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Chaibasa News : मंत्री जी! खासमहाल जमीन को लीजमुक्त करायें

चाईबासा. लीज नवीकरण बना जी का जंजाल, मंत्री दीपक बिरुवा ने व्यवसायियों के साथ बैठक की

चाईबासा.शहरवासियों ने गुरुवार को मंत्री दीपक बिरुवा से शहर की खासमहाल जमीन को लीज मुक्त कराने की मांग की है. लीज की समस्या को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुवा ने गुरुवार को परिसदन में व्यवसायियों के साथ दो घंटे बैठक की. उनकी समस्याओं को जाना. सभी ने एक स्वर में लीज की समस्या से निजात दिलाने की गुहार लगायी. वहीं लीजधारी संघ की ओर से मंत्री बिरुवा को ज्ञापन भी सौंपा गया.

1995 से मात्र 4 से 5 लोगों का हुआ नवीकरण

सथानीय लोगों ने मंत्री को बताया कि हर साल जमीन का लीज नवीकरण कराना होता है. उन्होंने बताया कि वर्ष 1995 में जिन्होंने लीज नवीकरण का आवेदन दिया है, इसमें से मात्र 4-5 का ही नवीकरण हो पाया है, जबकि लगभग पूरा शहर लीज की जमीन पर ही बसा है. वहीं चक्रधरपुर में फ्री होल्ड जमीन है. इसलिए वहां बड़ा निवेश होता है. चाईबासा में प्राइवेट एग्रीमेंट पर लीज जमीन की खरीद- बिक्री होती है. इसमें रुपयों का खेल होता है. इससे सरकार को काफी नुकसान होता है. यदि जमीन को एक बार में फ्री होल्ड कर दिया जाये, तो काफी हद तक समस्या दूर हो जायेगी. इस मामले को लेकर हमलोग मंत्री और मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं, अभी समाधान नहीं हो पाया है. हर बार लगान दो गुना बढ़ जाता है.

अंग्रेजी हुकूमत के बाद से नहीं बना एक भी सरकारी स्कूल

शहर के व्यवसायी संतोष सुल्तानियां ने कहा कि इससे शादी- विवाह में दिक्कत हो रही है. अंग्रेज जमाने के बाद से यहां सरकार के तरफ से स्कूल नहीं खुला है. औद्योगिक क्षेत्र में चाईबासा में कुछ नहीं है. लोग किसी तरह परिवार चला रहे हैं. सरकार को राजस्व का नुकसान अलग हो रहा है. लोगों ने लीज जमीन को फ्री होल्ड करने की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 30 साल में कई सरकार आयी और गयी, लेकिन लीज नवीकरण नहीं हुआ है.

जटिल होती जा रही प्रक्रिया

कोर्ट के पेशकार शकील अहमद ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2000 में जमीन का लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया था, उस समय 40 हजार रुपये मांगे गये थे. उन्होंने कहा कि लीज नवीकरण की प्रक्रिया दिन व दिन जटिल होती जा रही है. अपर उपायुक्त और आयुक्त के यहां लीज के कई मामले लंबित पड़े हैं. लीज भूमि पर बैंक लोन भी नहीं देता है.

खासमहाल भूमि के लिये कोई कानून नहीं बना

चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मधु अग्रवाल ने कहा कि फ्री होल्ड करने से पहले लीज रिन्युअल तो करना ही होगा. खासमहाल जमीन के लिए यहां कोई कानून नहीं बना है. केवल सरकारी आदेश पर यहां काम होता है. लीज की जमीन को अंग्रेज सीधे अपने कंट्रोल में रखते थे. नक्शा पास कराने से पूर्व जमीन की लीज करानी पड़ी थी. यह समस्या 1995 से लोगों को हो रही है. हमलोगों लीज नवीकरण के लिए 1964 से 1994 तक 600 रुपये देना पड़ता था. अभी तक 12 लाख रुपये भुगतान कर चुके हैं.

फ्री होल्ड व्यवस्था से राज्य सरकार को ये होंगे फायदे

– भू-अभिलेख पारदर्शी होंगे एवं भू- स्वामी की पहचान स्पष्ट होगी. इससे भूमि संबंधी मुकदमों में भारी कमी आयेगी.

– भूमि के खरीद फरोख्त से निबंधन एवं अल्य श्रोतों से राज्य सरकार को आय में वृद्धि होगी.

– नई संरचनाओं का निर्माण होगा, जिससे नये व्यवसाय एवं रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे.- भूमि के क्रय- विक्रय में पारदर्शिता आयेगी.

– भूमि के फ्री होल्ड होने पर बैंकों से ऋण निर्गत किया जा सकेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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