Chaibasa News : नकद नहीं मिलने से किसान निराश

पश्चिमी सिंहभूम में लैंपस के 73 कृषकों ने बेचा धान, अब तक 36 को ही मिले पैसे

By Prabhat Khabar News Desk | December 26, 2024 12:09 AM

चाईबासा.पश्चिमी सिंहभमू जिले में इस वर्ष 17 धान अधिप्राप्ति केंद्र में तीन लाख क्विंटल धान की खरीदारी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लेकिन दस दिनों में ही इस वर्ष पिछले वर्ष का रिकाॅर्ड हासिल कर लिया गया है. पिछले दस दिनों में 73 किसानों से 35 हजार 66 किलो 45 ग्राम धान की खरीदारी की जा चुकी है, लेकिन 36 किसानों को ही राशि का भुगतान हो पाया है, 37 का भुगतान विपत्र विभाग को प्राप्त नहीं हो पाया है. इस वजह से इन किसानों का भुगतान नहीं हो पाया है. हालांकि लैंम्पस से प्रति किलो 23 रुपये और बोनस एक रुपया दिया जाता है जबकि खुले बाजार में 19 रुपये प्रति किलो धान खरीदा जाता है. खुले बाजार में धान बेचने की सहूलियत यह है कि धान बेचते ही तुरंत नकद भुगतान हो जाता है.

लैम्पस से भुगतान विलंब से किया जाता है : किसान

किसानों का कहना है कि धान कटनी के साथ ही पर्व- त्योहार का सिलसिला शुरू हो जाता है, जिसमें उन्हें विभिन्न सामग्रियों की खरीदारी करनी पड़ती है, लेकिन लैम्पस से भुगतान विलंब से किया जाता है. वहीं दूसरी ओर खुले बाजार में धान बेचने पर नकद राशि भुगतान हो जाता है. इससे पर्व- त्योहार एवं पूजा- पाठ के लिए सामानों की खरीदारी आसानी से कर लेते हैं. यही वजह है कि ज्यादातर किसान खुले बाजार में धान बेचने लगे हैं. विदित हो कि पिछले वर्ष किसानों से विभिन्न लैम्पसों के माध्यम से मात्र 35 हजार क्विंटल ही धान की खरीदारी की जा सकी थी. इस वर्ष धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य पिछले साल की तुलना में दस गुना बढा दिया गया है, लेकिन नगद राशि मिलने के कारण किसान खुले बाजार की ओर रूख करने लगे हैं.

केंद्रों में पंजीकृत किसान

जिले में धान अधिप्राप्ति के लिए 17 केंद्र खोले गये हैं, जिनमें 5611 किसान पंजीकृत किये गए हैं, लेकिन अब तक मात्र 73 किसानों से ही धान प्राप्त किया जा सका है. यानी जिले के 5538 किसान अब तक धान अधिप्राप्ति केंद्र नहीं पहुंच पाए हैं. जिले के एनएफएसए कार्डधारियों का ई- केवाइसी के लिए 28 फरवरी 2025 अंतिम तिथि निर्धारित की गयी है.

ये हैं धान अधिप्राप्ति केंद्र

जिले में जिन लैम्पसों के माध्यम से धान अधिप्राप्त की जानी है उनमें चाईबासा, पुरुनियां, खूंटपानी, गोलमुंडा, बेनीसागर, लगड़ा, असुरा, अंधारी, बलाण्डिया, बड़ाझींकपानी, तांतनगर, गोइलकेरा, कासिरा, पोखरी, रेंगालबेड़ा, गोपीनाथपुर व कराईकेला केंद्र शामिल हैं.

क्या किहते हैं किसान

मैं किसान परिवार से हूं. इस साल धान की खेती बहुत बढ़िया हुआ है, लेकिन सरकार के तरफ से लैंप्स के माध्यम से बिक्री करने पर रुपए की उम्मीद 6- 7 महीना और साल भर भी लग जाता है. इसलिए किसान बाजार में विक्रय कर रहे हैं. इससे हाथ में नगद पैसा मिलत जाता है. सुधीर बिरूली

मैंने धान की खेती की है. लैंपस के माध्यम से धान बिक्री करने पर समय पर रुपये नहीं मिलता है. वहीं धान बाजार में बिक्री करने पर तुरंत पैसा मिल जाता है, जिससे परिवार की जरूरत की चीजों को पूरा कर पाते हैं.

लाल सिरका

धान बिक्री बाजार में करने पर तुरंत पैसा मिल जाता है. इससे जरूरत का सामान खरीद लेते हैं. वहीं इतनी मेहनत के बाद धान का पैदावार कर लैंपस में देने के बाद समय पर पैसा नहीं मिलता है.

हरि गोप

धान बीज खरीद कर इतनी मेहनत से फसल उगाकर तैयार करते हैं. धान लैंपस के माध्यम से बेचने पर. समय पर रुपये नहीं मिल पाता है. मोटा तिरिया

जिले में तीन लाख क्विंटल धान की खरीदारी का है लक्ष्य

धान अधिप्राप्ति केंद्र पंजीकृत किसान अधिप्राप्ति का लक्ष्य क्रय धान की मात्रा (क्विंटल में)

चाईबासा सदर218 15000 151.22

खूंटपानी 126 50001.40 पुरुनियां 85 5000 2.67

गोपीनाथपुर24430,000 131. 56 गोलमुंडा 130620,000 1040.82 लगडा 40920,000 306.54 बलंडिया 36715,000 258.09 बड़ा झींकपानी 111 10,000 23.18

तांतनगर 28020,000 187.45 असुरा 172 15,000 133.88

अंधारी 203 20,000 118.87

गोइलकेरा 721 15,000 151.75

बेनीसागर 18320,000 255.85 कराइकेला 17920,000 31.00 पोखरपी 12410,000 9.00 कासिरा 659 25,000 346.00 रेंगाड़बेड़ा 22435,000 26.00

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