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अपनी ख्वाहिशों को ऊंची उड़ान देने में जुटी जनवरी बंकिरा, पुलिस सेवा में शामिल होने का बनाया लक्ष्य

पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत खूंटपानी की जनवरी बंकिरा अपनी ख्वाहिशों को ऊंची उड़ान देने में जुटी है. राज्य ताइक्वांडो चैपियनशिप में गोल्ड मेडल जीती जनवरी पुलिस सेवा में शामिल होकर समाज की रक्षा करने का लक्ष्य बनाया है.

Jharkhand News (अभिषेक पीयूष, चाईबासा) : 11 अक्टूबर यानी अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस. आज दुनियां भर में बालिकाएं अपने ख्वाहिशों को पंख दे रही है. उन्हें खुला आसान दिया जाये, तो निश्चित वह ऊंची उड़ान भर सकती है. देखा जाये, तो लड़कियां हरेक पायदान पर आज लड़कों से एक कदम आगे है, लेकिन रूढिवादी समाज में वे फिर भी भेदभाव की शिकार है. बालिकाएं या यूं कहें बेटियां आज हमसे अपने हक के लिए लड़ रही है. दरअसल, चांद तक पहुंच चुकी बालिकाओं की खिलखिती हंसी अब भी उपेक्षित है. अपनी खिलखिलाहट से सभी को खुशी देने वाली लड़कियां अपने खुद की हंसी के लिए महरूम है. समाज में आज भी वह उपेक्षा और अभावों का सामना कर रही है.

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अपनी ख्वाहिशों को ऊंची उड़ान देने में जुटी जनवरी बंकिरा, पुलिस सेवा में शामिल होने का बनाया लक्ष्य 3

ऐसे में पश्चिमी सिंहभूम जिले के खूंटपानी प्रखंड अंतर्गत सोनोरोकुटी गांव निवासी 18 वर्षीय जनवरी बंकिरा आज समाज के बंदिशों से आगे निकल कर अपने सपनों को ऊंची उड़ान देने में जुटी है. जनवरी बंकिरा ने रांची में आयोजित राज्य ताइक्वांडो चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. जनवरी का मुख्य उद्देश्य पुलिस सेवा में शामिल होकर समाज की रक्षा करना है.

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निडरता व आत्मविश्वास के लिए जानी जाती है जनवरी

जिले के खूंटपानी प्रखंड अंतर्गत सोनोरोकुटी गांव निवासी बिरसिंग बंकिरा व बिरंग बनारा की पुत्री जनवरी बंकिरा आठ भाई-बहन हैं. उसके परिवार की प्रमुख आजीविका कृषि है. वह पूर्णिया स्कूल में 12वीं की छात्रा है. आज वह अपने गांव में अपनी निडरता, आत्मविश्वास और निडर आवाज के लिए जानी जाती है. उसकी रुचि और आत्मविश्वास को देखते हुए जनवरी बंकिरा के कोच ने उसे प्रतिवर्ष रांची में आयोजित होने वाले राज्य ताइक्वांडो चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया था. जनवरी ने ताइक्वांडो की कोचिंग पाने के लिए कड़ी मेहनत की थी. इस स्टेट चैंपियनशिप में खुद को साबित करने के लिए वह अपने गांव से करीब 38 किमी दूर चक्रधरपुर स्थित दक्षिण रेलवे संस्थान आती थी. जिसके बाद जनवरी ने स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. कम समय में जनवरी बंकिरा की यह एक अद्भुत उपलब्धि थी.

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जनवरी में खेल और एथलेटिक्स गतिविधियों के प्रति मजबूत रुचि है, फिर चाहे वह टीम या व्यक्तिगत खेल हो. वे सभी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को समझती है. वर्ष 2017 में चक्रधरपुर की सामाजिक संस्था एकजुट द्वारा आयोजित एक फुटबॉल टूर्नामेंट में उसने अपने गांव की लड़कियों की टीम बनाने का बीड़ा उठाया और सोनोरोकुटी की लड़कियों की टीम ने उक्त टूर्नामेंट में विजेता का खिताब जीता. इसके बाद जनवरी ने अपना अभ्यास जारी रखा. साथ ही वह अन्य टूर्नामेंट में भाग लेती रही. वहीं, अपने गांव की अन्य लड़कियों को भी प्रोत्साहित करने का कार्य करती है. वर्ष 2018 में जूडिजुमुर ने ड्राइंग, हस्तशिल्प, लोक रंगमंच, ताइक्वांडो जैसी चार गतिविधियों का आयोजन किया था. इसमें जनवरी बंकिरा ने ताइक्वांडो को चुना था. जुडिजुमुर में उनका प्रदर्शन उत्कृष्ट था. उसकी रुचि और आत्मविश्वास को देखते हुए कोच ने उसे रांची में आयोजित राज्य ताइक्वांडो चैंपियनशिप खेलने के लिए प्रोत्साहित किया.

किशोरों के बीच विशिष्ट नेतृत्व व्यक्तित्व के लिए पहचाना

जनवरी बंकिरा वर्तमान में एकजुट संस्था द्वारा संचालित पीएलए किशोर-किशोरी समूह की बैठक की नियमित भागीदार है. शुरुआत में जनवरी पीएलए के बैठकों में शामिल होने को तैयार नहीं थी. वह घर के कामों और खेती में संलिप्त होकर अपने परिवार का भरण-पोषण करती थी, लेकिन जब उसने खेलों के बारे में सुना, तो उसने समूह की बैठक में भागीदार बनने में अपनी रुचि विकसित की. संस्था में उन्हें सभी किशोरों के बीच उनके विशिष्ट नेतृत्व व्यक्तित्व के लिए पहचाना जाता है. धीरे-धीरे वह बैठक के लिए किशोरों को भी जुटाने लगी और पीएलए की बैठकों के दौरान प्राथमिकता वाली समस्याओं के पारस्परिक रूप से सहमत समाधानों पर जिम्मेदारी निभाने लगी.

‘बिकॉज आई एम गर्ल’ अभियान से मिली दिवस मनाने की प्रेरणा

पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को वोट देने का मूल अधिकार 1920 में काफी संघर्षों के बाद प्राप्त हुआ. इसलिए वैश्विक स्तर पर लड़के व लड़कियों के बीच के भेदभाव को कम करने के उद्देश्य से कनाडियाइ संस्था प्लान इंटरनेशल के अभियान ‘बिकॉज आई एम गर्ल’ से प्रेरणा लेते हुए प्रतिवर्ष 11 अक्तूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस’ मनाया जाता है, ताकि बालिकाओं के मुद्दे पर विचार करते हुए सक्रिय कदम उठाये जा सकें. साथ ही गरीबी, संघर्ष, शोषण और भेदभाव का शिकार होती लड़कियों की शिक्षा और उनके सपनों को पूरा किया जा सके.

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Posted By : Samir Ranjan.

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