पश्चिमी सिंहभूम के किरीबुरू में पति की मौत के बाद 13 बच्चों की मां ने रचाई दूसरी शादी, बच्चों को छोड़ा अनाथ
Jharkhand news (किरीबुरू, पश्चिमी सिंहभूम) : पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत सारंडा के छोटानागरा थाना के राजाबेड़ा गांव निवासी 13 बच्चों की मां ने अपने पति की मौत के बाद गांव के ही एक अन्य व्यक्ति से शादी रचा ली है.
Jharkhand news (किरीबुरू, पश्चिमी सिंहभूम) : पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत सारंडा के छोटानागरा थाना के राजाबेड़ा गांव निवासी 13 बच्चों की मां ने अपने पति की मौत के बाद गांव के ही एक अन्य व्यक्ति से शादी रचा ली है. शादी करने के बाद इन बच्चों को अनाथ छोड़ दर-दर भटकने व भूखे-प्यासे रहने को मजबूर कर दिया है.
इस बात की जानकारी मिलने के बाद जब राजाबेड़ा गांव स्थित उक्त अनाथ बच्चों के घर पहुंचा गया, तो घर का दरवाजा बंद था. घर के 7 अनाथ बच्चे पास के जंगल गये हुए थे जो घंटों बाद जंगल से वापस घर लौटें. इसके बाद गांव के मुंडा जामदेव चाम्पिया, सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम आदि ग्रामीण को बुलाकर मामले की तफ्तीश से जानकारी ली.
इस पर ग्रामीणों ने बताया कि गांव के सूखलाल लुपुंकेल एवं उनकी पत्नी पेगोरा लुपुंकेल की शादी के बाद 13 बच्चे हुए. जिसमें से 3 बच्चों की मौत पूर्व में हो गयी थी. उसकी 2 बेटी की शादी पास के गांव में हो गई है. एक लड़का मेहनत-मजदूरी करने ओड़िशा चला गया. बाकी 9 बच्चे घर पर है.
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उन्होंने बताया कि लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व सूखलाल की मौत के बाद उनके सभी बच्चे अनाथ होकर अपनी मां के साथ रह रहा था. बाद में बच्चों की मां पेगोरा ने गांव के ही गोपाल चाम्पिया से शादी कर अपने अनाथ सभी नाबालिक बच्चों को अकेला छोड़ सुभाष के घर रहने लगी. इन अनाथ व नाबालिक बच्चों का परवरिश तथा भोजन की समस्या के बाद बैठक में सुभाष व पत्नी को बुलाया.
इस बैठक में आदेश दिया गया कि वह दोनों इन सभी बच्चों को खाने के लिए हर माह पर्याप्त चावल उपलब्ध कराये और उसका देखभाल करे. इस आदेश के बाद सुभाष एक बार चावल उपलब्ध कराया तथा बाद में उसकी देखभाल करना छोड़ दिया जिससे बच्चों के सामने खाने-पीने व परवरिश की समस्या फिर से उत्पन्न हो गयी.
श्री मुंडा ने बताया की सूखलाल का सबसे बड़ा बेटा मेहनत मजदूरी करने ओड़िशा चला गया एवं बाकी 7 अभी भी घर पर दर-दर की ठोकरें खा रहा है. मृतक सूखलाल का खुद से बनाया अपना घर तथा पास में इंदिरा आवास योजना से बना घर है जहां ये बच्चे रहते हैं.
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दिन में कंद-मूल व वनोपज लाने जंगल चले जाते हैं एवं जैसे-तैसे जीवन यापन को मजबूर हैं. अगर इन बच्चों को सरकारी राशन व अन्य सहायता जिला प्रशासन से उपलब्ध हो जाता, तो यह बच्चे अपना परवरिश कुछ हद तक खुद भी कर लेते. मृतक सूखलाल के 7 अनाथ बच्चों में चैतन्य, दुला, पार्वती, शांति, पेलोंग, चंदू व गुरुवारी शामिल है.
Posted By : Samir Ranjan.