बेरमो.
माकपा के राष्ट्रीय महासचिव, वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्य सभा सांसद सीताराम येचुरी के निधन पर बेरमो में शोक की लहर है. माकपा बोकारो थर्मल शाखा की ओर से राष्ट्रीय महासचिव के निधन पर कार्यालय में पार्टी का झंडा झुकाया गया और दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी. जिला सचिव भागीरथ शर्मा ने झंडा झुकाने के बाद कहा कि सीपीएम महासचिव के निधन से मजदूर, किसान, छात्र, नौजवान तथा मेहनतकश अवाम सहित देश तथा दुनिया के कम्युनिस्ट आंदोलन को काफी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई कठिन है. बेरमो भाकपा अंचल मंत्री ब्रज किशोर सिंह ने गहरी शोक संवेदना जतायी है. कहा कि माकपा महासचिव का जाना भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है. जबकि वर्तमान भारतीय राजनीति में वामपंथी आंदोलन को आगे बढ़ाने में उनके मार्गदर्शन और भूमिका की नितांत आवश्यकता थी. वे एक कुशल राजनेता, विचारक और जनता के हितों के लिए समर्पित नेता थे. वहीं एटक व भाकपा नेता लखनलाल महतो ने कहा है कि सीताराम येचुरी का आकस्मिक निधन वाम आंदोलन के लिए भारी क्षति है.वाम-जनवादी राजनीति में एक बड़ा शून्यता पैदा करने वाला है. भारतीय राजनीति के लिए भी एक बड़ी क्षति है. भाकपा नेता सुजीत कुमार घोष व आफताब आलम खान ने उनके निधन पर गहरी शोक संवेदना जतायी है.माकपा के महासचिव और वामपंथी नेता सीताराम येचुरी के निधन पर विस्थापित नेता काशीनाथ केवट ने कहा है कि उनका आकस्मिक निधन राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है. वाम-जनवादी राजनीति में एक बड़ा शून्यता पैदा करने वाला है. उन्होंने कहा कि सीताराम येचुरी ने भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन का उभार भी देखा, उसकी ढलान भी देखी. सत्तर के दशक में सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज और जेएनयू में पढ़ाई करते हुए वे एसएफआई से जुड़े थे और इमरजेंसी के दौरान जेल भी गये. अस्सी के दशक में सीपीएम की केंद्रीय राजनीति का हिस्सा बने और फिर लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गये. वहीं भाकपा नेता इफ्तेखार महमूद ने भारत में वामपंथी आंदोलन के प्रमुख स्तंभ और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के महासचिव सीताराम येचुरी के निधन से देश और देश में चल रहने वाली समाजवादी आंदोलन को भारी क्षति पहुंची है.
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