Chaibasa News : झाड़ियों से घिरा 86 लाख रुपये का ऑक्सीजन प्लांट
पाइपलाइन में लिकेज होने से लाखों रुपये से बने प्लांट का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा
चक्रधरपुर. कोरोना के दौरान चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल के मरीजों को ऑक्सीजन देने के लिए लाखों रुपये खर्च कर ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की गयी थी. यह प्लांट तीन साल बाद भी नहीं शुरू हुआ. उपयोग नहीं होने से प्लांट में लगी मशीनें सड़ने लगी हैं. ऑक्सीजन प्लांट रहने के बावजूद मरीजों को अभी तक ऑक्सीजन की सुविधा नहीं मिली है. डीएमएफटी फंड से करीब 86 लाख रुपये खर्च कर प्लांट की स्थापना की गयी थी. वर्तमान समय में प्लांट शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. प्लांट के चारों ओर झाड़ियां उग गयी हैं. प्लांट में तीन वर्षों से ताला लटका हुआ है. मेसर्स हरिओम इंफ्रास्ट्रक्चर हजारीबाग द्वारा लगाये गये इस प्लांट की पाइपलाइन में लिकेज के कारण चालू नहीं हो सका. प्लांट की वारंटी अवधि भी समाप्त हो चुकी है. अस्पताल में प्लांट रहने के बावजूद ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग हो रहा है. प्लांट में ऑक्सीजन की मशीन, सिलेंडर, जेनरेटर समेत सभी व्यवस्था की गयी है. प्लांट लगने के बावजूद ना तो उद्घाटन हुआ, ना ही ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो सका.
2021 में शुरू होना था गैस का उत्पादन:
अनुमंडल अस्पताल में लगे ऑक्सीजन प्लांट में गैस उत्पादन की शुरुआत 2021 में होना था, पर 2024 का दिसंबर बीतने को है, अब तक यह चालू नहीं हो सका है. प्लांट से गैस उत्पादन के लिए तीन बार ट्राइल किया गया. इसमें लिकेज होने के कारण प्लांट का लाभ नहीं मिल रहा है.60 बेड तक पहुंचायी गयी है पाइपलाइन
दो साल पूर्व कोरोना ने तबाही मचाया था. इसके मद्देनजर अस्पताल के 60 बेडों तक पाइपलाइन के माध्यम से कनेक्शन दिया गया था. पर प्लांट चालू नहीं होने से सारी व्यवस्था धरी की धरी रह गयी. बताया गया कि ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने में प्रत्येक माह बड़ी रकम विभाग को खर्च करना होगा. अनुमान के मुताबिक ऑक्सीजन प्लांट चालू करने पर विभाग को लगभग तीन से चार लाख रुपये खर्च आयेगा. इस वजह से विभाग ऑक्सीजन प्लांट को शुरू करने में पीछे हट रहा है.प्रत्येक माह 50 सिलिंडर की हो रही खपत
चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल परिसर में प्लांट रहने के बावजूद मरीजों को सिलेंडर से ऑक्सीजन की सुविधा मुहैया करायी जा रही है. प्रत्येक माह लगभग 50 सिलिंडर की खपत हो रही है. जबसे ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हुआ है, एक बार भी शुरू नहीं होना स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के साथ बड़ी राशि की बर्बादी हो रही है. ऑक्सीजन प्लांट को दुरुस्त रखना स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेवारी है. लेकिन न तो इस पर जिले के बड़े अधिकारी का ध्यान है और न ही स्वास्थ्य विभाग का. ऑक्सीजन प्लांट क्यों बंद पड़ा है, क्या तकनीकी गड़बड़ी है, इस संबंध में जानकारी लेने के लिए अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी से संपर्क किया गया. संपर्क नहीं होने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है