Jharkhand news, Chaibasa news : चाईबासा (अभिषेक पीयूष) : कोरोना काल में पीपीई किट (PPE Kit) की खरीद समेत विभिन्न वित्तीय मामलों में फर्जीवाड़े के आरोपी पश्चिमी सिंहभूम जिले के सदर अस्पताल, चाईबासा में एनएचएम के अंतर्गत अनुबंध पर पदस्थापित डीपीएम यूनिट के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नीरज कुमार यादव के खिलाफ मंगलवार (27 अक्टूबर, 2020) को 2 सदस्य जांच कमेटी निरीक्षण करने पहुंची. डीसी अरवा राजकमल के निर्देश पर जांच कमेटी निरीक्षण करने पहुंची. जांच टीम का नेतृत्व कर रहे जिला भू-अर्जन पदाधिकारी सह स्वास्थ्य विभाग के नोडल प्रभारी एजाज अनवर सहित सदर प्रखंड के एमओआईसी डॉ जगन्नाथ हेंब्रम ने कोविड-19 के दौरान वित्तीय अनिमियतता की करीब 4 घंटे तक जांच की. इससे अस्पताल के पदाधिकारियों समेत अन्य कर्मियों में हड़कंप मच गया.
इस दौरान जांच टीम के द्वारा मुख्य रूप से कोरोना काल के दौरान डीपीएम नीरज यादव के द्वारा क्रय किये गये स्वास्थ्य उपकरणों एवं सामाग्रियों के एफएमआर कोड बी-31.1 से लेकर बी-7.5 तक जहां भी जितनी राशि खर्च हुई, सभी फाइलों को विस्तृत रूप से कलेक्ट किया गया. साथ ही कोविड-19 के गहन जांच से संबंधित संचिका, बिल विपत्र एवं भुगतान आदेश की कॉपी को कब्जे में लिया गया. वहीं, जांच टीम के आदेश पर जिला लेखा प्रबंधक सुजीत कुमार चौधरी के द्वारा फाइल ए-31, ए-31 वाल्यूम-2, मीटिंग रजिस्टर, 28 मई को हुए टेंडर का कंपरेटिव चार्ट, पीएफएमएस इश्यू रजिस्टर वॉल्यू-1 व 2 समेत इस्टीमेट पब्लिक हेल्थ सर्वे, गहन जांच कोविड-19 से संबंधित फाइलें सुपुर्द की गयी. इसके बाद जांच टीम ने डीपीएम यूनिट के डाटा सेल के मेन सिस्टम से सारे बैकअप को भी कलेक्ट किया. निरीक्षण और कागजात कलेक्ट कर टीम वापस लौट गयी.
इस दौरान प्रभात खबर को जांच टीम के नेतृत्वकर्ता एजाज अनवर ने बताया कि अभी केवल कोरोना काल में फर्जीवाड़ा करने के आरोपी डीपीएम नीरज यादव के द्वारा खरीद की गयी विभिन्न फाइलों को ही कलेक्ट किया जा सका है. चूंकि, कोरोना काल में हुई खरीद की फाइलें काफी अधिक है. ऐसे में डीसी के निर्देश पर जांच टीम का दायरा और भी बढ़ेगा. इधर, टीम में वित्तीय मामलों की जांच के लिए डीसी अरवा राजकमल ने एक पत्र निर्गत करते हुए जीएसटी के एक अधिकारी समेत एक अन्य पदाधिकारी को भी डिप्यूट किया है.
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सर्वप्रथम टीम के द्वारा कलेक्ट किये गये सारा डाटा का मिलान किया जायेगा. इसके बाद वित्तीय गड़बड़ी के पूरे प्रकरण की गहनता से जांच होगी. इस दौरान जांच टीम में एजाज अनवर, डॉ जगन्नाथ हेम्ब्रम के अलावा भू-अर्जन कार्यालय के दो सहयोगी कर्मी शशिकांत पांडेय एवं मनोज काउंटिया शामिल थे.
डीपीएम नीरज कुमार यादव के खिलाफ जांच करने पहुंची टीम 12.30 बजे सीधे डीपीएम कार्यालय पहुंची. यहां आधे घंटे तक टीम के द्वारा कोरोना काल के दौरान पेमेंट से जुड़ी विभिन्न फाइलों समेत वित्तीय रजिस्टर आदि को कलेक्ट किया. साथ ही सप्लाई के बाद संधारण पंजी आदि भी सदर अस्पताल के स्टोर कीपर से मंगायी गयी. इसके बाद एजाज अनवर ने स्वयं ही डीपीएम नीरज यादव के कंप्यूटर को सील कर दिया. इसके आधे घंटे के बाद जांच टीम डीपीएम यूनिट के डाटा सेल में पहुंची. यहां कार्य कर रहे सभी अनुबंधकर्मियों से उनके कार्य प्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी ली गयी. इसके बाद डाटा सेल के मेन कंप्यूटर आपरेटर के सिस्टम पर जांच टीम ने अपना कब्जा जमा लिया. यहां करीब 3 घंटों तक डाटा सेल के मेन कंप्यूटर सिस्टम को खंगालने के बाद जांच टीम सिस्टम के सारे बैकअप को अपने साथ कलेक्ट कर ले गयी.
