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chaibasa News : पश्चिमी सिंहभूम के बालू घाटों पर माफियाओं का कब्जा, मनमानी दर पर बेचकर हो रहे मालामाल

वर्ष 2019 से नहीं हुई है जिले के 13 बालू घाटों की नीलामी, पहले 1000-1500 रुपये प्रति ट्रैक्टर बिकने वाला बालू 3500 से 4500 में मिल रहा, सड़क किनारे और खेत- खलिहान में कारोबारी कर रहे अवैध स्टॉक

चाईबासा. पश्चिमी सिंहभूम जिले के 13 बालू घाटों की नीलामी में वर्ष 2019 से नहीं हुई है. हालांकि, सफेद और लाल बालू का काला धंधा चरम पर है. इससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है. वहीं, बालू के अवैध धंधा में वर्चस्व को लेकर आपराधिक घटनाएं बड़ने लगी हैं. वहीं, प्रशासन बीच-बीच में छापेमारी कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेता रहा है. बालू घाटों पर दबंगों का कब्जा होता जा रहा है. नदियों से बालू उठाव कर मनमानी दर पर बेच रहे हैं. पहले 1000-1500 रुपये प्रति ट्रैक्टर बिकने वाला बालू 3500 से 4500 में मिल रहा है. माफिया मालामाल हो रहे हैं. वहीं, मध्यम और गरीब लोगों से बालू की पहुंच दूर होने लगी है.

प्रशासन ने अंकुश लगाने को टीम बनायी

हालांकि, प्रशासन ने इस पर अंकुश लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी है. इसके लिए टीम बनायी गयी है. बालू घाटों की नीलामी जेएसएमडी के माध्यम से कराया जाना है. इसके लिए नौ संवेदकों ने आवेदन किया गया है. संवेदकों ने प्रक्रिया पूरी नहीं की है.

इन घाटों से बालू उठाव का दिया गया है आवेदन

1. मनोहरपुर : अभयपुर, धानापाली, डोमलाई, तिरला में दो और ततरा में एक

2. आनंदपुर : आनंदपुर, बाघचट्टी एक और बाघचट्टी दो

3.गुदड़ी : टोमडेल एक, टोमडेल दो, जोजोदा व कमरगांव

मनोहरपुर व गुदड़ी में सबसे अधिक बालू घाट

जिले के मनोहरपुर प्रखंड में सबसे अधिक आठ बालू घाट हैं. वहीं, गुदडी प्रखंड में चार, आनंदपुर में तीन बालू घाट हैं. वहीं, खरकई नदी के आयता, कुर्सी और तांतनगर के संगम नदी पर बालू घाट है. इन जगहों से बिना ऑक्शन के बालू का उठाव और खरीद- बिक्री की जा रही है.

कोयल व कारो नदी का सर्वाधिक दोहन

मनोहरपुर, गुदड़ी और आनंदपुर में कोयल और कारो नदी से सबसे ज्यादा बालू का अवैध उठाव हो रहा है. कोयना, कोयल और कारो नदी का बालू उत्तम होता है. यही वजह है कि इन प्रखंडों की नदियों से बालू के उठाव के लिए जेसीबी और हाइवा का इस्तेमाल होता है. मझगांव और जगन्नाथपुर प्रखंड की नदियों से भी बालू का उठाव किया जाता है.

समय पर पूरी नहीं हो रहीं सरकारी योजनाएं

जिले में बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से सरकारी निर्माण कार्य समय पर पूरे नहीं हो पाता हैं. संवेदकों को अधिक दर पर बालू की खरीदारी करनी पड़ रही है. बालू के अवैध धंधे से जुड़े लोग चांदी काट रहे हैं. नदी से बालू खनन कर आसपास सड़क के किनारे व खेत-खलियान में जमा करते हैं. जैसे ही ग्राहक मिलते हैं, ट्रैक्टर से पहुंचा देते हैं.

अवैध धंधा पर वर्चस्व की लड़ाई में फैल रही अशांति

नदी तट के आसपास के कुछ युवक अवैध रूप से बालू उठाव कर मनमाने दाम पर बेचते हैं. महीने भर में महंगी गाड़ियों के मालिक बन जाते हैं. बालू के इस अवैध कारोबार में ज्यादा मुनाफा होने के कारण वर्चस्व की लड़ाई होती है, जिससे क्षेत्र में अशांति जैसी स्थिति बन जाती है, जिसका ताजा उदाहरण गुदड़ी प्रखंड है.

ऐसे फल- फूल रहा कारोबार

चाईबासा में बालू का अवैध कारोबार काफी फल-फूल रहा है. यहां पश्चिमी सिंहभूम से सटे सरायकेला- खरसावां जिला के हाथीसिरिंग से बालू मंगाया जाता है. यह बालू ट्रैक्टर के माध्यम से हाथीसिरिंग घाट से कुर्सी गांव होते हुए सीधे चाईबासा और ओडिशा के बहलदा क्षेत्र तक पहुंच रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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