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Chaibasa News : होली को लेकर हर समाज का अपना रंग व खास पकवान

चाईबासा शहर में रहने वाले विभिन्न समुदाय के लोग तैयारियों में जुटे

By MANJEET KUMAR PANDEY | March 13, 2025 12:12 AM
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चाईबासा.भारतीय परंपरा में होली पर्व का अपना खास महत्व है. इसे हर समाज व क्षेत्र के लोग अलग-अलग नाम से अपने रीति-रिवाज के साथ मनाते हैं. होली पर हर समाज का अपना रंग व खास पकवान है. होली को लेकर मान्यताएं अलग-अलग हैं. कहीं होलिका दहन और उसके बाद रंगों से होली खेलने की सामान्य परंपरा है. वहीं आदिवासी समुदाय में फूलों के साथ होली मनाने की परंपरा है. चाईबासा शहर में रहने वाले विभिन्न समुदाय के लोग अलग-अलग तरह से होली मनाते हैं. इसके लिए सभी तैयारियों में जुट गये हैं. होली पर लोग मस्ती के साथ घरों में अपने समाज के अनुसार पकवान बनाते हैं…

बंगाली : बड़े- बुजुर्गों के पांव पर अबीर-गुलाल लगाकर लेते हैं आशीर्वाद

बंगाली समाज के लोग होली को दोल उत्सव के रूप में मनाते हैं. होली के दिन घर व मंदिरों में भगवान की पूजा-अर्चना कर गुलाल चढ़ाया जाता है. इसके बाद घर के बड़े- बुजुर्गों के पांव पर अबीर-गुलाल लगाकर आशीर्वाद लेते हैं. घर के बड़े बच्चों को गुलाल का तिलक लगाया जाता है. इसके बाद घर के सभी लोग होली खेलते हैं. चाईबासा के मानस घोष ने बताया कि पहले बंगाली समुदाय में होली मनाने का तरीका अलग था. पहले बंगाली समुदाय के लोग एक माह पूर्व से पलाश के फूल तोड़कर लाते थे. पानी में भिगोकर उसका रंग बनाया जाता था. उसी रंग से होली खेलते हैं.

खास पकवान : सभी के घरों में स्वादिष्ट पकवान बनाता है. इसमें मालपुवा और दहीबड़ा खास होता है.

ओड़िया : भगवान कृष्ण की मूर्ति को झुलाते हैं भक्त

ओड़िया समाज के लोग होली का त्योहार डोला पूर्णिमा के नाम से मनाते हैं. इसमें भगवान कृष्ण की मूर्ति को झूला पर रखा जाता है. भक्तजन धीरे-धीरे झुलाते हैं. भजन और भक्ति गीत गाते हैं. चाईबासा के धीरेंद्र नाथ मोहंती ने बताया कि डोला पूर्णिमा भक्तिपूर्ण और कलात्मक उत्सव है. यह त्योहार भगवान कृष्ण को समर्पित है. इसका मुख्य आकर्षण राधा-कृष्ण की मूर्तियों की भव्य शोभायात्रा है. विभिन्न गांवों और कस्बों में लोग देवी-देवताओं की प्रार्थना, फूल और रंग चढ़ाने के लिए इकट्ठा होते हैं. ओड़िया लोक संगीत व मृंदग बजता है.

खास पकवान : समाज का खास व्यंजन छेना पोड़ा, मिठाई, खीर-पुड़ी व पुआ आदि है.

मारवाड़ी : होलिका दहन के दिन घरों में होती है पूजा

होली के दिन मारवाड़ी समाज होलिका दहन के दिन घर में होलिका की पूजा करता है. इस पूजा में होलिका को जिमाया जाता है. इसके बाद तिलक कर प्रणाम करते हैं. इसके बाद परिवार के सदस्य उपले से बनी माला को लेकर होलिका दहन स्थल पर पहुंचते हैं. मुहूर्त देखकर सुबह छह बजे आम पेड़ की डाल लगाकर डंडा रोपा जाता है. होलिका दहन से पूर्व पंडित जी पूजा करते हैं. अग्नि प्रज्वलित कर पूरे- विधान से समाज के लोगों के साथ होलिका दहन की रस्म पूरी की जाती है. इसके बाद अगले दिन रंगों का त्योहार होली खेली जाती है.

खास पकवान : समाज तरह- तरह के व्यंजन परोसता है. होली से एक दिन पूर्व जिलेबी, उड़द दाल के दहीबड़ा, ठंडाई और भांग की ठंडाई बनायी जाती है. वहीं, पुआ- पुड़ी- कचौड़ी, मिठाई बनायी जाती है.

गुजराती : होलिका को नारियल व उपला करते हैं समर्पित

गुजराती समाज के लोग होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा-अर्चना करते हैं. इस दौरान समाज के लोग अपने साथ एक नारियल, उपला और हरा चना की गांठ लेकर पहुंचते हैं. इसके बाद नारियल व उपला को होलिका को समर्पित कर देते हैं. इस दौरान जल लेकर होलिका की परिक्रमा की जाती है. इसके अगले दिन समाज के लोग एक जगह पर इकट्ठा होकर रंग- गुलाल की होली खेलते हैं. शाम में अबीर खेलने का रिवाज है.

खास पकवान : घरों में दहीबड़ा, पुरी-सब्जी, पोलाव, आलू दम, पापड़, जिलेबी और बेसन के भुजिया बनाए जाते हैं. इसके अलावा ठंडाइ की व्यवस्था रहती है.

पंजाबी : मस्ती और उल्लास के बीच मनाते हैं होली

पंजाबी (सिख) समाज के लोग आम लोगों की तरह होली मनाते हैं. इससे पूर्व होलिका दहन के दिन पूजा-अर्चना की जाती है. पंजाबी लोग एक दूसरे के घर जाकर मिठाई खाते हैं, जिसे होला मोहल्ला कहा जाता है. यह त्योहार को होली के अगले दिन पवित्र धर्मस्थान श्री आनंदपुर साहिब में मनाया जाता है. पंजाबी समाज के लोगों की होली में सबसे विशेष बात यह है कि उन्होंने मस्ती और उल्लास के बीच परंपराओं की डोर को भी मजबूती से थाम रखा है.

खास पकवान : दिन भर गुझियां, ठंडाई और नमकीन की दावत चलती है. होली के दिन पुरी-पुआ, उड़द दाल का दहीबड़ा बनाया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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