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बोकारो के इन इलाकों में जंगली हाथियों का आतंक, चार घरों को किया क्षतिग्रस्त

बोकारो के कई इलाकों में इन दिनों हाथियों का उत्पात जारी है. हाथियों का झुंड लगातार मकान, घरों को क्षतिग्रस्त कर दे रहा है. यहां तक कि खेतों में लगे फसल, घरों में रखे अनाज को भी चट कर जा रहे है. जिससे लोग काफी डरे सहमे हुए हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | September 24, 2023 12:07 PM
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बोकारो, राकेश वर्मा, उदय गिरी : नावाडीह प्रखंड क्षेत्र में हाथियों का उत्पात जारी है. शुक्रवार की रात को हाथियों ने ऊपरघाट के पोटसो पंचायत क्षेत्र में उत्पात किया. शनिवार को दिन भर 32 हाथियों का झुंड पोटसो के जंगल में डेरा जमाये रहा. शुक्रवार की रात को हाथियों ने गोरमारा में खडम सिंह का घर तोड़ दिया. इसके बाद पोटसो के गिरिधारी महतो का घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया और लगभग दो क्विंटल चावल, मकई आदि खा गये. घर में रखी एक मोटरसाइकिल (जेएच 09 एएच 4417) को भी पैरों से क्षतिग्रस्त कर दिया. हाथियों के आने के पहले घर में मौजूद गिरिधारी महतो की पत्नी संतोषी देवी व पुत्री रूबी देवी ने भाग कर जान बचायी. हाथियों ने पोटसो के टेको महतो व कुला रविदास का घर भी क्षतिग्रस्त कर दिया. लालचंद महतो की बारी की चहारदीवारी तोड़ कर मकई की फसल को रौंद दिया. भवानी में डालोराम महतो, सालुख महतो व परमेश्वर महतो के खेतों में लगी धान तथा धानेश्वर महतो की अरहर व बादाम की फसल को बरबाद कर दिया. पोटसो के अलावा सुरही, भवानी, अरगामो, खरपिटो, अहारडीह, ताराटांड़ आदि गांवों के ग्रामीण हाथियों को लेकर भयभीत हैं.

मंत्री बेबी देवी ने हाथियों को खदेड़ने का दिया निर्देश

इधर, पोटसो के जंगल में हाथियों को देखने के लिए दिन भर ग्रामीणों की भीड़ लगी रही. इस दौरान तस्वीर ले रहे कई ग्रामीणों को हाथियों ने खदेड़ा. उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री बेबी देवी, मुखिया संघ अध्यक्ष विश्वनाथ महतो, पोटसो मुखिया उमेश महतो, पंसस पति महतो, झामुमो नेता शम्सजहां अंसारी, राधेश्याम कानू, मनोज महतो, खागेश्वर महतो आदि पहुंचे और ग्रामीणों को हाथियों के समीप नहीं जाने की अपील की. मंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को टीम भेज कर हाथियों को खदेड़ने और निगरानी रखने का निर्देश दिया.

बोकारो के इन इलाकों में जंगली हाथियों का आतंक, चार घरों को किया क्षतिग्रस्त 2

वन रक्षी अक्षय कुमार मुंडा ने बताया कि हाथियों की निगरानी की जा रही है. झुंड में हाथियों के बच्चे भी हैं. शाम में हाथी भागाओं दल को बुला कर हाथियों को पोटसो से सुरक्षित स्थान पहुंचाया जायेगा. हाथियों द्वारा किये गये नुकसान का विभाग आकलन कर रहा है. प्रभावित लोगों को नियमानुसार मुआवजा दिया जायेगा.

