेसडर रहे.
कई देशों में की भारत के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति की अगुवाई
विश्वदीप के विदेशी सेवा व विदेश में भारतीय राजदूत के रूप में प्रतिनिधित्व करते हुए कई बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की अगुवाई करने का मौका मिला. कई देशों के साथ प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के साथ वार्ता व संधि में भी विश्वदीप ने अहम भूमिका अदा की. खासकर कुछ साल पहले कजकिस्तान, फिजी, इंडोनेशिया में प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के दौरे की अगुवाई विश्वदीप ने ही की थी. जब लिबिया में संघर्ष चल रहा था, उस वक्त अपनी जान हथेली पर रख कर विश्वदीप ने लिबिया में फंसे करीब 16 सौ भारतीय को सुरक्षित निकाल कर भारत लाया था.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहे पुत्र आर्यमन डे
विश्वदीप डे के पुत्र आर्यमन डे ने 12वीं तक की पढ़ाई पुणे से पूरी की. फिलहाल अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन कर रहे हैं.
पिता ने कहा-गौरव का क्षण
एसएन डे ने बताया कि जब विश्वदीप की उम्र मात्र आठ साल थी, उसी समय उनकी मां का निधन हो गया. संघर्षों को झेलते हुए विश्वदीप की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी. विश्वदीप अब तक जहां ही एंबेसडर व डिप्टी एंबेसडर रहे, अपने दायित्वों का निर्वहण किया तथा भारतीय मूल के लोगों का सम्मान दिया. मेरे लिए यह गौरव का क्षण है.