केरल की संस्था ने सात साल से बिछड़े पति-पत्नी को मिलाया, विधवा से सुहागिन बन गयी भूलनी
इटखोरी : सात साल पूर्व अपनों से बिछुड़ा राजवर गांव निवासी खेलावन भुइयां (65) सोमवार को अपने घर पहुंचा. खेलावन को देखकर उसकी पत्नी भूलनी देवी व पुत्र जटा भुइयां खुशी से रो पड़े. उनके खुशी का ठिकाना नहीं था. परिवार के सदस्य उसे मृत समझ चुके थे. पत्नी विधवा की तरह जीवन व्यतीत कर […]
इटखोरी : सात साल पूर्व अपनों से बिछुड़ा राजवर गांव निवासी खेलावन भुइयां (65) सोमवार को अपने घर पहुंचा. खेलावन को देखकर उसकी पत्नी भूलनी देवी व पुत्र जटा भुइयां खुशी से रो पड़े. उनके खुशी का ठिकाना नहीं था. परिवार के सदस्य उसे मृत समझ चुके थे. पत्नी विधवा की तरह जीवन व्यतीत कर रही थी. उसने मांग में सिंदूर भरना व कलाई में चूड़ी पहनना छोड़ दिया था. पति को देखकर उसने तुरंत मांग में सिंदूर भरा व सुनी कलाइयों में चुड़ी पहनी.
खेलावन ने बताया कि वह सात साल पहले मजदूरी करने बेंगलुरु गया था. जब वह अपने साथियों के साथ घर आने लगा तो रेलवे स्टेशन पर ही खो गया था. उसके बाद मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गया. पैदल चलते-चलते केरल के एर्नाकुलम पहुंच गया.
कैसे आया वापस
मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के बाद वह एर्नाकुलम पहुंचे खेलावन को सड़क पर भटकते देख केरल की संस्था दिव्य करुणा चेरिटेबल ट्रस्ट के लोगों ने उसे अपने साथ रखा. तीन साल तक वह संस्था के देख रेख में रहा. उसे पहुंचाने आयी संस्था की सिस्टर स्टेला व सिस्टर एलिजाबेथ ने बताया कि मानसिक रूप से बीमार खेलावन का इलाज कराया गया. जब उसे याद आने लगा तो घर का पता बताया. उसके बाद उसे इटखोरी थाना लेकर आये, जहां से परिजनों को सौपा गया.
…और विधवा से सुहागिन बन गयी भूलनी
पति को अपने सामने देखकर भूलनी को विश्वास ही नहीं हो रहा था. उसे लगा कि कहीं मैं दिन में भी सपना देख रही हूं. विधवा की तरह जीवन जी रही भूलनी के जीवन में बाहर आ गया. देखते ही देखते वह सुहागिन बन गयी, गांव के लोगों में भी खुशी है.