चाईबासा. चाईबासा स्थित गुरुद्वारा साहिब में सोमवार को समुदाय ने सिखों के 10वें व अंतिम गुरु गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाशोत्सव हर्षोल्लास से मनाया. इसके दो दिन पूर्व शनिवार से श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ शुरू हुआ था. सोमवार को अखंड पाठ संपूर्ण होने पर बच्चे -बच्चियों ने कविता पाठ किया. जमशेदपुर से पहुंचे मनप्रीत सिंह के कीर्तनी जत्थे ने मधुर व कर्णप्रिय संगीत के साथ गुरुवाणी का शबद कीर्तन किया. श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष गुरमुख सिंह खोखर व अमरीक सिंह ने श्री अखंड पाठ सेवा के लिए चारों ग्रंथियों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. अखंड पाठ पूरा होने के बाद अरदास की गयी. सभी ने प्रसाद व लंगर का आनंद लिया. श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष गुरमुख सिंह खोखर ने झारखंड सरकार से श्री गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश परब की सार्वजनिक सरकारी छुट्टी घोषित करने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया. श्री खोखर ने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह का जन्म प्रकाश पटना साहिब में हुआ. उनका बाल्यकाल पटना में बीता. उनका रूहानी मिशन सरब सांझे भाईचारे का सृजन था. सबके अंदर ना कोई बैरी नहीं बेगाना और एक पिता एकस के हम बारीक का रूहानी एहसास जगाया. तत्कालीन सम्राट के जोर ज़ुल्म के आगे झुके नहीं, बल्कि जबरदस्ती धर्म परिवर्तन को नकार दिया. धर्म की रक्षा की खातिर उनके पिता श्री गुरु तेग बहादुर ने दिल्ली के चांदनी चौक में अपनी शहादत दी. श्री गुरु गोविंद सिंह के चारों बेटों व माता ने धर्म की रक्षा की खातिर शहादत दी. श्री गुरु गोविंद सिंह को सर्वंसदानी भी कहा जाता है. अधर्म व अत्याचार के खिलाफ अडिग होकर संघर्ष करने वाले गुरु गोबिंद सिंह का जीवन त्याग, शौर्य और सेवा का अनुपम उदाहरण है. उन्होंने कहा कि झारखंड में सिखों की सबसे अधिक आबादी जमशेदपुर व आसपास के जिलों में है. उन्होंने मुख्यमंत्री से जमशेदपुर से अमृतसर लिए वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत कराने की महती कोशिश कर इसे अमली जामा पहनाने की मांग की है. प्रकाश पर्व को सफलतापूर्वक संपन्न करने में श्री गुरु सिंह सभा, स्त्री सत्संग सभा व युवा खालसा के सभी सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
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