बेरमो अनुमंडल के नावाडीह व गोमिया प्रखंड क्षेत्र के गांवों में कुछ वर्षों में जंगली हाथियों के आतंक तेजी से बढ़ रहा है. लोग सालों भर हाथियों के डर से भयभीत रहते हैं. हर माह-दो माह में हाथी आ जाते हैं. जंगली इलाकों को छोड़ कर अब रात में हाथी सीधे गांवों में आ धमकते हैं. क्षेत्र में प्रत्येक साल 100-150 से अधिक मकान हाथी तोड़ देते हैं. हाथियों के हमले से हर साल चार-पांच ग्रामीणों की मौत हो जाती है.

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जानकारी के अनुसार नावाडीह प्रखंड की कंजकिरो, पेक, मुंगो रंगामाटी, गोनियाटो, पोखरिया, बरई व पलामू पंचायतों के घने जंगलों को ठिकाना बनाते हैं. गोमिया प्रखंड के चतरोचट्टी व महुआटांड़ इलाके के सीधाबारा, भीतीया, रोला, मुरपा, चुट्टे, बड़कीपुन्नु, खखंडा इलाके में हाथियों का विचरण होता रहता है. अक्सर हाथियों का झुंड गिरिडीह जिले के पारसनाथ के घने जंगलों से माकन-तेतरिया तथा टुंडी-तोपचांची होते डुमरी के जंगली क्षेत्रों से नावाडीह में प्रवेश करते हैं. लुगु पहाड़ व ऊपरघाट के सीमावर्ती क्षेत्र विष्णुगढ़-नरकी से होकर भी हाथी गोमिया के चतरोचट्टी व महुआटांड़ इलाके के जंगल में आते हैं. ऐसे भी जब भी हाथी बंगाल-छत्तीसगढ़ कोरिडोर से गुजरते हैं तो, यहां कई दिनों तक विचरण करते रहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अक्सर शाम ढलते ही हाथी चारा-पानी की तलाश में गांवों की ओर आ जाते हैं. हाथियों का उत्पात तब तक जारी रहता है, जब तक वन विभाग उसे खदेड़ नहीं देता.

वन विभाग के पास नहीं कारगर उपाय

हाथियों के आतंक को रोकने और उसे घनी आबादी वाले इलाके से खदेड़ने के लिए वन विभाग के पास कारगर व्यवस्था नहीं है. ऐसा कोई उपाय भी नहीं है, जिससे हाथी को आने से रोका जा सके. पश्चिम बंगाल के बाकुंड़ा से हाथी भगाओ दल के आने में कई दिनों का समय लग जाता है. तब तक हाथी आतंक मचाते रहते हैं. गांवों में भी ग्रामीणों को ऐसी सुविधाएं मुहैया नहीं करायी जाती है, जिससे तत्काल हाथियों को खदेड़ा जा सके. टार्च, किरोसीन, पटाखे तक नहीं रहते हैं.

फसलों को पहुंचा रहे नुकसान किसान चिंतित

सावन-भादो माह में धान, मकई व बाजरा की फसल खाने के लिए हाथियों का झुंड गांवों की ओर रुख करते हैं. अगहन-पूस माह में धनकटनी के दौरान भी आतंक बढ़ जाता है. हाथियों के उत्पात से क्षेत्र के किसान चिंतित हैं. गांवों के समीप खेतों व चहारदीवारी के अंदर की फसल भी हाथी बरबाद कर देते हैं. इससे किसानों को श्रम व पूंजी का नुकसान होता है. अगर फसल किसी तरह किसान खेत से घर भी ले आते हैं तो सुरक्षित नहीं है. हाथी घरों को तोड़ कर खाद्यान्न चट कर जाते हैं.

वर्ष 2005 में मारा गया था लादेन

मालूम हो कि वर्ष 2005 में झारखंड में पहली बार सरकार के आदेश के बाद नावाडीह के राजाटांड में लादेन नाम के एक जंगली हाथी को मार गिराया गया था. इस हाथी ने लगभग आधा दर्जन से अधिक लोगों को कुचल डाला था. क्षेत्र में काफी क्षति भी पहुंचायी थी. एक माह तक लगातार इस क्षेत्र में उत्पात मचाया था.

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