चाईबासा. चाईबासा शहर के लोगों को घरों तक पेयजल पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी पेयजल का गंभीर संकट है. लोगों को जार बंद पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है. सर्वाधिक परेशानी टुंगरी मोहल्ले के लोगों को है. दरअसल, लोगों 3300 से 3500 रुपये देकर निजी मिस्त्रियों से प्लास्टिक के पाइप से घरों में पानी पहुंचा दिया है. हालांकि, बमुश्किल 20-30 मिनट पानी की सप्लाई हो पा रही है. वह भी निश्चित समय तय नहीं है. कभी सुबह 8:30 बजे, तो कभी 9:30 बजे, तो कभी 10:00 बजे. कभी दो- दो दिनों तक पानी की सप्लाई नहीं होती है. नौकरी पेशा लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दिनचर्या गड़बड़ा जाती है.
नप ने 36 करोड़ व जिला प्रशासन ने दिये 16 करोड़ रुपये
विदित हो कि शहरवासियों को पेयजल देने के लिए नगर परिषद ने वर्ष 2018 में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को 36 करोड रुपये हस्तांतरित किया. उक्त राशि से शहर व आसपास के मोहल्लों में पानी पहुंचाना था. प्राक्कलन में कुछ क्षेत्रों का उल्लेख नहीं था. ऐसे में जिला प्रशासन ने दो किस्तों में डीएमएफटी से 16 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये. इसके बाद शेष क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराने के लिए नयी जलमीनार में दो- दो युवकों को बहाल किया गया है. युवकों द्वारा मनमानी ड्यूटी करने से तय समय पर पानी की सप्लाई नहीं की जाती है. वहीं पावर कट की स्थिति में पानी नहीं मिल पाता है.
शहर में पांच जलमीनार बनायी गयी हैपेयजलापूर्ति योजना के प्लंबर बताते हैं कि शहर में पांच जलमीनार है. इनमें गांधीटोला, सदर बाजार, बड़ीबाजार, महुलसाई व सदर प्रखंड कार्यालय परिसर में एक-एक जलमीनार है. प्रत्येक मोहल्ले में 24 घंटे में सुबह 6:00 बजे से दो-तीन घंटे तक जलापूर्ति की जाती है. इसके लिए प्रत्येक जलमीनार में दो- दो कर्मी बहाल किये गये हैं.पावर कट और लो वोल्टेज से बढ़ती है समस्या
बताया गया कि महुलसाई और प्रखंड कार्यालय क्षेत्र में पावर कट और लो वोल्टेज की समस्या ज्यादा रहती है. इस वजह से क्षेत्र के लोगों को कम पानी मिलता है. जलमीनार में पानी भरने में चार- पांच घंटा लग जाता है. पावर कट होने पर पानी नहीं चढ़ पाता है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सहायक अभियंता से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गयी, लेकिन संपर्क नहीं हो सका.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है