झारखंड में डॉक्टरों के ट्रांसफर से कुपोषण केंद्र व आई हॉस्पिटल की सेवाएं प्रभावित, ऐसे मिटेगा कुपोषण का कलंक !
झारखंड में हुए चिकित्सकों के स्थानांतरण के दौरान सदर एमटीसी के प्रभारी सह सदर प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी के साथ-साथ नेत्र अस्पताल में पदस्थापित दो नेत्र रोग विशेषज्ञों का भी तबादला कर दिया गया है.
Jharkhand News, चाईबासा न्यूज (अभिषेक पीयूष) : झारखंड में डॉक्टरों के तबादले से पश्चिमी सिंहभूम जिले की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जिले से 26 चिकित्सकों के स्थानांतरण के बाद जिला अस्पताल परिसर में संचालित कुपोषण निवारण केंद्र एवं नेत्र अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो गयी हैं.
स्थानांतरित चिकित्सकों के जिला छोड़ने के बाद सदर अस्पताल परिसर में संचालित उक्त दोनों सेवाएं पूरी तरह चिकित्सकविहीन हो गयी हैं. दरअसल जिले के सदर अस्पताल चाईबासा में 30 अप्रैल 2009, से संचालित कुपोषण उपचार केंद्र (एमटीसी) में अबतक 6 हजार से अधिक कुपोषित बच्चों का उपचार किया गया है. इस कारण राज्य के कुल 96 कुपोषण उपचार केंद्रों में सदर एमटीसी अपने गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के लिए अव्वल दर्जे पर है, लेकिन जिले का दुर्भाग्य है कि यहां से कुपोषण का कलंक मिटा रहे उक्त एमटीसी को वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा पूरी तरह चिकित्सकविहीन कर दिया गया है.
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इतना ही नहीं, सदर अस्पताल परिसर में 20 जनवरी 2018, से संचालित जिले के एक मात्र सरकारी नेत्र अस्पताल को भी चिकित्सक विहीन कर दिया गया है. ऐसे में विगत 3 वर्षों में 10 हजार से अधिक नेत्र रोगियों के मोतियांबिंद का ऑपरेशन करने वाला उक्त अस्पताल अब बगैर चिकित्सक राम भरोसे संचालित होगा.
राज्य भर में हुए चिकित्सकों के स्थानांतरण के दौरान सदर एमटीसी के प्रभारी सह सदर प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जगन्नाथ हेम्ब्रम के साथ-साथ नेत्र अस्पताल में पदस्थापित दो नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सियोन केरकेट्टा एवं डॉ सेलीन सोसन टोपनो का तबादला भी दूसरे जिलों में कर दिया गया है. इस कारण सदर अस्पताल में संचालित उक्त दोनों केंद्र अब पूरी तरह चिकित्सक विहीन हो गया है. इधर, पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुल पांच प्रखंडों (चाईबासा, चक्रधरपुर, मनोहरपुर, कुमारडुंगी व जगन्नाथपुर) में कुपोषण निवारण केंद्र (एमटीसी) संचालित है. सदर एमटीसी के प्रभारी डॉ जगन्नाथ हेम्ब्रम ही उक्त सभी एमटीसी केंद्रों के नोडल प्रभारी भी है. इसके अलावा जिला प्रशासन एवं कल्याण विभाग द्वारा संचालित बड़ाचिरू के 100 बेडड कुपोषण निवारण केंद्र का प्रभार भी डॉ जगन्नाथ हेम्ब्रम के जिम्मे है.
कुपोषण के लिहाज से पश्चिमी सिंहभूम अति पिछड़ा जिला घोषित है. यहां 0 से 5 आयु वर्ष के करीब 37 हजार बच्चे कुपोषित है. वहीं 13.1 फीसदी बच्चे अति गंभीर कुपोषित की श्रेणी में है. इतना ही नहीं, केंद्र सरकार के नीति आयोग द्वारा कराये गये सर्वे के अनुसार जिले का कुपोषण दर 49.4% है. ऐसे में पश्चिमी सिंहभूम से कुपोषण चक्र को तोड़ने के लिए सदर अस्पताल के एमटीसी में केरल के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को उपलब्ध कराये जाने वाले अमरूतम न्यूट्रिमिक्स के तर्ज पर पोषक लड्डू का निर्माण किया जा रहा था. मिठास व पोषक तत्वों से भरे उक्त पोष्टिक लड्डू का वितरण जिले भर में संचालित कुल 2330 आंगनबाड़ी केंद्रों में होना था. इसके अलावा जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में कुपोषण चक्र को तोड़ने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जोहार पोषक कार्यक्रम भी चलाया जाना था.
नेत्र अस्पताल में 2018 से अबतक प्रदत्त की गयी सेवाएं
सेवाएं 2018 2019 2020-21 कुल
ओपीडी 6572 9700 6471 22743
मोतियांबिंद ऑपरेशन (जिला अस्पताल) 235 481 331 1047
मोतियांबिंद ऑपरेशन (एनजीओ/अन्य) 2029 3515 3466 9010
माइनर ओटी 212 122 133 467
अपवर्तन दोष 2409 2334 972 5715
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पश्चिमी सिंहभूम के सिविल सर्जन डॉ बुका उरांव ने कहा कि जिले में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए विभाग से पत्राचार किया जायेगा. नेत्र विभाग एवं एमटीसी के बेहतर संचालन के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की मांग की जायेगी, ताकि जिलेवासियों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर सेवाएं प्रदान की जा सके.
पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त अनन्य मित्तल ने कहा कि चिकित्सकों के स्थानांतरण का असर जिले के किसी भी स्वास्थ्य सेवा पर ना पड़े. इसे लेकर विभाग से पत्राचार किया जायेगा. साथ ही जिले के समस्त एमटीसी के बेहतर संचालन को लेकर भी प्रतिनियुक्ति की मांग की जायेगी.
Posted By : Guru Swarup Mishra