Chaibasa News : अचानक नहर में छोड़ा पानी, 3000 एकड़ में धान की फसल बर्बाद

किसानों ने खेतों में उतर कर जल संसाधन विभाग के प्रति जताया आक्रोश

By Prabhat Khabar News Desk | December 1, 2024 11:00 PM

कृष्णापुर, लांडुपोदा, इंदकांटा, ठसकपुर, रामचंद्रपुर, टिकरचांपी, कोटुवा गांव के खेतों में घुसा पानीखेत में पानी घुसने से तैयार धान की कटाई नहीं कर पा रहे किसान

चक्रधरपुर. चक्रधरपुर प्रखंड की आसनतलिया पंचायत की नहर में अचानक पानी छोड़ दिये जाने से कृष्णापुर, लांडुपोदा, इंदकांटा, ठसकपुर, रामचंद्रपुर, टिकरचांपी, कोटुवा गांव के खेतों में पानी घुस गया है. इससे 3000 एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद हो गयी है. रविवार को दर्जनों किसानों ने खेतों में उतरकर जल संसाधन विभाग के प्रति आक्रोश जताया. किसानों ने विभाग से मुआवजे की मांग की है.

किसानों ने क्षतिपूर्ति की मांग की, नहीं तो करेंगे एनएच जाम

खेत में पानी घुसने से किसान तैयार धान की फसल की कटाई भी नहीं कर पा रहे हैं. धान की खेतों में पानी भर गया है. इससे खेत कीचड़मय हो गया है. कई खेतों में घुटने भर पानी भर गया है. ऐसे में धान की कटाई मुश्किल हो गयी है. वहीं नहर के किनारे वाले खेतों से किसान धान काटकर मेड़ पर सुखा रहे हैं. धान सूखने के बाद उसे खलिहान तक ले जायेंगे. किसानों का कहना है कि शनिवार को अचानक नहर में पानी छोड़ दिया गया है. जब खेत में पानी की जरूरत रहती है, तब नहर में पानी नहीं छोड़ा जाता है. अब जब धान की फसल पूरी तरह पककर तैयार हो चुकी है. धान कटनी भी शुरू हो गयी है, तब नहर में पानी छोड़ा जा रहा है. नहर में पानी छोड़ने की सूचना किसानों को नहीं दी जाती है. किसानों ने कहा कि हमलोगों का सालों भर की मेहनत बर्बाद हो गयी है. किसान क्षतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं. किसानों ने कहा कि मांग पूरी नहीं होने पर संबंधित विभाग एवं एनएच जाम करेंगे.

कर्ज लेकर किसानों ने खेती की थी

आठ बिघा में धान की खेती की थी. इसमें 70 हजार रुपये खर्च हुए थे. 50 हजार रुपये लोन लिये हैं. अचानक नहर में पानी छोड़ देने के कारण सालों भर की कमाई बर्बाद हो गयी. विभाग इसकी क्षतिपूर्ति दे. अन्यथा उग्र आंदोलन किया जायेगा. :

विजय लमाय, इंदकांटा

सात बिघा में धान की खेती की थी. इसमें इसमें 65 हजार रुपये खर्च हुए हैं. धान पक कर तैयार हो गया था. अचानक नहर में पानी छोड़ देने से धान पूरी तरह भींग गया. इससे उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ेगा. विभाग क्षतिपूर्ति करे, नहीं तो सड़क जाम किया जायेगा. :

विजय महतो, इंदकांटा

छह बिघा में धान की खेती करने के लिए 70 हजार रुपये खर्च हुए थे. खेत में अचानक पानी भर जाने से सालों भर की मेहनत बर्बाद हो गयी है. किसानों को जल संसाधन विभाग यथाशीघ्र मुआवजा दे, नहीं विभाग का घेराव किया जायेगा. –

सुदर्शन महतो, इंदकांटा

चार बिघा में 50 हजार रुपये खर्च कर धान की खेती की थी. विभाग की लापरवाही के कारण अचानक खेतों में पानी भर गया है. इससे धान की कटाई करने में मुश्किल हो रही है. मेरा परिवार भूखे मरने की स्थिति में है. विभाग मुआवजा दे.

– चामरा सामड, इंदकांटा

पांच बिघा जमीन में धान की खेती कर सालों भर खाते थे. इसमें 40 से 50 हजार रुपये खर्च किया था. अचानक नहर में पानी आ जाने के कारण खेतों में पानी घुस गया. इससे फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी है. विभाग मुआवजा दे, नहीं तो जोरदार आंदोलन होगा.

-मानकी सामड, इंदकांटा

चार बिघा जमीन में खेती कर भविष्य में अच्छा जीवन जीने का सोचा था. खेतों में अचानक पानी घुस जाने के कारण पूरी मेहनत पर पानी फिर गया है. 40 से 50 रुपये खेती में खर्च कर दिये हैं. जल संसाधन विभाग मुआवजा दे, अन्यथा आंदोलन किया जायेगा.

-रामराई बोदरा, इंदकांटा

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