झारखंड सरकार को चाईबासा बस स्टैंड से होती है लाखों की कमाई, फिर भी बेसिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं
कोल्हान प्रमंडल और पश्चिमी सिंहभूम जिला का मुख्यालय होने के बाद भी चाईबासा बस स्टैंड मूलभूत सरकारी सुविधाओं का घोर अभाव है. यह बस स्टैंड भगवान भरोसे चल रहा है. सरकारी अनदेखी के कारण यह बस स्टैंड धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.
कोल्हान प्रमंडल और पश्चिमी सिंहभूम जिला का मुख्यालय होने के बाद भी चाईबासा बस स्टैंड मूलभूत सरकारी सुविधाओं का घोर अभाव है. यह बस स्टैंड भगवान भरोसे चल रहा है. सरकारी अनदेखी के कारण यह बस स्टैंड धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. बस स्टैंड की इस स्थिति के बाद भी इस बस स्टैंड से प्रतिदिन विभिन्न जिले व राज्य के लिये लगभग 110 से 115 बसें खुलती हैं. हजारों यात्री यात्रा करते हैं.
बंदोबस्ती से सरकार को मिलता है राजस्व फिर भी सुविधा नदारद
चाईबासा बस स्टैंड से सरकार को प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये का राजस्व भी बंदोबस्ती के रूप में मिलता है. इसके बाद भी यात्रियों के लिये पीने का स्वच्छ पानी तक उपलब्ध नहीं कराया गया है. बस स्टैंड में ऑन पेमेंट शौचालय की व्यवस्था है. गंदगी के कारण यात्री इसका इस्तेमाल करने से भी परहेज करते हैं.
यात्रियों के बैठने के लिये बना हॉल हुआ जर्जर
बस ऑर्नर एसोसिएशन के अनुसार, लगभग 20 वर्ष पूर्व बस स्टैंड में सरकार द्वारा यात्रियों के बैठने के लिये हॉल बनाया गया था. जो मरम्मत के अभाव में पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. हॉल की जर्जर अवस्था के कारण अक्सर छत का प्लास्टर टूट कर गिरता रहता है. प्लास्टर टूटने से कई बार यात्री जख्मी भी हो चुके हैं. हॉल की जर्जर अवस्था को देखकर कोई भी व्यक्ति यहां बैठने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है.
20 वर्ष पूर्व बना था बस स्टैंड, चलती थी मात्र 30 बसें
20 वर्ष पूर्व जब बस स्टैंड का निर्माण कराया गया था. उस समय चाईबासा से केवल 20 से 30 बसे ही विभिन्न स्थानों के लिये रवाना होती थी. बस स्टैंड का निर्माण भी उसी अनुपात में किया गया था. फिलहाल बस स्टैंड से एक सौ अधिक बस चलती है. स्टैंड में जगह के अभाव में बस को सड़क पर ही रखना पड़ता है. जिस कारण दिन भर बस स्टैंड के आसपास सड़क जाम की स्थिति बनी रहती है.
सात वर्ष पूर्व से बस स्टैंड का बन रहा है डीपीआर
लगभग तीन वर्ष पूर्व जिला प्रशासन व नगर परिषद की ओर से चाईबासा में वर्तमान बस स्टैंड व बंद पड़े सरकारी बस स्टैंड को जोड़कर टर्मिनल बस स्टैंड बनाने की योजना लायी गयी थी. प्राइवेट बस स्टैंड को बहुद्देश्यीय बनाने के लिए लगभग सात वर्ष पूर्व से योजना बनायी जा रही है. सात वर्ष पूर्व बस स्टैंड के लिये साढ़े तीन करोड़ रुपये का डीपीआर तैयार किया गया था. डीपीआर नगर विकास विभाग रांची भी भेजा गया, लेकिन योजना की सरकारी अनुमति नहीं मिल सकी. तीन वर्ष पूर्व प्राइवेट व सरकारी बस स्टैंड को टर्मिनल बस स्टैंड बनाने का छह करोड़ का डीपीआर चाईबासा नगर परिषद ने नगर विकास विभाग रांची भेजा था. इस पर भी नगर विकास विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
टर्मिनल बस स्टैंड में ये सुविधा उपलब्ध कराने की थी योजना
टर्मिनल बस स्टैंड योजना के तहत एसी हॉल, वैंकेट हॉल, होटल, रहने के लिए लॉज, पार्क सहित सारी मूलभूत सुविधा यात्रियों को उपलब्ध कराना था. इस बस स्टैंड से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिला, बिहार के आरा, गया, पटना, औरंगाबाद, ओडिशा के जोड़ा, क्योंझर, बड़बिल, भुवनेश्वर व पुरी, पश्चिम बंगाल के खड़गपुर, पुरुलिया व कोलकाता के अलावा झारखंड में रांची, बोकारो, जमशेदपुर, घाटशिला के अलावा अन्य जगहों के लिए रोजाना एक सौ अधिक बसों का परिचालन होता है. इसके बाद भी सरकारी अनदेखी के कारण यहां मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है.
क्या कहते हैं एसोसिएशन के पदाधिकारी
बस स्टैंड का 20 वर्ष पूर्व निर्माण हुआ था. उस समय यहां से मात्र 20 से 30 बस चलती थी. फिलहाल चाईबासा बस स्टैंड 110 से 115 बस चल रही है. जगह के अभाव में बस सड़क पर ही खड़ी रहती है. यात्रियों के बैठने के लिये बने भवन जर्जर अवस्था में है. अक्सर छत का प्लास्टर टूट कर गिरता है. अगर सरकार बस स्टैंड के लिये कुछ नहीं कर सकती है तो जिम्मेवारी एसोसिएशन को सौंप दी जाये. सारी व्यवस्था दुरूस्त हो जायेगी.
– जितेंद्र भगत, बस एसाेसिएशन मैनेजर, चाईबासा
क्या कहते हैं नगर परिषद के अधिकारी
चाईबासा बस स्टैंड के आधुनिकीकरण के लिये योजना तैयार कर सरकार को भेजा गया था लेकिन कागजी व अन्य कमी के कारण टेंडर की स्वीकृति नहीं मिल पायी है. अब इसके लिये नये सिरे से काम करना पड़ेगा. नगर परिषद क्षेत्र में कई महत्वकांक्षी योजना का चयन कर टेंडर की अनुमति के लिये सरकार को भेजा जा रहा है. बस स्टैंड के विकास के लिये डीपीआर तैयार नगर विकास विभाग रांची भेजा जायेगा.
– सत्येंद्र महतो, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, चाईबासा