Chaibasa News : तांतनगर के दाडिमा गांव में बनेगा सीप से मोती बनाने का रिसर्च सेंटर
पश्चिमी सिंहभूम : जिले में नवागांव से शुरू हुआ सीप व मछली पालन
चाईबासा.पश्चिमी सिंहभूम जिला अब मछलियों के साथ-साथ सीपों की खेती का हब बनेगा. इसकी शुरुआत रविवार को झींकपानी प्रखंड के नवागांव में किसान विश्वनाथ तामसोय के निजी तालाब में सीपों को छोड़कर की गयी. वहीं, जिले में सीप से मोती पालन करने वाले विश्वनाथ प्रथम किसान बने. इस दौरान मत्स्य निदेशालय के मुख्य अनुदेशक प्रशांत कुमार दीपक व पर्ल फार्मिंग के मैनेजिंग डायरेक्टर सह पुरती एग्रोटेक के एग्जीक्यूटव ऑफिसर बुधन सिंह पुरती मौजूद थे.
14 एकड़ में बनेगा रिसर्च सेंटर : पुरती
इस दौरान श्री पुरती ने बताया कि इस माह मार्च महीने में पश्चिमी सिंहभूम के तांतनगर प्रखंड में 14 एकड़ में मोतियों के डीएनए का रिसर्च सेंटर सह को-ऑपरेटिव सेंटर का शिलान्यास किया जायेगा. जो देश का पहला सीप से मोती बनाने का रिसर्च सेंटर होगा.जिसमें पर्ल फार्मिंग रिसर्च सेंटर, माइक्रो शेवाल, माइक्रो बायलॉजी सीप के प्रजनन का अध्ययन किया जायेगा. यहीं से मोतियों का अंतरराष्ट्रीय व्यापार भी किया जायेगा. मोती पालन रिसर्च से संबंधित सभी विषयों पर देश-विदेश के वैज्ञानिकों से सहयोग लेकर भारत के तांतनगर के दाडिमा गांव में मोती पालक किसानों को उचित प्रशिक्षण और रिसर्च की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. 200 किसानों को जोड़कर उन्हें इस क्षेत्र में सरकार की ओर से उचित लाभ भी दिलाया जायेगा.
किसानों को विभाग की ओर से नि:शुल्क प्रशिक्षण मिलेगा
प्रधानमंत्री संपदा योजना के तहत मोती पालक किसानों को उचित लाभ दिया जायेगा. भू-स्वामियों को तालाब का निर्माण कर उपलब्ध कराया जायेगा. ऐसे किसानों को विभाग की ओर से नि:शुल्क प्रशिक्षण भी दिलाया जायेगा.
-प्रशांत कुमार दीपक, मत्स्य निदेशालय के मुख्य अनुदेशक…………………..
200 किसानों का रजिस्ट्रेशन आठ को
आठ जनवरी को जिला मत्स्य कार्यालय में नेशनल फिशरीज एंड डेवलपमेंट बोर्ड के सभी 200 किसानों का रजिस्ट्रेशन किया जायेगा. जिससे इन किसानों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ मिल सकेगा.-जीनत फातिमा, जिला मत्स्य विभाग की जिला प्रचार-प्रसार अधिकारी
……………….हजारीबाग जिले को चुना गया था क्लस्टर
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 2024 के अक्तूबर माह में फिशरी डे के दिन केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने झारखंड के हजारीबाग जिला को मोती उत्पादन का प्रथम क्लस्टर के रूप में चयन किया था. इसके तहत पूरे भारत के लिए मोती पालन का नेतृत्व करने लिए झारखंड को ही चुना गया है. मौजूदा समय में राज्य के हजारीबाग में 86, रांची में 63, गुमला में 03, खूंटी में 07, सरायकेला- खरसावां में दो तालाब में मोती की खेती की जा रही है.
किसानों ने सीप की खेती से स्वावलंबी बनने का सीखा गुर
चाईबासा. नयागांव में रविवार को मत्सय किसानों की गोष्ठी आयोजित हुई, जिसमें किसानों को मछलियों के साथ सीपों की खेती का गुर सिखाया गया. मत्स्य निदेशालय के मुख्य अनुदेशक प्रशांत कुमार दीपक ने कहा कि मछली और सीपों की खेती कर किसान स्वरोजगार कर सकते हैं. इसके लिये मत्स्य विभाग की ओर से कई स्तर पर हर प्रकार की नि:शुल्क मदद दी जा रही है. इसके लिये रांची में नि:शुल्क आवासीय ट्रेनिंग की व्यवस्था है. रहने-खाने व आने-जाने का खर्च भी विभाग वहन करेगा. पुरती एग्रोटेक के डायरेक्टर बुधन सिंह पुरती ने कहा कि अब सीपों की खेती से किसान स्वावलंबी बन रहे हैं. अब पश्चिमी सिंहभूम जिले में भी इसकी खेती शुरू हो गयी है. इसके लिये रांची स्थित पुरती एग्रोटेक में प्रशिक्षण की व्यवस्था है. सीपों की खेती आसान है. कोई भी साधारण तालाब में इसे किया जा सकता है. पशुपालन विभाग की ओर से पशु चिकित्सक बबलू सुंडी ने किसानों को पशुपालन विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी.
नया गांव ये थे उपस्थित
मछली पालक महावीर बुड़ीउली, विश्वनाथ तामसोय, ग्रामीण मुंडा मोरेन सिंह तामसोय, जोलेन तामसोय, विजय तामसोय, जगदीश सुंडी, दिलीप बलमुचू, सोमनाथ लागुरी, हवलदार तामसोय, बलदेव सांडिल, सुशील तामसोय, बादुला तामसोय आदि.
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