झारखंड : चाईबासा प्राइवेट बस स्टैंड में नाली के पास चलता है दाल-भात केंद्र, बीमारी को दे रहा आमंत्रण

चाईबासा स्थित प्राइवेट बस स्टैंड के पास संचालित दाल-भात केंद्र की स्थिति दयनीय है. यहां भोजन करना बीमारी को दावत देना है. आसपास गंदगी का अंबार लगा है. साफ-सफाई नहीं होने के कारण यह केंद्र बीमारी को आमंत्रण दे रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 25, 2023 5:20 AM
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Jharkhand News: पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय चाईबासा के निजी बस स्टैंड परिसर में संचालित दाल-भात केंद्र की स्थिति दयनीय है. यहां पांच रुपये में भोजन मिलता है. आसपास गंदगी का अंबार लगा है. यहां भोजन करना बीमारी को दावत देना है. जहां पर भोजन बनता है, वहीं बजबजाती नाली है. उसी नाली के पास लोग लघुशंका करते हैं. पिछले एक माह से नाली की सफाई नहीं हुई है. नाली में आसपास के फेंके गये जूठन व कचरे से दुर्गंध फैलती है. इससे बीमारी फैलने का खतरा रहता है. नाली से करीब एक फीट की दूरी पर भोजन तैयार किया जाता है.

जर्जर है भवन, जमीन पर बैठकर भोजन करते हैं लोग

केंद्र का भवन काफी पुराना है. इससे दीवार जगह-जगह से दरक गयी है. छत जर्जर है. बारिश के दिनों में कमरे में पानी टपकने लगता है. यहां काम करने वाले चार कर्मियों की जान हमेशा जोखिम में रहती है. इन कर्मचारियों ने बताया कि बारिश के दिनों में जिस रफ्तार से बाहर बूंदे गिरती हैं, उसी रफ्तार से कमरे में भी गिरने लगती हैं. ऐसे में सामान को भींगने से बचाना मुश्किल हो जाता है. फर्श धंस गयी है. भवन कभी भी भराभरा कर गिर सकता है. दो माह से केंद्र की बिजली भी काट दी गयी है. कमरे में अंधेरा रहने से लोग बाहर जमीन पर बैठ भोजन करते हैं.

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रोजाना पहुंचते हैं 350 से 400 लाभुक

केंद्र की कर्मी शुक्रमनी बोयपाई के अनुसार, इस केंद्र पर रोजाना 350 से 400 मजदूर, छात्र व यात्री भोजन करने आते हैं. वहीं, साप्ताहिक हाट के दिन मंगलवार को भोजन करने वालों की संख्या दोगुनी हो जाती है. ग्राहकों को पांच रुपये में दाल-भात, सब्जी और आलू-सोयाबिन की सब्जी परोसी जाती है. इसके अलावा 10 रुपये में दो पीस चिकन, 10 रुपये में एक अंडा व 10 रुपये में एक पीस मछली उपलब्ध कराया जाता है. दूसरे केंद्रों पर इतना सस्ता भोजन उपलब्ध नहीं है. शुक्रमनी ने बताया कि केंद्र में लक्ष्मण बोयपाई, दिनेश बोयपाई, बुधन सिंह हेंब्रम कार्यरत हैं. सभी को 9-9 हजार रुपये महीना मिलता है.

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