ईचा डैम रद्द करने का वादा तोड़ने वालों को वोट से जवाब मिलेगा : संघ
ईचा डैम के विरुद्ध गाेलबंद हो रहे ग्रामीण, चलाया जागरूकता अभियान
By Prabhat Khabar News Desk |
April 20, 2024 12:01 AM
तांतनगर. ईचा डैम के विरुद्ध गाेलबंद हो रहे ग्रामीण, चलाया जागरूकता अभियान
तांतनगर.
तांतनगर प्रखंड के जोजोसिनी, मरांगसिनी में शुक्रवार को ईचा डैम (सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना) के दुष्प्रभाव के प्रति ग्रामीणों में जागरूकता अभियान चलाया गया. ईचा-खरकई बांध विरोधी संघ कोल्हान के अध्यक्ष बीरसिंह बुड़ीउली, संयोजक दशकन कुदादा व विधि सलाहकार सुरेश सोय ने नेतृत्व किया. इसकी अध्यक्षता ग्रामीण मुंडा दीनबंधु कालुंडिया ने की. बताया गया कि डैम रद्द करने का वादा कर सत्ता में आया झामुमो अब पलट गया है. इससे कोल्हान के 87 गांवों के प्रभावित ग्रामीणों में आक्रोश है. आदिवासी-मूलवासियों द्वारा चुनी झामुमो की सरकार ने उम्मीद के विपरीत कार्य कर डैम का स्वरूप बदलने और विस्थापितों को डबल मुआवजा देने का नया जुमला देना शुरू किया है. संघ ने 87 गांव में झामुमो को घुसने नहीं देने का एलान किया है. इसी कड़ी के तहत शुक्रवार को जोजोसिनी व मरांगसिनी में संघ ने ग्रामीणों को वादा खिलाफी का जवाब वोट से झामुमो को देने की अपील की. ग्रामीणों ने हाथ उठा कर समर्थन किया.
आदिवासियों की रक्षा के लिए कोल्हान से झामुमो को उखाड़ फेंकें : सुरेश
संघ के विधि सलाहकार सुरेश सोय ने कहा कि आदिवासियों की रक्षा के लिये कोल्हान से झामुमो को उखाड़ फेंकना जरूरी है. झामुमो के नेतृत्व में संचालित सरकार ने पूंजीपतियों की मिलीभगत से आदिवासियों विरुद्ध षड्यंत्र रचने का काम किया है. उन्होंने कहा कि झामुमो भगाओ अभियान विस्थापित क्षेत्र में घर-घर जाकर लोगों को जागृत करेंगे.
हाईकोर्ट में जनहित याचिका के लिए धन संग्रह अभियान
उन्होंने कहा आंशिक रूप से डूबने वाले गांव के ग्रामीणों को अभियान का हिस्सा बनाया जा रहा है. उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने के लिये धन संग्रह अभियान शुरू किया गया है. 126 गांव के सामाजिक, पारंपरिक, धार्मिक और आदिवासी रुढ़ी जन पारंपरिक व्यवस्था को बचाना है. इस अवसर पर श्याम कुदादा, लालू कालुंडिया,सालूका कालुंडिया, योगेश कालुंडिया, गुलिया कालुंडिया, बब्लू बरजो, सुनील बाड़ा, रोबिन अल्डा, असाई कालुंडिया, लक्ष्मी कालुंडिया, मंजू कालुंडिया, बिरसा गोडसोरा, सालुका बारी, सुनील बाड़ा, डोबरो कालुंडिया आदि मौजूद थे.