Jharkhand vidhan sabhha chunav, चाईबासा, सुनील कुमार सिन्हा: वर्ष 1957 के विधानसभा चुनाव में चक्रधरपुर सामान्य सीट से विधायक बननेवाले झारखंड पार्टी के श्यामल पसारी उस समय के चुनाव को याद कर कहते हैं, साइकिल से चुनाव प्रचार होता था. कार्यकर्ताओं को प्रति साइकिल 50 पैसे मिलते थे. ज्यादातर कार्यकर्ता अपने पैसे से साइकिल लेकर चुनाव प्रचार में जाते थे. उस चुनाव में जयपाल सिंह की पार्टी के सभी 31 प्रत्याशियों की जीत हुई थी. श्यामल पसारी झारखंड पार्टी के संस्थापक जयपाल सिंह मुंडा के काफी करीबी माने जाते थे.
अनुपस्थित रहने पर तीन दिन के कट जाते थे पैसे
पूर्व विधायक ने बताया कि विधानसभा सत्र में शामिल होने के लिए पटना जाना पड़ता था. एसेंबली (विधानसभा) 12 माह चलती थी. विधानसभा सत्र में शामिल होने पर प्रति दिन के 50 रुपये के हिसाब से महीने में 1500 रुपये वेतन के मिलते थे. उन्हें पहली बार 75 रुपये पेंशन मिली थी. यदि कोई विधायक शुक्रवार को एसेंबली में अनुपस्थित रहता, तो तीन दिनों का पैसा कट जाता था. एसेंबली रात के दो बजे तक चलती थी. विधानसभा जाने के लिए विधायकों को किराया या भत्ता नहीं मिलता था.
श्यामल पसारी ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा चक्रधरपुर आये थे. तब जयपाल सिंह से उनकी मुलाकात हुई थी. गुलजारी लाल नंदा के साथ डॉ मोरारजी देसाई को भी चक्रधरपुर आना था. अंत समय में उनके साथ मंत्री बिनोदानंद झा चक्रधरपुर आये थे. श्री पसारी ने बताया कि एक बार चाईबासा जेल में दो कैदियों की मौत हो गयी थी. उन्होंने मामले को विधानसभा में उठाया था. इस पर श्रीकृष्ण सिंह ने जवाब दिया कि दो कैदियों की मौत नहीं हुई है, बल्कि तीन कैदियों की मौत हुई है.
आज तक न गाड़ी खरीदी, न घर, किराये के मकान में रहा
पूर्व विधायक ने बताया कि लोग ईमानदारी को महत्व देते थे. प्रत्याशी की छवि देखकर मतदाता वोट करते थे. मतदान का तरीका भी अलग था. मतदाताओं को स्लिप मिलती थी. वोटर चुनाव चिह्न वाली मतपेटी में अपना स्लिप डाल देते थे. उन्होंने आज तक न गाड़ी खरीदी, न जमीन.वे लंबे समय तक भाड़े के मकान में रहे. करीब तीन बार उन्हें मकान बदलना पड़ा. अब चाईबासा के गांधीटोला मोहल्ले में अपने सगे-संबंधी और बेटे के घर में रह रहे हैं.
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1957 में चक्रधरपुर की एक सीट सामान्य थी
पश्चिमी सिंहभूम जिले की सभी पांच विधानसभा सीटें (चाईबासा, चक्रधरपुर, मझगांव, जगन्नाथपुर और मनोहरपुर) वर्तमान में सुरक्षित हैं. लेकिन 1957 में एक सीट सामान्य (जनरल) होती थी. तब चक्रधरपुर में विधानसभा की दो सीटें थीं. इनमें से एक सीट खरसावां को मिलाकर चक्रधरपुर जनरल थी, जबकि दूसरी चक्रधरपुर (एसटी) थी.