झारखंड : चाईबासा नगर परिषद में टेंडर मैनेज को लेकर हाई वोल्टेज ड्रामा, मंंत्री के करीबी होने का दिखाया धौंस
चाईबासा नगर परिषद में टेंडर मैनेज करने को लेकर ठेकेदारों के बीच मंगलवार को पूरे दिन हाई वोल्टेज ड्रामा चला. मंत्री का करीबी होने का धौंस दिखाकर समय खत्म होने के बाद भी एक ठेकेदार द्वारा बॉक्स में टेंडर पेपर डालने पर जमकर हंगामा हुआ. -
Jharkhand News: पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चाईबासा नगर परिषद में टेंडर मैनेज करने को लेकर ठेकेदारों के बीच मंगलवार को पूरे दिन हाई वोल्टेज ड्रामा चला. आखिरकार कार्यपालक पदाधिकारी सतेंद्र महतो पर दबाव डालकर समय के समाप्ति के बाद भी जबरन मंत्री का आदमी होने का धौंस जमाते हुए एक ठेकेदार ने पेपर डाल दिया. इसे लेकर ठेकेदारों के बीच गहमागहमी बनी रही. वहीं, समयावधि के बाद टेंडर डाले जाने से नाराज कार्यपालक पदाधिकारी कार्यालय से निकल गये.
नाली और सड़क निर्माण का था टेंडर
जानकारी के अनुसार, मंगलवार को नगर परिषद में तीन नाली करीब 27 लाख की और करीब 80- 80 लाख के दो अलकतरा रोड निर्माण को लेकर टेंडर आमंत्रित की गयी थी. सभी योजनाओं को तीन से चार माह में पूर्ण करना है. हालांकि, टेंडर को टेंडर बॉक्स में ही डालने का नियम है, लेकिन जूनियर इंजीनियर द्वारा बिट्टू मांझी से मैन्युअल टेंडर प्राप्त किया जा रहा था. टेंडर डालने की समयावधि सुबह 11 बजे से थी. हालांकि, निकाली गयी निविदा में टेंडर प्रक्रिया को पूर्ण करने की समयावधि का उल्लेख नहीं किया गया था. अन्य ठेकेदारों का कहना था कि निविदा प्राप्त करने का अंतिम समय दोहपर दो बजे तक ही था. बावजूद शाम चार बजे के तक टेंडर प्राप्त करने की कोशिश की जा रही थी.
टेंडर मैनेज करने पर हुई थी चर्चा
पिछले रविवार को ठेकेदारों ने नगर परिषद में बैठक कर टेंडर मैनेज पर चर्चा की थी. उस दौरान टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने के बाद भी वंचित रहने वाले ठेकेदार को ग्रुप की ओर से उनकी जमा पांच फीसदी राशि वापस करने का निर्णय हुआ था, ताकि ठेकेदार को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके.
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ठेकेदारों ने लगाया आरोप
कुछ ठेकेदारों ने आरोप लगाते हुए कहा कि कार्यपालक पदाधिकारी पिछले कुछ महीनों से टेंडर प्रक्रिया को मैनेज करने की जनप्रतिनिधियों की संलिप्तता से नाराज चल रहे थे. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ठेकेदार ने बताया कि टेंडर मैनेजमेंट के नाम पर पांच प्रतिशत की दर से प्रति टेंडर के हिसाब से पैसे पहुंचाना पड़ता है. कुछ ठेकेदार तो काम की एडवांस बुकिंग भी करवाकर रखते हैं. ऐसे ठेकेदार को टेंडर प्रक्रिया में पैराशूट एंट्री मिल चुकी है, तो कुछ ठेकेदार आज तक टेंडर हासिल करने से वंचित हैं.