Chaibasa News : समीज आश्रम के ब्रह्मचारी कैवल्यानंद महाराज का प्रयागराज में निधन

24 जनवरी को कुंभ स्नान करने गये थे ब्रह्मचारी कैवल्यानंद महाराज

By Prabhat Khabar News Desk | January 29, 2025 11:50 PM

मनोहरपुर/आनंदपुर. पश्चिमी सिंहभूम जिले के गोइलकेरा प्रखंड के समीज स्थित विश्व कल्याण आश्रम के प्रभारी ब्रह्मचारी महाराज कैवल्यानंद महाराज (76 वर्ष) का प्रयागराज में दिल का दौरा पड़ने से बुधवार को निधन हो गया. वे कुंभ स्नान करने के लिए प्रयागराज गये थे. 24 जनवरी को विश्व कल्याण आश्रम से चक्रधरपुर गये थे और 25 जनवरी को प्रयागराज के लिए रवाना हुए थे. मौनी अमावस्या (29 जनवरी) पर शाही स्नान करने के बाद 2 फरवरी को आश्रम आने वाले थे. बुधवार सुबह 9:30 बजे वे मनकामेश्रर मंदिर से सरस्वती घाट की सीढ़ी उतरते हुए त्रिवेणी जाने के लिए नाव पकड़ने वाले थे. सीढ़ी उतरते समय उन्हें दिल का दौरा पड़ा. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बुधवार शाम को उनका अग्नि संस्कार प्रयागराज में कर दिया गया. उन्हें दिसंबर 2021 में पहला अटैक आया था. इसके बाद उनका इलाज कोलकाता में चल रहा था.

बुधवार को बताया था, 2 फरवरी को नहीं होगी वापसी : बसंत

पश्चिमी सिंहभूम जिला के गोइलकेरा प्रखंड के समीज स्थित विश्व कल्याण आश्रम के प्रभारी ब्रह्मचारी महाराज कैवल्यानंद महाराज ने प्रयागराज जाने से पूर्व अपने एक शिष्य बसंत बिल्थरे को आश्रम की जिम्मेदारी सौंपी थी. उसपर आश्रम की देखरेख सौंपकर कुंभ स्नान के लिये गये थे. बसंत ने बताया कि ब्रह्मचारी जी सुबह अपनी दिनचर्या पूरी कर सरस्वती घाट में स्नान किया. 6:30 बजे फोन कर बताया कि कुंभ में भगदड़ मच गयी है. 8:30 बजे फोन कर बताया कि घटना के कारण 02 फरवरी को नहीं आ रहा हूं. 7 फरवरी को राजराजेश्वरी मंदिर में पाटोत्सव कार्यक्रम है. तुम इसकी तैयारी करो.

गुरु के आदेश से 50 वर्षों से आश्रम में कर रहे थे सेवा

जगतगुरु शंकराचार्य महाराज द्वारा 1968 में समीज में विश्व कल्याण आश्रम की स्थापना की गयी थी. शंकराचार्य जी के आदेशानुसार ब्रह्मचारी जी 1975 से आश्रम में रहकर अपनी सेवा दे रहे थे. आश्रम के मंदिरों में पूजा, अर्चना, गोसेवा, आगंतुकों की व्यवस्था सभी कार्य ब्रह्मचारी जी की देखरेख में होती थी.

हरिद्वार कुंभ में ली थी ब्रह्मचर्य की दीक्षा

ब्रह्मचारी कैवल्यानंद जी का जन्म 7 नवंबर 1949 को मध्य प्रदेश के सिवनी जिला के कमकासुर गांव में हुआ था. माता का नाम फूलमती देवी और पिता का नाम मनीराम द्विवेदी था. इनका बचपन का नाम उदयराम द्विवेदी था. सिवनी व वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय से साहित्य, वेदांत वाचस्पति, साहित्याचार्य, एमए काव्य तीर्थ जैसी शिक्षा प्राप्त की थी. जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती महाराज से मंत्र दीक्षा, 1968 में श्रीविद्या दीक्षा और 1974 में आयोजित हरिद्वार कुंभ में ब्रह्मचर्य की दीक्षा ली थी.

दिसंबर 2024 में माता की इच्छा पूरी की थी

जगतगुरु शंकराचार्य के ब्रह्मलीन होने के एक वर्ष बाद सितंबर 2023 में समराधना कर ब्रह्मचारी कैवल्यानंद जी ने आश्रम स्थित गुरु मंदिर में शंकाराचार्य जी की मूर्ति स्थापित की थी. इस अवसर पर अपने दो भाइयों को भी आमंत्रित किया था. ब्रह्मचारी जी ने उस समय कहा था कि मां की भी इच्छा थी कि उनकी मूर्ति बनायी जाये. 6 दिसंबर 2024 को कमकासुर गांव में अपने माता व पिता की मूर्ति स्थापित कर स्वर्गवासी मां की इच्छा पूरी की. इसमें भाइयों का पूरा सहयोग मिला.

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