Jharkhand News, West Singhbhum News, चाईबासा (अभिषेक पीयूष) : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर के कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में पदस्थापित लेखापाल साकेत कुमार एक बार फिर से विवादों के घेरे में हैं. कोरोना काल शुरू होने से पहले 18 फरवरी, 2020 को जगन्नाथपुर की तत्कालीन एसडीओ स्मृता कुमारी व बीडीओ द्वारा डीसी व डीइओ को सौंपी गयी जांच रिपोर्ट में लेखापाल साकेत कुमार पर वित्तीय अनियमितता और सरकारी राशि के गबन का आरोप है. वहीं, उक्त रिपोर्ट की अनदेखी करते हुए डीइओ ने छह माह बाद सितंबर में साकेत कुमार को जिले के समग्र शिक्षा अभियान का लेखापाल बना दिया. इतना ही नहीं, एसडीओ की जांच के बाद डीइओ ने बीइइओ को जांच की जिम्मेवारी सौंपी है. इसके बाद मामले में फिर से विवाद शुरू हो गया है.
इधर, जिला शिक्षा पदाधिकारी नीरजा कुजूर ने कहा कि जिले में समग्र शिक्षा अभियान के तहत पूर्व में पदस्थापित लेखापाल के द्वारा बहुत सारे कार्यों का निष्पादन नहीं किये जाने के कारण उक्त लेखापाल को जिले से हटाकर जगन्नाथपुर के लेखापाल को रखा गया है. इससे जिले के एकाउंट का कार्य बेहतर हो रहा है. डीइओ ने पहले तो एसडीओ की रिपोर्ट उन्हें मिलने से ही इनकार कर दिया. फिर कहा कि केवल किसी अधिकारी द्वारा लिख देने से कोई आरोप सिद्ध नहीं होता है. एसडीओ की जो रिपोर्ट आयी थी, उसमें कोई साक्ष्य ऐसा नहीं है, जो वित्तीय अनियमितता को दर्शाता है. बीइओ की रिपोर्ट में आरोप सिद्ध होगा, तो कार्रवाई की जायेगी.
साकेत कुमार पूर्व में जिले के कुमारडुंगी प्रखंड में लेखापाल रह चुके हैं. कुमारडुंगी कस्तूरबा में साकेत कुमार पर कई गंभीर आरोप लगे थे. जिसके बाद उनका स्थानांतरण खूंटपानी प्रखंड के कस्तूरबा विद्यालय में कर दिया गया था. खूंटपानी कस्तूरबा में भी छात्राओं के साथ मारपीट करने के आरोप में साकेत कुमार को बर्खास्तगी तक का सामना करना पड़ा था, लेकिन उक्त मामले में भी दोबारा कमेटी गठित करते हुए जांच करा साकेत को तत्कालीन डीसी की अनुशंसा पर नौकरी दी गयी थी. तबसे वे जगन्नाथपुर के कस्तूरबा विद्यालय में लेखापाल के तौर पर पदस्थापित हैं.
चाईबासा प्रखंड के जिला स्कूल परिसर में संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की छात्राएं कोरोना काल से पहले 14 फरवरी 2020 को काफी संख्या में फूड प्वाइजनिंग की शिकार हुईं थीं. इसके बाद जिले के उपायुक्त अरवा राजकमल ने तत्काल आदेश जारी करते हुए जिले भर के सभी कस्तूरबा विद्यालयों का औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया था. उक्त निर्देश के आलोक में जगन्नाथपुर की तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी स्मृता कुमारी एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी ने 15 फरवरी, 2020 को प्रखंड के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय का औचक निरीक्षण किया था. निरीक्षण के बाद 18 फरवरी को जिले के उपायुक्त एवं जिला शिक्षा पदधिकारी को एसडीओ ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
तत्कालीन एसडीओ स्मृता कुमारी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर विद्यालय की छात्राओं को दिये जाने वाले भोजन की गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं होने की बात कही थी. साथ ही, एक्सपायरी खाद्य सामग्रियों के उपयोग से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की बात कही गयी थी. आपूर्तिकर्ता के द्वारा कम मात्रा में सामग्री आपूर्ति कर बच्चों से जबरन पंजी में मात्रा बढ़ाकर अंकित करने की बात सामने आयी थी. इसे वित्तीय अनियमितता बताते हुए इसमें सामग्री आपूर्तिकर्ता और विद्यालय के लेखापाल साकेत कुमार के साथ-साथ खाद्यान्न प्राप्ति के लिए प्रतिनियुक्त कामिनी की मिलीभगत का खुलासा किया था. इसे लेकर संबंधित आपूर्तिकर्ता के विरुद्ध जगन्नाथपुर के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराने एवं विद्यालय के लेखापाल साकेत कुमार व खाद्यान्न प्राप्ति के लिए प्रतिनियुक्त कामिनी पर सरकारी राशि के गबन का आरोप लगाते हुए राशि की वसूली करने और प्रपत्र ”क” भरने की अनुशंसा भी की गयी थी.
