Chaibasa News : पांच थाना क्षेत्र में था लंबू का आतंक, लेवी वसूलना व युवाओं को संगठन से जोड़ता था
चक्रधरपुर. मुठभेड़ में मारा गये उग्रवादी लंबू के शव का हुआ पोस्टमार्टम
बंदगांव. प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ का एरिया कमांडर लंबू उर्फ राडुंग बोदरा उर्फ टीरा बोदरा की शनिवार को पुलिस से मुठभेड़ में मौत हो गयी. वह मूल रूप से बंदगांव थाना क्षेत्र के जिकिलता गांव का निवासी था. लंबू का आतंक टेबो, बंदगांव , मुरहू, रनिया व अड़की थाना क्षेत्र में था. संगठन में लंबू का काम लेवी वसूलना, लोगों की हत्या करना, गांव-गांव में जन अदालत लगाकर साम्राज्य खड़ा करना था. वह नये-नये लड़कों को संगठन से जोड़ता था.
लाका पाहन के संपर्क में आकर संगठन से जुड़ा
वह छह साल पहले पीएलएफआइ के एरिया कमांडर लाका पाहन के संपर्क में आकर संगठन से जुड़ा. गांव के लोगों ने उसके परिवार का बहिष्कार कर दिया था. इसके कारण उसे गांव वालों से नफरत हो गयी थी. उसने नक्सली बन कर अपने परिवार को गांव में स्थापित किया. लाका पाहन के बाद एरिया कमांडर लंबू बना.
पैसों के लिए गांव वालों से मारपीट करता था लंबू
लंबू का आतंक इतना था कि गांव के लोग उसके बारे में पुलिस को बताने से डरते थे. वह पैसा के लिए गांव वालों से भी मारपीट करता था. पुलिस को काफी दिनों से उसकी तलाश थी. हर बार वह पुलिस को चकमा देकर फरार हो जाता था. उसने पूरे पांच थाना क्षेत्र में अपना साम्राज्य को फैलाया. लोग उसके नाम से कांपते थे. लंबू के खिलाफ बंदगांव, टेबो, मुरहू, खूंटी सहित अन्य थानों में कुल 29 मामले दर्ज हैं. इसमें 16 कांड बंदगांव थाना में, आनंदपुर और टेबो में एक-एक, मुरहू थाना में आठ, खूंटी, अड़की और रनिया में एक-एक मामला शामिल है.
मुठभेड़ के समय लंबू के साथ पांच साथी थे
पुलिस को मालूम चला कि पीएलएफआइ के एरिया कमांडर लंबू अपने तीन-चार सदस्यों के साथ टेबो और बंदगांव थाना क्षेत्र के सीमावर्ती जंगली क्षेत्र में भ्रमणशील है. वह किसी विध्वंसक घटना को अंजाम देने की फिराक में था. इसके बाद चले सर्च अभियान के दौरान हुई मुठभेड़ में मारा गया. फायरिंग के वक्त उसके साथ करीब 5 नक्सली थे. जंगल का फायदा उठाकर सब भागने में सफल रहे.शव लाने में पुलिस का काफी मशक्कत करनी पड़ी
पुलिस ने लंबू के शव को भारी बारिश में उठा कर टेबो थाना लाया. शव को लाने के लिये पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ी. दो नदी को पार कर 23 किलोमीटर की दूरी तय कर पुलिस लाश को टेबो थाना लायी. लंबू के मौत से ठेकेदार, बालू माफिया, लकड़ी तस्कर तथा ग्रामीण में राहत मिलने की बात कही जा रही है. लंबू की मौत पुलिस के लिए काफी सफलता मानी जा रही है.छह साल पहले ग्रामीणों ने पिटाई की, तो पीएलएफआइ में शामिल हो गया लंबू
पश्चिम सिंहभूम जिले के टेबो स्थित तोमरोंग गांव के पास जंगल में शनिवार (30 नवंबर) को मुठभेड़ में मारे गये प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ के एरिया कमांडर राडुंग बोदरा उर्फ लंबू के शव का रविवार को पोस्टमार्टम हुआ. चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल में लंबू के परिजन शव लेने पहुंचे थे.
लंबू के चचेरा भाई दीकीलता निवासी सुखराम हेंब्रम और सुकई गांव निवासी जीजा सालीम मुंडू ने बताया कि लंबू छह साल पहले संगठन में शामिल हुआ था. इसके पहले लंबू अपने परिवार के साथ बरजो गांव में रहता था. उसके दो बेटी और एक बेटा है. उसका परिवार हमेशा बीमार रहता था. वह भी बीमार रहने लगा था. उसे लगता था कि डायन-बिसाही के कारण हो रहा है. लंबू बीमार होने पर गांव में लोगों से झगड़ा करता था. परेशान होकर ग्रामीणों ने एक दिन लंबू को पीट दिया. वह ग्रामीणों से बचकर जंगल की ओर भाग गया. वहां जंगल में पीएलएफआइ संगठन में शामिल हो गया.संगठन से जुड़ने के बाद दूसरी शादी की
पीएलएफआइ से जुड़ने के बाद उसने खूंटी के पातड़ाडीह गांव में सेकेंग टुडू नामक लड़की से दूसरी शादी की. दूसरी पत्नी से एक लड़का है. लंबू दोनों पत्नी को बरजो गांव में रखा था. बीच-बीच में घर आता था. उसके पीएलएफआइ में शामिल होने से गांव के लोग नाराज थे. उसे पुलिस के पास सरेंडर करने को कहते थे. वह कहता था कि एक दिन मरना ही है, तो नक्सली बन कर मरेंगे. अंततः वह मुठभेड़ में मारा गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है