– शासन-प्रशासन के केंद्र में जन भागीदारी दिखे
– इटखोरी में सम्मेलन, मनोज चंद्रा ने आजसू का दामन थामा
इटखोरी : आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि जनता के बीच खड़ा होना और सवालों पर लड़ना ही राजनीति की दारोमदारी होगी. वे इसी मकसद से राजनीति में नेतृत्व करते हैं और कार्यकर्ताओं के बीच पार्टी का यही मूल मंत्र है. इटखोरी में आयोजित पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन सह मिलन समारोह में वे बोल रहे थे. इस समारोह में सिमरिया से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ चुके मनोज चंद्रा अपने हजारों समर्थकों के साथ आजसू पार्टी में शामिल हुए.
श्री महतो ने कहा कि मनोज चंद्रा ने पिता के संघर्ष और जनता के सवालों पर टिके रहने के जज्बे को देखा है. उनमें क्षमता और ऊर्जा है. युवाओं का साथ है, इसलिए आजसू पार्टी के साथ सिमरिया में वे नयी लकीर खीचेंगे. चतरा और सिमरिया को राजनीति और विकास के नक्शे पर दूसरे नजरिया से देखा जाता है, इन खयालों को आजसू पार्टी बदल कर रख देगी.
उन्होंने इस बात पर फिर जोर दिया कि झारखंड के मान मिजाज, विचार , सवाल और मूल जरूरतों को समझे बिना कोई नेतृत्व या राजनेता परिवर्तन की सही रूपरेखा तय नहीं कर सकता. शासन-प्रशासन के केंद्र में जन भागीदारी पहली प्राथमिकता इसकी राज्य की पहली जरूरत है. इसकी अनदेखी कर झारखंड के सपनों को साकार नहीं किया जा सकता.
वे गांव, ग्रामसभा और पिछली कतार में शामिल लोगों को सत्ता के भागीदार बनाने के पक्षधर हैं और इसके लिए ही वे स्वराज स्वाभिमान यात्रा लेकर पांच हजार गांव जा रहे हैं. किसी भी नेतृत्व की सफलता ब्लॉक स्तर पर चलने वाले प्रशासनिक ढांचे के मजबूत होने से सामने आती है, लेकिन झारखंड में तो सत्ता के समानांतर बीडीओ दारोगा राज स्थापित होता जा रहा है. गांव के लोग वही दशकों पुराने सवालों में उलझ कर रह जा रहे हैं.
श्री महतो ने कहा कि पिछड़े इलाके और हाशिये पर छोड़े जा रहे लोगों का नेतृत्व करने के लिए वे हमेशा से आगे बढ़ते रहे हैं. उन्हें पक्का यकीन है कि स्वराज और स्वाभिमान जैसे विषय पर वे लोगों को जगाने में सफल होंगे.
सम्मेलन में मनोज चंद्रा ने कहा कि सिमरिया के लोगों के साथ चलने की उनकी प्रतिबद्धता अब नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेगी. आजसू पार्टी में अगर दोबारा शामिल होने का मौका मिला है, तो उद्देश्यों को वे पूरा करेंगे. इस मौके पर रोशनलाल चौधरी ने कहा कि मनोज चंद्रा के आने से युवाओं का उत्साह बढ़ा है. पार्टी अब सिमरिया का नेतृत्व भी करेगी.
पारा टीचर लाठी नहीं, सम्मान के हकदार : सुदेश
इटखोरी पहुंचने पर पारा टीचर के प्रतिनिधिमंडल ने सुदेश महतो से मिलकर अपनी बातें रखी. बाद में श्री महतो ने मंच से कहा कि पारा टीचर लाठी नहीं सम्मान के हकदार हैं. राज्य की शिक्षा व्यवस्था इन्हीं सत्तर हजार झारखंड के युवाओं पर टिकी है. सालों से ये लोग दिहाड़ी मजदूर के पैसे पर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. ये तो मानव संसाधन और ज्ञान का बेजा इस्तेमाल करने जैसा है. इसलिए सरकार टकराव के रास्ते पर चलने के बजाय अभिभावक की भूमिका निभाए.
महज भवन बना देने से स्कूल नहीं चल सकते. वैसे भी राज्य में शिक्षकों की भारी कमी है. तब सरकार जेल भेजने और बर्खास्त करने की कार्रवाई कर क्या बतलाना चाहती है. विरोध प्रदर्शन की परिस्थतियां कैसे बनी इसके लिए भी सरकार को सोचना चाहिए. अफसर जो रिपोर्ट दे रहे हैं या हालात बता रहे हैं क्या इसके लिए एकतरफा पारा टीचर ही जिम्मेदार हैं.