आदिवासियों के साथ हो रही है नाइंसाफी : निर्मला

चतरा: अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद व केंद्रीय सरना समिति ने सोमवार को आदिवासी-मूलवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ मौन जुलूस निकाला. जुलूस में शामिल लोग सरना पहाड़ी से नगर भ्रमण करते हुए विकास भवन तक गये. वहां जुलूस सभा में तब्दील हो गयी. सभा को संबोधित करते हुए परिषद के जिलाध्यक्ष निर्मला केरकेट्टा ने कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2017 1:26 PM
चतरा: अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद व केंद्रीय सरना समिति ने सोमवार को आदिवासी-मूलवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ मौन जुलूस निकाला. जुलूस में शामिल लोग सरना पहाड़ी से नगर भ्रमण करते हुए विकास भवन तक गये. वहां जुलूस सभा में तब्दील हो गयी.

सभा को संबोधित करते हुए परिषद के जिलाध्यक्ष निर्मला केरकेट्टा ने कहा कि झारखंड सरकार आदिवासियों को बेदखल करने पर आमादा है. गैरमजरूआ जमीन की बंदोबस्ती रद्द, लैंड बैंक की स्थापना, सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन, निजी भूमि को सीधी क्रय नीति बनाकर सरकार ने यह साबित कर दिया है कि आदिवासियों के साथ नाइंसाफी की जा रही है. आदिवासियों के साथ न्याय नहीं किया गया, तो आंदोलन करने को विवश होंगे. एलेक्जेंडर तिग्गा ने कहा की वर्ष 1996 में आदिवासियों के हित में जमीन से संबंधित बनाये गये कानून के अनुसार गरीबों को वनपट्टा दिये जाने का प्रावधान हैं. सभा को रामू मिंज, रमेश कच्छप, सरयू उरांव, मादी उरांव, सरिता टोप्पो, बिरसा उरांव, बसंती पन्ना सहित कई लोगों ने संबोधित किया. मौन जुलूस में जिलेभर से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. सभा के बाद परिषद ने राज्यपाल के नाम 19 सूत्री मांग पत्र उपायुक्त को सौंपा गया.

क्या हैं मांग
आदिवासी समुदाय की प्रमुख मांगों में वन अधिकार कानून 2006 व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अनुसूचित क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन ग्रामसभा से कराने, लैंड बैंक की स्थापना रद्द, गैरमजरूआ जमीन का रसीद निर्गत करने, झारखंड में पी पेशा कानून लागू करने, विनोबा भावे विवि में आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए पीजी छात्रावास का निर्माण कराने, सभी स्कूल व कॉलेजों में जनजातीय भाषा की
पढ़ाई शुरू कराने समेत कई मांगे शामिल हैं.

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