जांच में एसडीओ स्मृता कुमारी ने छात्राओं का हवाला देते हुए बताया था कि जगन्नाथपुर कस्तूरबा की वार्डन कैक्टस लिली सिंकु अधिकांश दिन विद्यालय में नहीं रहकर चाईबासा में रहती हैं. ऐसे में विद्यालय की छात्राओं की सुरक्षा को देखते हुए लिली का अन्यत्र स्थानांतरण कर किसी अन्य वार्डन की पदस्थापना की जाये.
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एसडीओ की जांच रिपोर्ट (एक नजर में)
– भंडारगृह में सॉस एक्सपायरी मिला
– भंडारगृह का रेफ्रिजरेटर बंद पाया गया
– दाल एवं अन्य खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता निम्न स्तर की मिली
– खाना बनाने के लिए नियम विरुद्ध पूर्व की चेतावनी के बावजूद गैस की जगह लकड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है
– दूध 30 किलो मिला, जबकि 350 छात्राओं के लिए 70 किलो होना चाहिए
– दो सप्ताह से सभी छात्राओं को खाने में आधा अंडा दिया जाता है
– छात्राओं ने बताया कि हरी सब्जियां ठीक से नहीं दी जाती, दूध भी सभी छात्राओं को नहीं दिया जाता है
– छात्राओं के बीच हॉर्लिक्स का वितरण ठीक से नहीं होता है, छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण सही तरीके से नहीं होता है
– आपूर्तिकर्ता द्वारा जो सामग्री उपलब्ध करायी जाती है, उससे संबंधित प्राप्ति पंजी में कांट-छांट कर आपूर्ति की गयी सामग्रियों की मात्रा बढ़ा दी जाती है. जिसकी पुष्टि पंजी के अवलोकन से होती है
– 24 जनवरी को 25 किलो की 100 बोरी उपलब्ध करायी गयी, जिसे सामग्री पंजी में 120 बोरी दर्शाया गया
– पंजी में चावल के गबन के अतिरिक्त चूड़ा, आटा, मसूर दाल, अरहर दाल, रिफाइन, चीनी के अधिक बोरे अंकित हैं
– छात्राओं ने बताया कि आपूर्तिकर्ता द्वारा जबरन प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर कराया जाता है
– जांच से स्पष्ट होता है कि सामग्री आपूर्तिकर्ता, विद्यालय के लेखापाल और खाद्यान्न प्राप्तिकर्ता के मिलीभगत से आपूर्ति की गयी सामग्रियों की मात्रा बढ़ा दी जाती है
इस मुद्दे पर डीइओ से सीधी बात
सवाल : डीसी के आदेश पर जगन्नाथपुर की एसडीओ ने जांच कर प्रतिवेदन सौंपा था, जिसमें लेखापाल आदि पर आरोप लगाये गये थे?
जवाब : हमें कोई जांच प्रतिवेदन नहीं मिला है.
सवाल : जिले के समग्र शिक्षा अभियान से एसडीओ के लेटर के विरुद्ध स्पष्टीकरण भी निकला था?
जवाब : स्पष्टीकरण के जवाब की जांच बीइओ से करा ली गयी है, रिपोर्ट मुझे कल ही मिली है.
सवाल : जब एसडीओ ने डीसी के आदेश पर जांच कर रिपोर्ट सौंपी है तो, फिर उसपर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
जवाब : एसडीओ की जांच रिपोर्ट की पुष्टि हम करा रहे हैं.
सवाल : एसडीओ की जांच के बाद फिर से बीइओ से जांच कराना उचित है?
जवाब : नहीं, ये जांच करने के लिए हमने दिया है. एसडीओ की रिपोर्ट देखने के बाद ये पता नहीं चला कि वित्तीय अनियमितता कहां हुई है. एसडीओ की रिपोर्ट मैंने पढ़ी है.
सवाल : अभी भी जांच जारी है तो, फिर आरोपी को उच्च प्रभार कैसे सौंप दिया गया?
जवाब : बीइओ की जांच रिपोर्ट आ गयी है. अब जांच रिपोर्ट की समीक्षा करके जो भी आवश्यक होगा, कार्रवाई की जायेगी.
Posted By : Guru Swarup Mishra