चाईबासा.नोवामुंडी प्रखंड के कुदमसदा गांव में लगभग एक साल पूर्व ईसाई धर्म अपनाने वाले “हो ” समाज के सात सदस्यों ने प्राकृतिक आस्था के अंतर्गत सरना धर्म में वापसी की. गांव के मुख्य दियुरी सीरपुती लागुरी व सहायक दियुरी बुरजू मेराल ने अराः सांडी व मूली डालि का मयोम जोरो (बलि चढ़ाकर) कर उनके वापसी होने, कुशल परिवार, गांव में सामाजिक एकता, आपसी-भाईचारा, प्रेम-बंधुत्व व सुख-समृद्धि की कामना की. इस दौरान देशाउली, ग्राम-गाइसिरी व “हाम हो, दूम हो ” के नाम पर बोंगाबुरु कर सातों सदस्यों व उनके घरों को भी जाते-परचि (पवित्र) किया गया. इसके साथ ही “हो ” समाज की रीति-रिवाज के अनुसार अपने-अपने घरों में नमा चाटु चोंदा करने की परंपरा की भी शुरुआत की गयी.
बीमारी ठीक करने सहित अन्य कारणों से अपनाया दूसरा धर्म : बुधराम
ग्रामीण मुंडा निर्मल लागुरी व आदिवासी “हो ” समाज युवा महासभा के जगन्नाथपुर अनुमंडल अध्यक्ष बलराम लागुरी के उपस्थिति में बुधराम मेराल, सुंदरी करोवा मेराल- पति बुधराम मेराल, श्रीमोती कुई सहित अन्य चार जो चर्च जा रहे थे. सदस्यों ने स्वेच्छा से सरना धर्म में वापसी की. वहीं सरना धर्म में वापसी करने वाले बुधराम (30) ने बताया कि हमारे पिता व परिवार के सदस्य बार-बार बीमार होते थे. “हो ” समाज में बार-बार सिम-सांडी, मेरोम-मिंडी और हड़ियां से बोंगाबुरु करना पड़ता है. इससे काफी परेशान थे. लंबी बीमारी को ठीक करने सहित अन्य कारणों से हम सभी ईसाई धर्म में धर्मांतरण कर लिये थे. उसने बताया कि अब हमलोग सामाजिक, धार्मिक, पारंपरिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से जागरूक हैं. आज से हमलोग सिर्फ बोंगाबुरु नहीं करेंगे और बीमार होने पर इलाज कराने के लिए अस्पताल भी जायेंगे.एक सप्ताह पूर्व ही हुए थे समाज के प्रति जागरूक
आदिवासी हो समाज युवा महासभा के जगन्नाथपुर अनुमंडल के बलराम लागुरी ने बताया कि हमलोगों ने सप्ताह पूर्व आदिवासी हो समाज युवा महासभा के तत्वाधान में सामाजिक जागरूकता को लेकर नुक्कड़ सभा की गयी थी. जिससे जागरूक होकर बुधराम मेराल व उसके परिवार वापस आये. मौके पर सोबन मेराल, अशोक लागुरी, राम प्रसाद लागुरी, गोविन्द लागुरी, कृष्णा गुईया, रासिका गुइया, ननिका मेराल आदि उपस्थित थे.
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