कान्हाचट्टी. करमा-गड़िया पथ का निर्माण छह वर्षों से बंद है. इससे लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है. सड़क नहीं बनने से करीब 25 हजार की आबादी प्रभावित है. दो दर्जन गांवों के लोगों को आवागमन करने में परेशानी हो रही है. सड़क पर बिछाये गये बोल्डर के बाहर निकल आने से वाहन तो क्या पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है. सड़क का निर्माण आरइओ विभाग के तहत कोडरमा के अनिल कंस्ट्रक्शन द्वारा वर्ष 2008 में शुरू किया गया था.
12 किमी सड़क बननी थी, जिसकी प्राक्कलित राशि चार करोड़ रुपये थी. सड़क का काम शुरू होने के कुछ दिनों बाद माओवादियों द्वारा जेसीबी मशीन में आग लगा दी गयी. लेवी नहीं मिलने पर माओवादियों ने यह कार्रवाई की थी. माओवादियों ने संवेदक को कार्य करने पर रोक लगा दी. कुछ दिन बाद पुन कार्य शुरू किया गया. सात किलोमीटर तक ग्रेड-टू तक काम किया गया. इसके बाद संवेदक बिना कारण बताये काम छोड़ दिया. कई बार संवेदक को विभाग कार्य करने के लिए पत्र लिखा. लेकिन संवेदक बहाना बनाकर कार्य करने से इनकार कर दिया.
एनओसी नहीं मिलने से बंद है काम: संवेदक
संवेदक अनिल पांडेय ने बताया कि वन विभाग द्वारा चार किलो मीटर सड़क निर्माण पर रोक लगा दी गयी. सड़क निर्माण के लिए वन विभाग ने अबतक एनओसी नहीं दिया है. साथ ही कार्य करने पर मुकदमा करने की चेतावनी दी है. यहीं वजह है कि सड़क का निर्माण बंद कर दिया गया. एनओसी मिलता है, तो आगे का काम किया जायेगा. इसकी सूचना उपायुक्त को दी गयी है.
काम शुरू नहीं हुआ, तो एफआइएआर
आरइओ के कार्यपालक अभियंता गंगा प्रसाद महतो ने कहा कि संवेदक को नोटिस भेज कर कार्य शुरू करने को कहा गया है. संवेदक द्वारा कार्य शुरू नहीं किया गया, तो उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज व विभागीय कार्रवाई की जायेगी. सड़क का नया प्राक्कलन तैयान कर री-टेंडर किया जायेगा. इसकी सूचना विभाग के वरीय पदाधिकारियों को दी जायेगी.
इन गांवों के लोग हो रहे प्रभावित
सड़क नहीं बनने से तुलबुल, करमा, परसौनी, गड़िया, कंदीर, अमकुदर, लारा लुटूदाग, मंझौलिया, जसपुर, केंदुआ सहौर, पथेल, नारे, धवैया, पचफेड़ी, बघमरी, बीरबीरा, बेरौनीटांड़ समेत कई गांवों के लोग प्रभावित हो रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क नहीं बनने से वाहनों का आवागमन नहीं हो रहा है. पैदल चल कर तुलबुल आना-जाना पड़ता है.