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Chaibasa News : जगन्नाथपुर विधानसभा : अतिआत्मविश्वास और 25 वर्षों की सत्ता विरोधी लहर से हारीं गीता कोड़ा

लोकसभा चुनाव के समय ही खिसक गयी थी जमीन

जैंतगढ़.

विगत 25 वर्षों से जगन्नाथपुर विस क्षेत्र कोड़ा दंपत्ती का अभेद्य किला रहा था. इस बार घर के भेदी ने किला का ढाह दिया. किसी ने नहीं सोचा था कि गीता कोड़ा अपनी ही शागिर्द माने जाने वाले सोनाराम सिंकू से हार जाएंगी. बीते 25 वर्षों से जगन्नाथपुर विधानसभा की राजनीति कोड़ा दंपती के इर्द-गिर्द घूम रही थी. चाहे कोड़ा दंपती भाजपा, जाभासपा या कांग्रेस में रहे हों. यहां कोड़ा दंपती की तूती बोलती थी. इस बार जमीन पर काफी मजबूत मानी जा रही गीता कोड़ा की जमीन लोक सभा चुनाव के समय ही खिसक गयी थी.

मधु कोड़ा खुद संभाल रहे थे जिम्मेवारी

इसबार गीता कोड़ा के चुनाव संचालन की जिम्मेवारी खुद पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने उठा रखी थी. संघ परिवार के साथ भाजपा के सारे सहयोगी संगठन सक्रिय थे. ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी के साथ ओडिशा के कई मंत्री, क्योंझर भाजपा संगठन की जंबो टीम यहां प्रचार करती दिखी. माइक्रो मैनेजमेंट, प्रचार प्रसार में कोई कमी नहीं रही. अति आत्मविश्वास के कारण जमीनी कार्यकर्ता हवा में तैरने लगे. प्रत्याशी स्तर पर विपक्ष को कहीं न कहीं शुरू में बहुत हल्के में लिया गया.

प्रत्याशी से अधिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ था गुस्सा

भाजपा की रणनीति इंडिया गठबंधन के मत विभाजन पर लगी रही. मतों के विकेंद्रीकरण के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की योजना सफल नहीं हो पायी. कार्यकर्ता मतदाताओं का विश्वास नहीं जीत पाये. 25 वर्षों के कोड़ा दंपती के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी भी दिखी. कई मतदाताओं ने उनके 25 वर्षों के लेखा-जोखा पर चर्चा की. प्रत्याशी से अधिक उनके फ्रंट लाइन कार्यकर्ताओं के खिलाफ आम मतदाताओं में जबरदस्त नाराजगी थी.

सोनाराम ने जनता जनार्दन को गॉड फादर बता कोड़ा के किले में लगायी सेंध

जैंतगढ़.जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र में यह पहला चुनाव रहा, जिसमें प्रत्याशी को बाहर के लोगों से अधिक अंदर के लोगों से लड़ना पड़ा. चुनाव के दिन तक लोगों को गुमराह किया जाता रहा. हालांकि, विधायक सोनाराम सिंकू बिना विचलित हुए, संयम के साथ कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को विश्वास दिलवाते रहे. कोड़ा दंपती का अभेद्य किला को भेदना कोई आसान काम नहीं था. सोनाराम एक रणनीति के तहत सीधे जनता से जुड़ते गये. जनता जनार्दन को अपना गॉड फादर बताते रहे. सीमित संसाधन के बावजूद चुनाव जीता. सोना के विरुद्ध दुष्प्रचार उल्टे उनके काम आया. कुछ लोगों ने कहा कि फलदार वृक्ष पर ही पत्थर फेंके जाते है. सोना में जरूर दम है. अपने दम पर जनता का आशीर्वाद मिला. उनके मिलनसार छवि, सबके काम आना, मृदु भाषी होना, काम के प्रति समर्पित होना, तामझाम से दूर रहना काम आया. इस तरह सोना बाहर अंदर के थपेड़े की आंच से कुंदन बनकर निकले.

233 में 139 बूथों में सोनाराम ने गीता को पछाड़ा

जगन्नाथपुर.

जगन्नाथपुर विधानसभा से सोनाराम सिंकु की जीत की चर्चा चहुंओर हो रही है. कांग्रेस में सोनाराम सिंकु का कद बढ़ गया है. दरअसल, कोल्हान प्रमंडल में कांग्रेस के एकमात्र विधायक हैं. उन्हें विधानसभा के कुल 233 बूथों में से 139 बूथों में अपने प्रतिद्वंद्वी गीता कोड़ा को पछाड़ दिया. करीब 59.6 फीसदी बूथों में मिली बढ़त ने उनकी जीत की कहानी लिख दी. वहीं, मात्र 94 बूथों में गीता कोड़ा आगे रहीं. गीता कोड़ा को 79 बूथों में 100 से कम वोट मिले. वहीं 45 बूथों में सोना सिंकु को 100 से कम वोट मिले है. बूथ संख्या 19 में गीता कोड़ा को मात्र 6 वोट और बूथ संख्या 151 में मात्र 7 वोट मिले हैं. सोनाराम सिंकु को 11 बूथों में 500 से अधिक वोट मिले हैं. गीता कोड़ा को बूथ संख्या 56, 58, 64, 65, 67 ,93, 93, 95, 108, 150, 153, 169, 180, 181, 198, 202, 206, 209, 213 बूथ में 500 से अधिक वोट मिले.

दो नंबर बूथ पर मंगल को एक भी वोट नहीं मिला

मंगल सिह बोबोंगा को 33 बूथों में 100 से अधिक वोट मिले. 147 बूथों में दो अंक में रह गये. बूथ संख्या 2 में मंगल सिंह को एक भी वोट नसीब हुआ. वहीं, 53 बूथ ऐसे थे, जिसमें 10 वोट भी नहीं मिले.

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