सरकारी शिक्षकों को सेवाकाल में एक बार ग्रामीण क्षेत्र में योगदान देना होगा
पश्चिमी सिंहभूम जिले के सरकारी शिक्षकों को अब सेवा काल में एक बार दुर्गम क्षेत्र (नक्सल प्रभावित, पहाड़ी आदि) में योगदान देना होगा. दरअसल, स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता लाने के लिए उक्त कदम उठाया गया है
अभिषेक पीयूष, चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिले के सरकारी शिक्षकों को अब सेवा काल में एक बार दुर्गम क्षेत्र (नक्सल प्रभावित, पहाड़ी आदि) में योगदान देना होगा. दरअसल, स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता लाने के लिए उक्त कदम उठाया गया है. राज्य में सरकारी शिक्षकों का स्थानांतरण अब विभागीय संकल्प संख्या 2093 के तहत निर्धारित नीति से होगा. इसे लेकर विद्यालयों को जोन-1 से जोन-5 तक वर्गीकृत किया जा रहा है. शिक्षकों को सेवाकाल में आसान व कठिन, हर प्रकार के क्षेत्रों में पदस्थापित किया जाना है. पश्चिमी सिंहभूम जिले में विद्यालयों को वर्गीकृत कर दिया गया है. पांच साल से अधिक शहरी क्षेत्र में सर्विस दे चुके शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र में योगदान देना पड़ सकता है.
जिलास्तर पर होगा शिक्षकों का स्थानांतरण : प्रारंभिक विद्यालयों के लिए झारखंड प्रारंभिक विद्यालय नियुक्ति नियमावली, 2012 में गठित जिला शिक्षा स्थापना समिति के साथ माध्यमिक विद्यालयों के लिए झारखंड सरकारी माध्यमिक विद्यालय शिक्षक एवं शिक्षिकेतर कर्मचारी नियुक्ति नियमावली, 2015 के तहत उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित जिला शिक्षा स्थापना समिति की ओर से शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य का स्थानांतरण किया जायेगा.
जोन-1 में 5 साल से अधिक रहे तो नहीं मिलेगा एचआरए व टीए
जोन-1 में 5 साल से ज्यादा पदस्थापना सामान्यत: नहीं किया जायेगा. किसी कारण यदि कोई शिक्षक जोन-1 में 5 साल से अधिक समय पदस्थापित रहता है तो 5 वर्ष से अधिक अवधि में प्राप्त अतिरिक्त वित्तीय लाभ एचआरए-टीए आदि को हटा लिया जायेगा. सरकारी विद्यालय के किसी शिक्षक शिक्षिका का पदस्थापना उनके अनुरोध पर जोन-2 से जोन-5 में स्थित किसी विद्यालय में एक टर्म से ज्यादा भी किया जा सकेगा. यह मैटर ऑफ राइट नहीं होगा.
सूची वेबसाइट पर उपलब्ध, दर्ज करा सकते हैं आपत्ति
पश्चिमी सिंहभूम जिले के स्कूलों को जोन-1 से जोन-5 तक वर्गीकृत कर दिया गया है. विद्यालयों की सूची जिले की वेबसाइट www.chaibasa.nic.in पर अपलोड कर दी गयी है. सूची में किसी तरह की विसंगति को लेकर आगामी 10 जुलाई तक बीइइओ के माध्यम से आपत्ति जतायी जा सकती है.
इन स्कूलों में नहीं लागू होगी स्थानांतरण नीति
राज्य के नेतरहाट आवासीय विद्यालय, इंदिरा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय, हजारीबाग के साथ जिले में संचालित मॉडल स्कूल, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में स्थानांतरण नीति लागू नहीं होगी.
जोन वाइज विभाजित माध्यमिक विद्यालय
जोन-1 07 विद्यालय
जोन-2 18 विद्यालय
जोन-3 15 विद्यालय
जोन-4 60 विद्यालय
जोन-5 35 विद्यालय
जोन बांटने का आधार
जोन-1 : नगर निगम, नगर पंचायत व नगर निकाय तथा नगर विकास एवं आवास विभाग के अधिसूचित क्षेत्र के विद्यालय.
जोन-2 : प्रखंड मुख्यालय में स्थित पंचायत क्षेत्र के विद्यालय (यह प्रखंड पंचायत के नाम से हो).
जोन-3 : प्रखंड पंचायत के 5 किलोमीटर परिधि में स्थित विद्यालय (जोन-1 से 5 किमी की परिधि में).
जोन-4 : एनएच/एसएच व जिला पथ से 8 किलोमीटर की दूरी में स्थित विद्यालय.
जोन-5 : दुर्गम (पहाड़ी व जंगली क्षेत्र, यातायात का साधन नहीं) या नक्सल प्रभावित क्षेत्र के स्कूल.
पश्चिमी सिंहभूम में स्कूलों की स्थिति
कुल प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल : 1295
कुल माध्यमिक विद्यालय : 135
जोन-5 में कुल विद्यालय : 494 (459 प्रावि व प्राउवि)
जोन वाइज विभाजित जिले के स्कूल
ब्लॉक जोन-1 जोन-2 जोन-3 जोन-4 जोन-5
आनंदपुर 00 02 10 19 30
बंदगांव 00 07 05 43 49
चक्रधरपुर 15 06 10 33 86
गोइलकेरा 00 05 09 27 39
गुदड़ी 00 06 03 00 38
हाटगम्हरिया 00 04 06 44 03
जगन्नाथपुर 00 03 10 20 36
झींकपानी 00 01 10 20 00
खूंटपानी 00 06 12 50 15
कुमारडुंगी 00 05 13 13 21
मझगांव 00 05 13 37 03
मंझारी 00 06 09 43 01
मनोहरपुर 05 05 07 47 29
नोवामुंडी 00 05 00 17 51
सदर चाईबासा 13 03 46 17 00
सोनुवा 00 03 16 26 23
तांतनगर 00 01 13 47 00
टोंटो 00 08 13 17 35
कुल 28 81 205 520 459
अब नयी नियमावली से स्थानांतरण होगा. अर्बन क्षेत्र में पदस्थापित शिक्षक रुरल क्षेत्र में भेजे जायेंगे. 5 साल से अधिक सेवा दे चुके शिक्षकों को दुर्गम क्षेत्रों में जाना पड़ सकता है. इससे पारदर्शिता रहेगी. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ ग्रामीण परिवेश में रह रहे शिक्षकों को शहरी वातावरण भी मिलेगा.
– निरजा कुजूर, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पश्चिमी सिंहभूम.
जिले में अभी विभागीय संकल्प के आधार पर विद्यालयों को वर्गीकृत किया जा रहा है. भविष्य में स्थानांतरण होने पर इसी नियमावली नीति को उपयोग में लाया जायेगा. यह कहना गलत नहीं होगा कि शहरी क्षेत्र में योगदान दे चुके शिक्षकों को नक्सल क्षेत्रों में कार्य करना पड़ सकता है.
– सुनील कुमार चौधरी, जिला शिक्षा अधीक्षक, पश्चिमी सिंहभूम
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Posted by : Pritish Sahay