इटखोरी/चतरा : झारखंड में बोलना ही संगीत और चलना ही नृत्य है. झारखंड की धरा में सिर्फ खनिज ही नहीं, बल्कि यह धर्म स्थली के रूप में भी जाना जाता है. यहां के धार्मिक स्थलों में इतिहास की कई कहानियां छिपी हैं. परंपरागत व्यवस्थाओं, सांस्कृतिक विरासत के साथ झारखंड की अलग पहचान है. ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कही. मुख्यमंत्री बुधवार को चतरा के ईटखोरी स्थित मां भद्रकाली मंदिर परिसर में आयोजित राजकीय ईटखोरी महोत्सव के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे.
यह सौभाग्य है, मैं पुनः यहां आया
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पूर्व ही मां भद्रकाली के दर्शन का अवसर मिला था. मां ने फिर से मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर दिया. यह मेरा सौभाग्य है. चतरा में स्थित मां कौलेश्वरी मंदिर के विकास को लेकर सरकार कार्य करेगी. सरकार का प्रयास है कि आने वाले समय में झारखंड धार्मिक स्थल के रूप में भी जाना जाए. मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा अपनी परंपराओं के साथ नित्य आगे बढ़े.
चतरा के विकास को प्राथमिकता मिले : सत्यानंद भोक्ता
मंत्री श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण सत्यानंद भोक्ता ने कहा है कि आज से महोत्सव का शुभारंभ हो रहा है ये हर्ष का विषय है. चतरा स्थित तमसीन में भी इस तरह के समागम का आयोजन होना चाहिए. जहां बिहार और झारखंड के लोग जुटते हैं. चतरा पिछड़ा जिला है. राज्य सरकार चतरा के विकास को प्राथमिकता दे.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ईटखोरी की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाली पुस्तक का विमोचन किया और शिक्षाविद विद्यानंद झा, पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख को सम्मानित किया. पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने उद्घाटन कार्यक्रम में ‘झारखंड की धरती से निकली है आवाज… पारसनाथ की चोटी से उठी है आवाज…’ गीत प्रस्तुत किया.
ये लोग थे उपस्थित
इस अवसर पर चतरा सांसद सुनील कुमार सिंह, बरही विधायक उमाशंकर अकेला, सिमरिया विधायक किशुन कुमार दास, जिला परिषद अध्यक्ष ममता देवी, आयुक्त उतरी छोटानागपुर अरविंद कुमार, डीआईजी पंकज कम्बोज, उपायुक्त चतरा जितेंद्र कुमार सिंह, निदेशक कला संस्कृति विभाग दीपक कुमार शाही, उप विकास आयुक्त चतरा मुरली मनोहर प्रसाद, पुजारी मां भद्रकाली मंदिर नागेश्वर तिवारी व अन्य उपस्थित थे.