एक दर्जन मकानों को तोड़ा गया
वन भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने को लेकर वन िवभाग का अिभयान चतरा : वन विभाग की टीम लावालौंग प्रखंड के लमटा में वन भूमि पर बने करीब एक दर्जन मकान को ध्वस्त कर दिया. वन भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने को लेकर यह अभियान चलाया गया. यह कार्रवाई वन सुरक्षा पदाधिकारी सह रेंजर उमेश प्रसाद के […]
वन भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने को लेकर वन िवभाग का अिभयान
चतरा : वन विभाग की टीम लावालौंग प्रखंड के लमटा में वन भूमि पर बने करीब एक दर्जन मकान को ध्वस्त कर दिया. वन भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने को लेकर यह अभियान चलाया गया. यह कार्रवाई वन सुरक्षा पदाधिकारी सह रेंजर उमेश प्रसाद के नेतृत्व में की गयी. मौके पर लावालौंग बीडीओ मजिस्ट्रेट के रूप में उपस्थित थे.
थाना प्रभारी व सुरक्षा बल के जवान की मौजूदगी में अभियान चलाया गया. रेंजर ने बताया कि उक्त भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर कुछ लोग घर बनाकर रह रहे थे. चिन्हित कर अतिक्रमण हटाया गया. मकान तोड़े जाने से लोगो में आक्रोश है. मंगलवार को भुक्तभोगी डीसी से मिलने पहुंचे थे.
घर तोड़े जाने की जानकारी दी. साथ ही रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की. डीसी से मिलने पूर्व मुखिया अमित चौबे, भोला प्रसाद, वरीय भाजपा नेता प्रवीणचंद्र पाठक शामिल थे. विनोद मोची ने बताया कि उक्त भूमि पर सौ साल से घर बनाकर रह रहे हैं. सोमवार को वन विभाग की टीम अचानक पहुंच कर मिट्टी के बने मकानों को ध्वस्त कर दिया. घर में रखे सभी खाने, पीने का सामान बर्बाद हो गया. फिलहाल वे टूटे घर के सामने प्लास्टिक लगाकर पूरे परिवार के साथ रह रहे हैं. ग्राम सभा से पारित कर सीओ के माध्यम से वन विभाग को वन अधिकार अधिनियम के तहत वन पट्टा देने का प्रस्ताव अनुमंडल पदाधिकारी को भेजा गया हैं. लेकिन वन विभाग ने वनपट्टा देने से इंकार कर दिया.
सौ साल से रहने की बात झूठी : रेंजर : रेंजर उमेश प्रसाद ने बताया कि वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जा रहा है. इस अभियान के तहत उक्त गांव में भी अतिक्रमण हटाने को लेकर कार्रवाई की गयी. ग्रामीणों की सौ साल से रहने की बात झूठी है. 1970 में उक्त भूमि पर विभाग द्वारा पौधरोपण किया गया था. पूर्व में जमीन खाली करने के लिए कई बार नोटिस दिया गया था.
ग्रामीण प्रमाण दें, तो वनपट्टा दिया जायेगा : उपायुक्त : उपायुक्त जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि उक्त जमीन पर सौ साल से रहने का ग्रामीण प्रमाण दें, तो वन अधिकार अधिनियम के तहत वनपट्टा दिया जायेगा. वन भूमि में रहने के कारण वन विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाया गया. आगे कहा कि फिलहाल भुक्तभोगी वहीं रहें, डीएफओ से बात कर समस्या का हल करने का प्रयास करुंगा.