Chaibasa News : आदिवासियों ने कभी ब्रिटिश हुकूमत को स्वीकार नहीं किया

राजाबासा में मना काला दिवस, शहीद पोटो हो को दी श्रद्धांजलि

By Prabhat Khabar News Desk | January 2, 2025 12:07 AM

जैंतगढ़.आदिवासी हो समाज महासभा की जगन्नाथपुर कमेटी ने बुधवार को शहीद ग्राम राजाबासा में श्रद्धांजलि सभा कर पोटो हो स्मारक पर नमन किया. दर्जनों सामाजिक संगठनों ने शहीदों के सम्मान में 01 जनवरी को काला दिवस के रूप में मनाया. जगन्नाथपुर मेन रोड स्थित बरगद पेड़, राजाबासा, रितुइगुंडुई तालाब में पूजा-अर्चना कर नमन कर श्रद्धांजलि सभा की गयी.

आदिवासी हो समाज महासभा के केंद्रीय महासचिव सोमा कोड़ा ने कहा कि हमारे पूर्वज आदिवासियों ने कभी ब्रिटिश हुकूमत को स्वीकार नहीं किया. 01 जनवरी, 1838 को पोटो हो, नारा हो, बढ़ाये हो को जगन्नाथपुर मेन रोड स्थित बरगद पेड़ (पुराना थाना) पर फांसी दी गयी थी. अगले दिन यानी 2 जनवरी 1838 को बोरा हो और पांडुवा हो को सेरेंगसिया घाटी में फांसी दी गयी. सेरेंगसिया घाटी में 18 नवंबर 1837 को अंग्रेजों के साथ हुए छापामार युद्ध का नेतृत्व पोटो हो ने किया था. युद्ध में अंग्रेजों को हार का सामना करना पड़ा था. युद्ध में 26 आदिवासी हो लड़ाके शहीद हुए थे.

लगान वसूली से लोग संतुष्ट नहीं थे

ब्रिटिश हुकूमत में अधिकारी कैप्टन थॉमस के अत्याचार और आक्रमण से परेशान हो लड़ाकों ने पोटो हो के नेतृत्व में अंग्रेजों को खदेड़ने का संकल्प लिया. लगान वसूली से लोग संतुष्ट नहीं थे. इस तरह से लगातार अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ रहा था. इसके बाद हो लड़ाकों ने जैंतगढ़ में वैतरणी नदी के पास बैठकर आर-पार की लड़ाई लड़ने की योजना बनायी. यह कोल विद्रोह 1831-32 से चलकर 1837 तक चला. इस ऐतिहासिक लड़ाई का नतीजा रहा कि ब्रिटिश हुकूमत को गांव के मानकी-मुंडाओं को हुकुकनामा के जरिये कई अधिकार देना पड़ा. मानकी-मुंडा को गांव का राजा घोषित कर दिया गया. आज गांव में हुकुकनामा में दिये अधिकार के अनुसार, मानकी-मुंडा को मालगुजारी रसीद और छोटे-छोटे विवादों को निपटारा करते हैं.

सभा में ये थे उपस्थित

इस श्रद्धांजलि सभा में मुख्य रूप से आदिवासी हो महासभा के अनुमंडल अध्यक्ष भूषण लागुरी, युवा महासभा अनुमंडल अध्यक्ष बलराम लागुरी, पूर्व अध्यक्ष मंजीत कोड़ा, उपाध्यक्ष पुत्कार लागुरी, सुभाष लागुरी, बाली लागुरी, मुंडा कृष्णा जोजो, गुरुचरण सोय, धीरज गागराई, सिंगा बालमुचू, बिंदु सिंह लागुरी, बुधराम चम्पीया आदि उपस्थित थे.

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