टंडवा : एशिया की सबसे बड़ी कोल परियोजना में लटका ताला, 1100 वर्कर बेरोजगार

वरुण सिंह 13 फरवरी से ही बंद है कोयले का खनन कार्य, कंपनी ने ‘नो वर्क-नो पे’ का बोर्ड लगाया टंडवा : एशिया की सबसे बड़ी मगध कोल परियोजना में ताला लटक गया है. यहां 13 फरवरी से ही खनन पूरी तरह बंद है. कंपनी द्वारा ‘नो वर्क नो पे’ नियम लागू कर दिया गया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2020 7:16 AM
वरुण सिंह
13 फरवरी से ही बंद है कोयले का खनन कार्य, कंपनी ने ‘नो वर्क-नो पे’ का बोर्ड लगाया
टंडवा : एशिया की सबसे बड़ी मगध कोल परियोजना में ताला लटक गया है. यहां 13 फरवरी से ही खनन पूरी तरह बंद है. कंपनी द्वारा ‘नो वर्क नो पे’ नियम लागू कर दिया गया है, जिससे 1100 वर्कर बेरोजगार हो गये हैं. टेंडर निकालने के बाद सीसीएल द्वारा जमीन अधिग्रहण में रुचि नहीं लेने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है. जमीन नहीं मिलने से कोयला रखने की समस्या उत्पन्न हो गयी है.
लातेहार जिले में पड़नेवाले आरा चमातु माइंस लगभग 1900 एकड़ में प्रस्तावित है. उक्त माइंस में आरा, चमातु, कुंडी, देवलगड्डा आदि गांव की जमीन अधिग्रहण क्षेत्र में आती है, लेकिन नौकरी व मुआवजा पूर्णत: नहीं मिलने से अधिग्रहण की समस्या बनी हुई हैं.
आरा चमातु माइंस में 225 मिलियन टन कोयले का भंडारण है. उक्त कोल परियोजना में खनन कार्य को लेकर 2016 में टेंडर निकाला गया था. जमीन की समस्या के कारण परियोजना शुरू करने में भी देर हुई. किसी तरह परियोजना छह नवंबर 2019 को शुरू हुई, लेकिन महज तीन माह में ही बंद हो गयी.
अब तक निकाला जा चुका है तीन लाख टन कोयला : कोयला उत्खनन का ठेका आठ वर्षों के लिए वीपीआर माइनिंग व पीएलआर कंपनी को मिला है. सीसीएल द्वारा जमीन अधिग्रहण किये बिना टेंडर निकालने से कंपनी की समस्या बढ़ गयी है. वीपीआर कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 24 लाख टन ओबी व तीन लाख टन कोयला निकाला जा चुका है. वहीं, आठ लाख टन कोयला से ओबी हटा लिया गया है.
बताया गया कि मगध के आरा चमातु पेच से कोयला डिस्पैच के लिए छह कांटा घर की जरूरत है, जबकि सीसीएल द्वारा मात्र दो कांटा घर बनाया गया है, जिसमें एक कांटा चालू हो पाया है. कांटा घर नहीं बनने से कोयला ढुलाई संभव नहीं हो पा रही हैं. इससे खनन कंपनी ने कोयला निकलना बंद कर दिया है. सूत्रों की मानें, तो अगर सीसीएल एक सप्ताह में पहल नहीं करती हैं, तो खनन कंपनी बोरिया बिस्तर समेटने के मूड में है.
खनन कंपनी को प्रतिदिन पचास लाख का नुकसान
खनन कार्य बंद होने से सीसीएल से प्रतिदिन 40 हजार टन कोयला व 40 हजार टन ओबी का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. वहीं, कंपनी के 84 हाइवा, दस डंपर, चार टैंकर, 18 ग्रेडर खड़े हैं. उत्पादन नहीं होने से खनन कंपनी हर दिन 50 लाख रुपये नुकसान का दावा कर रही है.काम पूर्णत: बंद नहीं हुआ है. उत्पादन की गति धीमी हो गयी है. जमीन संबंधी समस्या को लेकर कुछ दिक्कत है. इसे दूर करने का प्रयास हो रहा है.
भोला सिंह, निदेशक तकनीकी, सीसीएल
जमीन समस्या का जल्द निदान नहीं निकलने से उत्पादित कोयला रखने का स्थान नहीं मिल पा रहा है. इस कारण उत्पादन प्रभावित है. उम्मीद है जल्द समाधान हो जायेगा.
अवनीश कुमार, पीओ, मगध
लगभग तीन लाख टन कोयला स्टॉक में है. डिस्पैच नहीं होने से उसमें आग लगने की आशंका है. डिस्पैच शुरू होने पर ही खनन संभव है. डिस्पैच के बाद ही भुगतान होगा.
निवासन रेड्डी, मैनेजर, वीपीआर कंपनी

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