चक्रधरपुर. टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत शनिवार को चक्रधरपुर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मंडल रेल प्रबंधक तरुण हुरिया के नेतृत्व में रेलवे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग व जिला स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयास से 5 किलोमीटर वॉकथॉन का सफल आयोजन किया गया. टीबी उन्मूलन का संदेश लिखा टी-शर्ट पहने अधिकारी व स्कूली बच्चों ने हाथों में तख्तियां व बैनर लेकर नारे लगाये और लोगों को टीबी के प्रति जागरूक किया.
सुबह 8 बजे रेलवे अधिकारी क्लब में डीआरएम तरुण हुरिया ने वॉकथॉन शुरू करने की घोषणा की. यह अभियान आरइ कॉलोनी, केंद्रीय विद्यालय, महात्मा गांधी उद्यान, विद्युत सब स्टेशन, केंद्रीय ट्रेनिंग स्कूल, महात्मा गांधी सभागार, पांच मोड़, रेलवे स्टेशन व प्लेटफार्म तक गया. यहां वॉकथॉन को विश्राम दिया गया. वॉकथॉन में सैकड़ों चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, रेलकर्मी व स्कूली बच्चे शामिल हुए. रेलवे अस्पताल के चिकित्सक डॉ एस सरेन ने टीबी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी. इस मौके पर अपर मंडल रेल प्रबंधक अजित कुमार, वरीय मंडल वाणिज्य प्रबंधक आदित्य चौधरी, वरीय मंडल दूरसंचार अधिकारी एनएम दास, वरीय मंडल अभियंता (समन्वय) आरपी मीणा, डॉ एस सरेन, डॉ जी सोरेन, डॉ श्याम सोरेन, स्वास्थ्य कर्मी, स्काउट व गाइड्स और रेलवे इंग्लिश मिडियम स्कूल के बच्चे शामिल हुए.नि:शुल्क इलाज, फिर भी बढ़ रही है टीबी, चिंता का विषय : डीआरएम
मंडल रेल प्रबंधक श्री हुरिया ने कहा कि दुनिया में बहुत सारे देश हैं, सारे देश में जितनी टीबी हो रही है, उसका 30 प्रतिशत से अधिक टीबी के मरीज केवल भारत में हैं. भारत एकमात्र देश है जहां टीबी की संख्या बढ़ती जा रही है. अन्य देशों में टीबी मरीजों की संख्या घट रही है. यह चिंता का विषय है. टीबी का पूरी तरह से इलाज हो सकता है. जन जागरूकता से ही टीबी रोग का समूल नाश हो सकता है. सभी लोग अपने घर, स्कूल व दोस्तों के बीच टीबी उन्मूलन का संदेश दें, टीबी के लक्षण बतायें. अगर टीबी के मरीज हैं तो चिकित्सक से परामर्श लेकर नियमित दवा लें.
मौसमी खांसी समझ कर छिपायें नहीं, जांच करायें : डॉ अंशुमन
अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अंशुमन शर्मा ने कहा कि झारखंड सरकार की तरफ से टीबी को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है. सभी ग्रामीण पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित करें. अनुमंडल अस्पताल की ओर से दो पंचायतों को नोमिनेट कर दिया गया है. जिन्हें भी खांसी है, वे अपने सहिया या सीधे स्वास्थ्यकर्मी के माध्यम से अनुमंडल अस्पताल व रेलवे अस्पताल आकर जांच करायें. टीबी की दवा मुफ्त में मिलती है. मौसमी खांसी समझ कर घर में छिपाकर नहीं रखें. जांच के लिए आधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं.
चक्रधरपुर की हवा से ठीक हो जाते थे टीबी के मरीज : सीएमएस
सीएमएस डॉ सुब्रत मिश्रा ने कहा कि महात्मा गांधी जब चक्रधरपुर आये थे, वह सबसे पहले 3 किमी दूर सेनेटरी गये थे. जहां टीबी के मरीज रहते थे. उस दौर में टीबी की दवा नहीं थी. चक्रधरपुर की हवा में इतनी ताकत थी कि शुद्ध हवा लेकर टीबी के मरीज ठीक हो जाते थे.
नाटक प्रस्तुत कर टीबी उन्मूलन का दिया संदेश
भारत स्काउट व गाइडस के बच्चों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर टीबी उन्मूलन का संदेश दिया. नाटक के माध्यम से लोगों को बताया कि अक्सर गांव के लोग बीमार पड़ने पर चिकित्सकों का परामर्श नहीं लेते हैं. झाड़ फूंक के चक्कर में जान तक गवां देते हैं. बताया कि टीबी का समुचित इलाज है. किसी तरह का संदेह होने पर बलगम जांच करायें. टीबी की दवा नि:शुल्क मिलती है. किसी भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से प्राप्त कर सकते हैं.
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