चाईबासा : आधुनिकता संग परंपरा व संस्कृति को अपनाएं युवा : बुड़ीउली

''एक कदम संस्कृति की ओर'' पर दो दिवसीय यूथ कैंप का समापन

By Prabhat Khabar News Desk | May 30, 2024 12:01 AM

चाईबासा. बिरसा चाईबासा (संस्था) की ओर से आयोजित एक कदम संस्कृति की ओर थीम पर आधारित दो दिवसीय यूथ कैंप का समापन गांधीटोला बिरसा कार्यालय में बुधवार को हुआ. समापन समारोह में हो साहित्यकार डोबरो बुड़ीउली ने कहा कि आधुनिकता की चकाचौंध में युवा खोते जा रहे हैं और अपने परंपराओं व संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं. इसलिए संस्था का प्रयास है कि युवा अपनी जड़ों से दूर न हों और आधुनिकता के साथ अपनी परंपराओं और संस्कृति को भी साथ लेकर चलें. आज युवा पीढ़ी और बुजुर्गों के बीच में संवाद की कमी के कारण गहरी खाई बनती जा रही है. बड़े-बुजुर्गों का ज्ञान उन तक ही सीमित होता जा रहा है. कई सारे रीति-रिवाज लुप्त हो गये और कुछ लुप्त हो रहे हैं.

पर्व- त्योहार व पूजा-पाठ ज्ञान से भरपूर

बुड़ीउली ने कहा कि हमारे पर्व- त्योहार, पूजा-पाठ ज्ञान से भरपूर हैं और प्रकृति से जुड़े हैं. लेकिन आज पर्व-त्योहार सिर्फ एक मौज-मस्ती के साधन होकर रह गये हैं और उनके महत्व को कहीं न कहीं दरकिनार का दिया गया है. इसलिए यदि हमें अपने अस्तित्व को बचाए रखना है, तो अपनी संस्कृति,भाषा, परंपराओं को बचा कर रखना होगा और अपने बड़े बुजुर्गों के साथ बैठकर उनसे जानकारी लेते रहना है, ताकि हम भी उन चीजों को अगली पीढ़ी तक पहुंचा सकें.

हर पर्व को मानने के पीछे एक इतिहास : बागुन

इस दौरान बुड़ीउली ने कई कविताएं व गीत भी गाए, जिसने कार्यक्रम में समां बांध दिया. हो भाषा के जानकार सह शिक्षक बागुन बोदरा ने पर्व-त्योहारों के महत्व को बताया कि हर पर्व को मानने के पीछे एक इतिहास है और ये सभी पर्व प्रकृति से जुड़े हुए हैं. हम आदिवासी प्रकृति के पूजक हैं और हमारे पूर्वजों ने इसका बहुत ध्यान से अध्ययन कर इसकी शुरुआत की है. उन्होंने पूजा पाठ की विधि को बताया और समाज की मान्यताओं के पीछे के कारणों को बताया. समापन समारोह में विभिन्न प्रखंडों से आये युवाओं ने लोकगीत, लोकनृत्य, लोककथा व नाटक प्रस्तुत किया.

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