शव को किसी ने नहीं दिया कंधा, दबाव के बाद वृद्ध ने दी मुखाग्नि
इचाक : बरकाकला गांव में अंधविश्वास के कारण सामाजिक रिश्ता तार-तार हो गया, दो दिनों तक नि:संतान वृद्ध महिला आरती (79 वर्ष) का शव उसके घर में पड़ा रहा पर उसे देखनेवाला कोई नहीं था. गांव के गणमान्य ग्रामीण मंगलवार सुबह तब सक्रिय हुए जब शव से दुर्गंध आने लगी, ग्रामीण जुटे फिर अग्नि संस्कार की तैयारी हुई.
महिला के शव को कोई कंधा देने वाला नहीं मिला, उसके रिश्तेदारों का कहना था कि मृत महिला के मायके से भूत प्रेत आया है जो भी कंधा देगा या मुखाग्नि देगा, भूत उसी पर आ जायेगा. आखिरकार ग्रामीण टैम्पों पर शव को लादकर श्मशान घाट ले गये, फिर बड़ा मसक्कत एवं गणमान्य लोगों के दबाब पर उसी जाति के एक वृद्ध नन्हक महतो ने मृत महिला को मुखाग्नि दी.
अग्निसंस्कार कार्यक्रम में सुरेंद्र प्रसाद मेहता, मुखिया प्रतिनिधि मंटूलाल समेत अन्य ग्रामीण शामिल थे. मालूम हो कि मृत महिला के पति चूरन महतो की मृत्यु 15 वर्ष पूर्व हो जाने के बाद से उसके देवर कार्तिक महतो ने उसे अपने घर में शरण दिया था. उसकी संपति भी अपने कब्जे में ले लिया, कार्तिक महतो की भी मृत्यु हो गयी. आज से करीब दो माह पूर्व झूला के फंदे में फंसकर उसी घर के एक बच्चे की मौत हो गयी.
इस घटना को परिजन भूत प्रेत से जोड़कर देखा, उसी दिन से मृत महिला को घर से अलग कर दिया गया था, बेसहारा महिला की देखभाल नहीं हो पाने के कारण उसकी जान चली गयी.