आंध्र प्रदेश से रेस्क्यू कर 15 युवती पहुंची चाईबासा, बीमारी में भी कंपनी लेता था काम, पीड़िता ने सुनायी आपबीती

पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत मंझारी ब्लाॅक की 15 युवतियों को काम करने गयी आंध्र प्रदेश के गुडूर से रेस्क्यू कर चाईबासा लगाया गया. युवतियों ने कंपनी में जबरन काम करने का आरोप लगाते हुए कोल्हान हेल्पिंग हैंड से मदद की गुहार लगायी थी. इसी के बाद युवतियों को रेस्क्यू कर चाईबासा लाया गया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2021 6:31 PM
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Jharkhand News (चक्रधरपुर, पश्चिमी सिंहभूम) : झारखंड की 15 युवतियों को आंध्र प्रदेश के गुडूर से रेस्क्यू किया गया. गुडूर के एक कंपनी में कार्यरत इन युवतियों से बीमारी में भी जबरन काम लिया जाता था. इतना ही नहीं, काम पर नहीं आने पर युवतियों का मोबाइल भी तोड़ दिया जा रहा था. वहीं, कैंपस से बाहर निकलने की भी मनाही थी. लेकिन, किसी तरह यहां की युवतियों ने चाईबासा के कोल्हान हेल्पिंग हैंड से संपर्क कर मदद की गुहार लगायी थी. इसी बाद 15 युवतियों को रेस्क्यू कर चाईबासा लाया गया.

क्या है मामला

आंध्र प्रदेश के गुडूर से रेस्क्यू कर चाईबासा पहुंची युवतियों ने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत मंझारी प्रखंड के पड़सी गांव निवासी सभी युवतियां सितंबर, 2021 में आंध्र प्रदेश के गुडूर गयी थी. सरायकेला जिला का एक दलाल विकास बोदरा रोजगार दिलाने व अधिक पेमेंट की बात कह हर आंध्र प्रदेश ले गया था. विकास सभी 15 युवतियों को कंपनी की बस से आंध्र प्रदेश ले गया था. यहां दलाल विकास सभी युवतियों को आंध्र प्रदेश के सुलुरपेटा में हाइसोन नामक कंपनी में काम पर लगाया और अपना कमीशन लेकर वापस लौट गया था.

यहां सभी युवतियां करीब महीने भर काम की. इस बीच कई बीमार भी होने लगी. इसके बावजूद कंपनी वाले इन युवतियों से जबरदस्ती काम ले रहा था. बात नहीं मानने पर इनलोगों का मोबाइल भी तोड़ दिया जा रहा था. साथ ही कंपनी कैंपस से बाहर निकलने की सख्त मनाही थी. इसी से तंग आकर युवतियां बिना पेमेंट लिए ही भाग निकली.

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यहां से सभी 15 युवतियां आंध्र प्रदेश के गुडूर स्टेशन पहुंची. लेकिन पास में अधिक रुपया नहीं होने के कारण 15 में से 7 युवतियों ने टिकट नहीं लिया. ट्रेन आने पर सभी युवतियां उसपर चढ़ गयी, लेकिन इससे पहले ही टीटीई की पकड़ में आ गयी. इस पर एक युवती ने कोल्हान नीतिर तुरतुंग के अध्यक्ष और कोल्हान हेल्पिंग हैंड के सदस्य प्रकाश लागुरी को फोन कर मदद की गुहार लगाते हुए पूरी कहानी बतायी.

पूरी घटना सुनकर प्रकाश लागुरी ने तत्काल टीटीई को 4 हजार रुपये ऑनलाइन भेजकर मामला शांत कराया. इसके बाद प्रकाश लागुरी ने विशाखापट्नम में नौकरी कर रहे अपने परिचित योगेश सिंकू और लक्ष्मण सिंकू को इन युवतियों के लिए भोजन तैयार कर विशाखापट्नम स्टेशन में देने का आग्रह किया. लक्ष्मण सिंकू ने सभी 15 युवतियों को स्टेशन पर भोजन दिया. साथ ही यात्रा खर्च के लिए 2 हजार रुपये भी दिये.

इस दौरान प्रकाश लागुरी इन युवतियों से लगातार संपर्क स्थापित करता रहा. रांची रेलवे स्टेशन पर आने कोल्हान नीतिर तुरतुंग के बासुदेव लागुरी, पूर्व लेबर कमिश्नर ज्ञान सिंह दोराईबुरु, दुम्बी दिग्गी और कोल्हान हेल्पिंग हैंड की उपाध्यक्ष गीता मेलगंडी ने इन युवतियों को रिसीव किया. इसके बाद बस से सभी को चाईबासा भेज दिया.

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चाईबासा पहुंचने पर प्रकाश लागुरी ने समाजसेवी इरशाद अली, विकास दोदराजका, शिशिर बिरुवा और राम पिंगुआ के साथ इन युवतियों को रिसीव किया. यहां आने पर सबसे पहले सभी युवतियों का सदर हॉस्पिटल, चाईबासा में कोरोना जांच करायी गयी. जहां सभी का रिपोर्ट निगेटिव आया. इसके बाद विकास दोदराजका की मदद से डालसा ऑफिस जाकर डालसा सचिव की निगरानी में कागजी कार्रवाई पूरी कर सभी को अपने- अपने घर भेज दिया गया. इन युवतियों को आंध्र प्रदेश से रेस्क्यू करने में कोल्हान हेल्पिंग हैंड और कोल्हान नीतिर तुरतुंग के सदस्यों ने विशेष भूमिका निभायी.

Posted By : Samir Ranjan.

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