सदर अस्पताल चाईबासा में 10.5 लाख रुपये से 1000 पीपीई किट की खरीद में हुए फर्जीवाड़ा से संबंधित खबर अखबार में प्रकाशित होने के बाद डीसी अरवा राजकमल के निर्देश पर गठित जांच समिति के द्वारा सूचित किया गया है कि उक्त जांच का दायरा वृहद है. इसके लिए अतिरिक्त पदाधिकारी सदस्य अपेक्षित हैं. ऐसे में पश्चिमी सिंहभूम के जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त के गोपनीय शाखा से मंगलवार को डीसी अरवा राजकमल ने एक पत्र निर्गत करते हुए उक्त जांच समिति में 2 अन्य पदाधिकारी को भी शामिल किया है. इसमें चाईबासा के कार्यपालक दंडाधिकारी गुलाम समदानी एवं चाईबासा के राज्यकर पदाधिकारी देवाशीष कुमार शामिल हैं. उक्त पदाधिकारियों को डीसी के द्वारा निर्देश दिया गया है कि जांच टीम का नेतृत्व कर रहे पश्चिमी सिंहभूम जिला स्वास्थ्य विभाग के नोडल पदाधिकारी सह भू-अर्जन पदाधिकारी एजाज अनवर के साथ समन्वय स्थापित करते हुए जांच में अपना सहयोग प्रदान करते हुए संयुक्त जांच प्रतिवेदन एक सप्ताह के अंदर कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे.
पश्चिमी सिंहभूम के डीसी अरवा राजकमल ने कहा कि कोरोना काल में अखबार में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए जांच टीम का विस्तार किया गया है. इसके लिए टीम में विपत्रों की जांच के लिए एक जीएसटी के अधिकारी के साथ ही एक अन्य पदाधिकारी को भी शामिल किया गया है. एक सप्ताह के अंदर जांच पूरा होने के बाद टीम को प्रतिवेदन देने को कहा गया है. इसके बाद मामले के दोषी पर कार्रवाई होगी.
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सदर अस्पताल चाईबासा के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गुप्ता ने कोरोना काल के दौरान खरीद प्रक्रिया में हुए फर्जीवाड़ा मामले को लेकर डीपीएम यूनिट के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीरज कुमार यादव पर कई प्रकार के गंभीर आरोप लगाये हैं. प्रभात खबर को सीएस डॉ ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि अनुबंधकर्मियों द्वारा उन्हें साफ तौर पर दरकिनार करते हुए कोरोना काल के दौरान अपनी मनमानी की है.
सीएस ने कहा कि कोविड के दौरान डीपीएम नीरज यादव के दौरान जो गबन का मामला प्रकाश में आया है. इससे प्रतीत होता है कि उसके द्वारा मुझे ओवरलुप करके कई बार फाइलों में साइन कराया गया है. आरोप लगाया कि उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पीपीई किट की खरीद मामले में डीपीएम के द्वारा गड़बड़ घोटाला किया गया है. खरीद को लेकर जो भी प्रक्रिया होती है, वो डीपीएम के माध्यम से ही सारी तैयारी करते हुए उनतक लायी जाती है. कोविड के दौरान हैंड सैनिटाइजर आदि सामाग्रियों की कमी होने पर स्थानीय बाजार से कोटेशन के तहत खरीद करने को कहा गया था.
सीएस ने कहा कि ऐसे में मैंने आला अधिकारियों को लिखित तौर पर सूचित भी किया कि मैं प्रशासनिक कार्यों में काफी दक्ष नहीं हूं. इसलिए प्रशासनिक कार्यों से मुझे बरी किया जाये. साथ ही मैंने यह भी लिखकर दिया कि डीपीएम यूनिट से कोई सामनजस्य नहीं बैठ पा रहा है. डीपीएम यूनिट पूरी तरह विरोधाभास से भरा हुआ है. कहा कि डीपीएम यूनिट में ठीक से कार्य हो नहीं रहा है. इसे लेकर मैं पहले भी उच्च अधिकारियों को अगाह कर चुका हूं.
सीएस ने कहा कि पीपीई किट खरीद को लेकर टेंडर किसी और फर्म के नाम से निकाला गया और खरीद किसी और फर्म से कर ली गयी. इसकी जानकारी उन्हें अखबार में खबर प्रकाशित होने के बाद हुई है. सीएस ने कहा कि उन्हें पता नहीं डीपीएस ने कब मैनुअल प्रक्रिया के तहत पीपीई की खरीद कर ली है. आगे कहा कि खरीदारी के मामले में उन्हें कभी भी डीपीएम के द्वारा ठीक प्रकार से जानकारी नहीं दी गई, चूंकि अब मामला संज्ञान में आया है तो, यह पूरी तरह जांच का विषय है. जांच होने के बाद सभी चीजें स्पष्ट रूप से सामने आ जायेगी.
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इधर, सदर अस्पताल चाईबासा के डीपीएम नीरज कुमार यादव ने सीएस के सभी आरोप को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि मौखिक में कुछ नहीं होता है. सारी चीजें लिखित में होती है. उनका काम है, सबकुछ पढ़कर साइन कराना. पढ़कर किसी फाइल में साइन नहीं किये हैं, तो ये साफ तौर पर सीएस की गलती है. वैसे भी भुगतान आदि से संबंधित फाइल मेरे नहीं डैम के द्वारा सीएस से साइन करायी जाती है.
Posted By : Samir Ranjan.