हर साल दीपावली में चाईबासा आते थे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, कोल्हान से था खास लगाव,देखें Pics

द्वारका शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का चाईबासा से खास लगाव रहा है. स्वरूपानंद सरस्वती महाराज पहली बार 1959 को चाईबासा पहुंचे थे. उन्होंने मनोहरपुर के पोसैता समीज में विश्व कल्याण आश्रम का निर्माण कराया.

By Samir Ranjan | September 11, 2022 11:02 PM
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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का चाईबासा से रहा खास लगाव

द्वारका शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में निधन हो गया. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का चाईबासा समेत कोल्हान वासियों से खास लगाव रहा है. चाईबासा वासियों को अपना परिवार समझते थे. यही कारण कि वह हर साल दीपावली समेत प्रमुख पर्व त्योहार में चाईबासा पहुंचते थे.

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1959 में पहली बार चाईबासा पहुंचे थे महाराज

द्वारका शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के चाईबासा आगमन पर उद्योगपति रूंगटा परिवार के महुलसाई स्थित गार्डन गेस्ट हाउस में रुकते थे. चूंकि महाजराज जी रुंगटा गार्डन गेस्ट हाउस में काफी आराम महसूस करते थे. जहां चाईबासा के लोग आकर उनका दर्शन और आशीर्वचन लेते थे. उनके आगमन को लेकर पूरे चाईबासा में उत्साह देखने का मिलता था. उन्होंने पहली बार 1959 में चाईबासा पधारे थे. उस दौरान रूंगटा के परिवार के संपर्क में आये थे. उनका मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करना और धर्म परिवर्तन करने वालों को वापस लाना था. इसके लिए उन्होंने मनोहरपुर के पोसैता समीज में विश्व कल्याण आश्रम का निर्माण कराया. जहां कई मंदिर एवं गरीबों को नि:शुल्क स्वास्थ्य उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल बनवाया. महाराज जी का चाईबासा आना-जाना हमेशा लगा रहता था.

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अंतिम बार 2018 में आये थे चाईबासा

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती चाईबासा के उद्यमी सह गुरुभाई नंदलाल रुगटा के यहां हर साल दीपावली में आते थे. धनतेस के दिन परिवार की लक्ष्मी-गणेश की वार्षिक पूजा अर्चना स्वयं करते थे. चार वर्ष पूर्व अंतिम बार चाईबासा आये थे. हालांकि, मोबाइल पर वाट्सएप व लाइव पूजा अर्चना कर गुरुभाइयों व उनके परिवारों को आशीर्वाद देते थे. चार वर्ष पूर्व स्वामी जी रात के समय मुंबई मेल से कोलकाता से चक्रधरपुर स्टेशन पहुंचे थे. चक्रधरपुर स्टेशन से सड़क मार्ग से चाईबासा रुंगटा निवास जाने और पुन: ट्रेन से वापस कोलकाता लौटने का सिलसिला 30 वर्षों तक जारी रहा था. महाराज जी को रूंगटा परिवार से भी विशेष लगाव था. यही कारण कि उनके घर में आकर अपना पूजा-पाठ करते थे. रूंगटा परिवार भी उसे देवता के समान पूजते थे. मिली जानकारी के अनुसार उद्योगपति नंदलाल रूंगटा, मुकुंद रूंगटा का जन्म संस्कार भी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने कराया था. उनकी ही असीम कृपा रूंगटा परिवार में बनी हुई है. शायद अब रूंगटा परिवार उसे भुला पाएंगे.

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