कंघी निर्माण में जुटे थे 45 परिवाऱकाम के लिए दूसरे प्रदेश पलायन कर गये कई लोगप्रतापपुऱ प्रखंड में लकड़ी के अभाव में कुटीर उद्योग (कंघी निर्माण) दम तोड़ रही है़ प्रखंड के कथेड़ी जाति के 45 परिवार लगभग डेढ़ सौ वर्षों से कंघी निर्माण कर अपने परिवार का लालन पालन करते आ रहे थे़ लेकिन जंगलों में करम, कारी, गुरीछ की लकड़ी नहीं मिलने के कारण यह धंधा बंद हो गया है़ कंघी निर्माण कर रांची, गया, धनबाद, आसनसोल आदि जगहों में जाकर बेचा करते थे़ कथेड़ी जाति के लोग गांव में घर-घर जाकर कंघी बेचते थे़ लेकिन लकड़ी नहीं मिलने से कई परिवारों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है़ प्रखंड के 108 वर्षीय प्रताप सिंह ने बताया कि बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कृष्ण बल्लभ सहाय ने हंटरगंज, प्रतापपुर, कुंदा वन क्षेत्र से कंघी बनाने के लिए कम पैसे में लकड़ी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. कुछ वर्षों तक धंधा ठीक-ठाक चला़ लकड़ी के अभाव में अधिकांश परिवार के लोग दूसरे प्रदेश काम के लिए पलायन कर चुके हैं़
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लकड़ी के अभाव में कंघी निर्माण बंद
कंघी निर्माण में जुटे थे 45 परिवाऱकाम के लिए दूसरे प्रदेश पलायन कर गये कई लोगप्रतापपुऱ प्रखंड में लकड़ी के अभाव में कुटीर उद्योग (कंघी निर्माण) दम तोड़ रही है़ प्रखंड के कथेड़ी जाति के 45 परिवार लगभग डेढ़ सौ वर्षों से कंघी निर्माण कर अपने परिवार का लालन पालन करते आ रहे थे़ लेकिन […]
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