एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट का नहीं जुड़ पाया एक भी ईंट
बरही : विकास के नजरिये से देखें, तो वर्ष-2016 बरही के लिए कोई खास उपलब्धि भरी नहीं रही. छोटे- मोटे विकास कार्यों को छोड़ दें, तो यहां कोई बड़ी योजनाओं को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. गौरियाकरमा में इस साल भी राष्ट्रीय स्तर के इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट आइएआरआइ का निर्माण शुरू नहीं हो पाया. […]
बरही : विकास के नजरिये से देखें, तो वर्ष-2016 बरही के लिए कोई खास उपलब्धि भरी नहीं रही. छोटे- मोटे विकास कार्यों को छोड़ दें, तो यहां कोई बड़ी योजनाओं को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. गौरियाकरमा में इस साल भी राष्ट्रीय स्तर के इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट आइएआरआइ का निर्माण शुरू नहीं हो पाया. इस महत्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास 28 जून 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था़ शिलान्यास के डेढ़ वर्ष बीत गये, लेकिन एक हजार करोड़ की लागत से बनानेवाली आइएआरआइ योजना के लिए एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी.
इसी तरह कोल्हुआकला भंडारो इलाके में लगनेवाली अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट परियोजना की भी यही गति हुई़ तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को स्वीकृति मिली थी़ जमीन का अधिग्रहण भी हो चुका है. तब 16 हजार करोड़ की लागतवाली परियोजना के निर्माण का काम अनिल अंबानी के रिलायंस पावर कंपनी को मिला था. कार्य में प्रगति नहीं होने से परियोजना रिलायंस के हाथ से निकल गयी.
परियोजना का प्राक्कलन व पुन: टेंडर का काम इस वर्ष भी नहीं हुआ. 15-16 करोड़ की लागत वाली बरही नयी जलापूर्ति योजना का निर्माण कार्य भी इस वर्ष भी पूरा नहीं हुआ. इसके अलावा बरही- हजारीबाग सड़क की चौड़ीकरण, ट्रामा सेंटर जैसी कई योजनाओं पर भी काम नहीं हुआ. वहीं उदघाटन के बाद भी इस वर्ष बसस्टैंड में यात्री वाहनों का ठहराव शुरू नहीं हो पाया़