BOKARO NEWS : जब वाजपेयी ने कहा : छत्रु बाबू को कौन नहीं जानता

BOKARO NEWS : जनसंघी व भाजपा नेता छत्रुराम महतो का निधन.

By Prabhat Khabar News Desk | November 18, 2024 12:50 AM
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बेरमो. एक बार एकीकृत बिहार सरकार में भाजपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल वनांचल गठन की मांग को लेकर दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से मिलने दिल्ली गया. यहां सेंट्रल हॉल में अटल बिहारी वाजपेयी भी मौजूद थे. बिहार के उस वक्त के जनसंघी विधायकों से परिचय हो रहा था. जब छत्रुराम महतो की बारी आयी तो वाजपेयी जी ने कहा कि छत्रु बाबू को कौन नहीं जानता है. ये तो काफी पुराने और सीनियर लीडर रहे हैं. एक बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी रांची आये तथा सीसीएल के गेस्ट हाउस में ठहरे थे. वहां छत्रुराम महतो उनसे मिलने गये तथा आग्रह किया कि समरेश सिंह व इंदर सिंह नामधारी को पुनः पार्टी में वापस ले लिया जाये. (उस वक्त दोनों नेताओं ने भाजपा से अलग होकर संपूर्ण क्रांति दल का गठन किया था). वाजपेयी जी ने कहा था कि अच्छा इस पर चिंतन करेंगे. बाद में छत्रुराम महतो ने समरेश सिंह को पार्टी में पुनः लाने की पैरवी लालकृष्ण आडवाणी से भी की थी. पुराने जनसंघी छत्रुराम महतो का भाजपा व जनसंघ के कई नेताओं से गहरे ताल्लुकात रहे थे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी के अलावा जनसंघ के कैलाशपति मिश्र, ताराकांत झा के अलावा कई लोगों से गहरा संबंध था. वनांचल राज्य अलग करो की मांग को लेकर श्री महतो ने कई बड़े-बड़े आंदोलन में भाग लिया था. छत्रुराम महतो वर्ष 1980 में भाजपा के मुख्य सचेतक हुआ करते थे. पहले एकीकृत बिहार के समय हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव के समय श्री महतो पार्टी की ओर से चुनाव समिति में रहा करते थे. खास कर बांका, गोड्डा आदि इलाकों में चुनाव की कमान संभाला करते थे.

11 बार चुनाव लड़े

पेटरवार प्रखंड के गागी गांव में छत्रुराम महतो के पूर्वज डेढ़ सौ साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं. इनके परदादा का नाम बैचू महतो, दादा का नाम लोचन महतो तथा पिता का नाम सीताराम महतो था. पूरे परिवार में छत्रुराम महतो ही राजनीति में ज्यादा सक्रिय रहे. इनके पुत्र भाजपा के बोकारो जिलाध्यक्ष के अलावा वर्तमान में जिला परिषद के सदस्य हैं. छत्रुराम महतो सबसे ज्यादा 11 बार चुनाव लड़े. 1967 एवं 1969 में स्वतंत्र रूप से, 1977 में जनसंघ से, 1977 में जनता पार्टी से, 19880 से लेकर 2005 तक भाजपा से और 2009 में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा था.

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