Chaibasa News : माता मरियम और पूर्वजों से प्रार्थना करने उमड़े ख्रीस्त विश्वासी

चाईबासा : कलीसिया की ओर से खूंटपानी महोत्सव का आयोजन

By Prabhat Khabar News Desk | November 8, 2024 11:53 PM

चाईबासा.

चाईबासा कलीसिया की ओर से शुक्रवार को खूंटपानी में 151वां खूंटपानी महोत्सव का आयोजन किया गया. समारोह में जमशेदपुर डायोसिस के धर्म अध्यक्ष बिशप तिलेस्फर बिलुंग मुख्य अनुष्ठानदाता के रूप में थे. समारोह में पूर्वजों के नाम गाड़े गये शिलापट्ट को सर्वप्रथम पानी से धोया गया. इसके बाद उस पर हल्दी-तेल लेपन के बाद आशीष जल छिड़क कर शुद्धिकरण किया गया. फिर बिलुंग ने मशाल जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इसके बाद सामूहिक रूप से माता मरियम और पूर्वजों के नाम पर विनती की गयी. वहीं, सामूहिक विनती व प्रार्थना के बाद मोमबती जलाकर माता मरियम के ग्रोटो में जाकर उसपर माल्यार्पण की रस्में भी पूरी की गयी. इसके अलावा स्वागत नृत्य, मिस्सा बलिदान, बाइबल जुलूस, बाइबल पाठ आदि रस्में पूरी धार्मिक विधि से की गयीं. सारी रस्में धार्मिक गीतों की धुन के बीच पूरी गयी. इसके अलावा ख्रीस्त विश्वासियों के बीच परम प्रसाद वितरित किया गया. करीब तीन घंटे तक चलनेवाले इस धार्मिक कार्यक्रम में सुबह से खीस्त विश्वासियों का आगमन शुरू हो गया था. पूरे पश्चिमी सिंहभूम जिला के अलावा विभिन्न जिला के कोने-कोने से विश्वासीगण पहुंचे थे. कॉयर दल ने गीत प्रस्तुत किया गया. मंच संचालन जेवियर देवगम ने किया.

कोल्हान-पोड़ाहाट के आदिवासी ईश्वर के विश्वासी : बिशप

कोल्हान-पोड़ाहाट के ऐतिहासिक खूंटपानी तीर्थ मेले के मुख्य अनुष्ठानदाता बिशप तिलेस्फर बिलुंग ने कहा कि आज के दिन 1873 में खूंटपानी के इस पावन धरती से छोटानागपुर के रोमन कैथोलिक धर्म का उदय हुआ था. यह धार्मिक मेला एक सौ इक्कवन साल पुराना है. 8 नवंबर 1873 को खूंटपानी के हो आदिवासी समुदाय के छह मुंडा परिवारों के 28 सदस्यों ने ईश्वर के वचन, विश्वास पर भरोसा रखकर इसाई धर्म का ग्रहण किया था. उन्हें कोलकाता से आये आर्च बिशव स्टाइंस ने स्नान संस्कार (बपतिस्मा) दिलाया था. यहीं से छोटानागपुर कलीसिया की उत्पति हुई थी. कोल्हान-पोड़ाहाट के आदिवासी ईश्वर के विश्वासी हैं.

मेले में उमड़ी भीड़

मेले में तरह-तरह की छोटी-बड़ी दुकानें लगी थीं. मेले में शकरकंद, गन्ने, मूंगफली, साग-सब्जी की दुकानें, होटल, व खिलौने आदि की दुकानें लगायी गयी थीं. तीर्थ मेले की समाप्ति के बाद वहां से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. समारोह में काफी संख्या में पल्ली पुरोहित, फादर, ब्रदर, सिस्टर आदि उपस्थित थे.

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