बरुण कुमार सिंह
टंडवा : झारखंड में मैट्रिक और इंटर की परीक्षा शुरू हो गयी है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने कहा था कि इस बार मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं सीसीटीवी की निगरानी में होगी. इससे परीक्षा में कदाचार रोकने में आसानी होगी. इसके लिए जरूरत के हिसाब से रुपये भी उपलब्ध करवा दिये. लेकिन, अधिकारियों की उदासीनता और अकर्मण्यता के कारण सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी नहीं लगाये जा सके. खासकर चतरा जिले में.
इसे भी पढ़ें : झारखंड : 20 फरवरी से होगी आठवीं बोर्ड की परीक्षा, प्रथम चरण में होगी 62 मदरसों की जांच
परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी नहीं लगाने के सवाल पर जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीइओ) देवनारायण साह ने गोल-मोल जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जिन परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी नहीं लगे हैं, वहां सीआरपी-बीआरपी को टैब से परीक्षा की निगरानी की जिम्मेवारी दे दी गयी है. यानी सीसीटीवी का काम टैब से लिया जायेगा.
सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि सीआरपी-बीआरपी को मिडिल स्कूल में ई-विद्यावाहिनी के तहत स्कूल की क्वालिटी मॉनिटरिंग के लिए टैब दिये गये हैं. इन्हें 26-27 फरवरी को टैब दिये गये हैं. अब तक इनकी ट्रेनिंग भी पूरी नहीं हुई है. सभी को टैब चलाना नहीं आता. ऐसे में ये लोग कैसे परीक्षा की निगरानी करेंगी.
इसे भी पढ़ें : झारखंड : मैट्रिक व इंटर साइंस कॉमर्स का रिजल्ट जारी, देखें टापर्स की सूची
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि जिस परीक्षा केंद्र में शिक्षकों के भी मोबाइल लेकर जाने पर रोक है, वहां बीआरपी, सीआरपी को टैब के साथ प्रवेश की अनुमति कैसे दी जा सकती है? कदाचारमुक्त परीक्षा संपन्न कराने के लिए जैक ने यह फैसला किया था. लेकिन, जिला के शिक्षा पदाधिकारी अपनी नाकामी छिपाने के लिए अलग तरीके से ड्यूटी निभा रहे हैं.
डीइओ श्री साह का तर्क भी अजीबोगरीब है. उनका कहना है कि जिन परीक्षा केंद्रों पर टैब से रिकॉर्डिंग कराने का फैसला किया गया है, वहां बिजली की समस्या है. लेकिन, सच्चाई यह है कि पास के ही परीक्षा केंद्र में सीसीटीवी लगा है. यानी आसपास के स्कूलों में से एक में बिजली की पर्याप्त व्यवस्था है, दूसरे में नहीं?