चाईबासा.पश्चिमी सिंहभूम जिला खेल विभाग को फुटबॉल के खिलाड़ियों के हॉस्टल के लिए सरकारी जमीन नहीं मिल पा रही है. ऐसे में महिला खिलाड़ियों का बैच (वर्ग) नहीं चल पा रहा है. सिर्फ 25 पुरुष खिलाड़ियों का बैच चल रहा है. इन खिलाड़ियों को जिला स्कूल के पुराने व जर्जर भवन के पांच कमरों में रहना पड़ रहा है.
जर्जर भवन को डीएमएफटी फंड से करीब 10 लाख रुपये से जीर्णोद्धार किया गया है. एक-एक कमरे में चार-पांच खिलाड़ियों को रहना पड़ रहा है. बरामदे में भी सात बेड लगाये गये हैं. अबतक शिक्षा विभाग से हॉस्टल के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया है. विदित हो कि जिले में वर्ष 2018-19 में विभिन्न प्रमंडलों की तरह चाईबासा में 25 खिलाड़ियों का चयन किया गया था.छुट्टी के दिन लकड़ी के चूल्हे पर खुद खाना पकाते हैं खिलाड़ी
वहीं, छुट्टी के दिन खिलाड़ियों को खुद से लकड़ी का चूल्हा जलाकर भोजन पकाना पड़ता है. शुक्रवार को छुट्टी रहने के कारण हॉस्टल में दो खिलाड़ी योगानंद मानकी व कृष्णा ईचागुटू मौजूद थे. योगानंद ने बताया कि वह आठवीं का छात्र है. फुटबॉल खिलाड़ी के लिए करीब एक साल पूर्व चयन हुआ था. वह रामगढ़ जिले के चाटा गांव का रहने वाला है. वहीं, कृष्णा ईचागुटू का चयन करीब एक साल पहले हुआ है.साबुन व जूते खुद खरीदते हैं खिलाड़ी
खिलाड़ियों ने बताया कि हॉस्टल में भोजन, नाश्ता व अन्य सुविधाएं मिलती हैं. उन्हें साबुन और जूता खुद खरीदना पड़ता है. प्रत्येक छात्र को कंबल, तकिया और बिछावन उपलब्ध कराया गया है.——————————–
विभाग के पास फंड का अभाव नहीं
विभाग के पास फंड का अभाव नहीं है. सरकारी जमीन नहीं मिल पा रही है. जिला स्कूल फुटबॉल प्रशिक्षण केंद्र को पिछले वर्ष छह माह के लिये लिया गया था. हॉस्टल के लिए सरकारी जमीन की तलाश हो रही है. कुमारडुंगी में 32 खिलाड़ियों (16-16 महिला व पुरुष) को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. चक्रधरपुर में हॉस्टल का जीर्णोद्धार कराया जाता रहा है.– रूपा रानी तिर्की, जिला खेल पदाधिकारी, पश्चिमी सिंहभूम——————
शिक्षा व्यवस्था बदहाल:
जिला स्कूल के हॉस्टल में भगवान भरोसे विद्यार्थी
दूसरी ओर, जिला स्कूल में खिलाड़ियों के हॉस्टल से सटे विद्यार्थियों के हॉस्टल की स्थिति और दयनीय है. हॉस्टल में करीब 20 कमरे हैं. ज्यादातर कमरों में खिड़की व दरवाजे नहीं हैं. छात्र भगवान भरोसे रहते हैं. कक्षा 11 के छात्र सह सोनुआ प्रखंड के कोंदरोकोचा निवासी गुरिया कायम ने बताया कि हॉस्टल जर्जर है. किचन की व्यवस्था नहीं है. छात्र बरामदे में लकड़ी का चूल्हा जलाकर खाना पकाते हैं. आसपास के क्षेत्र से सूखी लकड़ियां भी इकट्ठा करते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है