खुले आसमान के नीचे काम करने को मजबूर हैं अधिवक्ता

अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मंगलवार को है. देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर अधिवक्ता दिवस मनाया जाता है. जिले के अधिवक्ता कई समस्याओं से जूझ रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 2, 2024 8:31 PM

चतरा. अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मंगलवार को है. देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर अधिवक्ता दिवस मनाया जाता है. जिले के अधिवक्ता कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. अधिवक्ताओं के साथ मुवक्किलों को भी परेशानी होती है. अधिवक्ताओं का अपना भवन नहीं है, जिसके कारण न्यायालय के बाहर खुले आसमान के नीचे बैठ कर कार्य करते हैं. कुछ अधिवक्ता टीन की शीट व प्लास्टिक का तंबू बना कर तो कुछ अधिवक्ता कुटुंब न्यायालय के पुराने भवन में बैठ कर कार्य निबटाते हैं. सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है, जिससे अधिवक्ताओं को हमेशा असामाजिक तत्वों से डर बना रहता है. पेयजल, शौचालय की सुविधा नहीं हैं. शौचालय नहीं रहने से अधिवक्ताओं के साथ-साथ मुवक्किलों को भी परेशानी होती है.

अधिवक्ताओं के लिए कोई एजेंडा नहीं : शक्ति सिंह

बार एसोसिएशन के पूर्व जिलाध्यक्ष शक्ति कुमार सिंह ने कहा कि सभी लोगों के लिए सरकार के पास एजेंडा हैं, लेकिन अधिवक्ताओं के लिए कोई एजेंडा नहीं हैं. जब तक काम करते हैं, घर परिवार चलता हैं. इसके बाद कोई पूछने वाला नहीं हैं. सरकार की पेंशन देने की योजना अधर पर है.

शौचालय व सुरक्षा की व्यवस्था नहीं : आभा ओझा

महिला अधिवक्ता आभा ओझा ने कहा कि महिला अधिवक्ताओं के लिए कोई सुविधा नहीं है. शौचालय के साथ-साथ सुरक्षा की व्यवस्था नहीं हैं. जिससे काफी परेशानी होती हैं. अपना भवन नहीं रहने के कारण जहां-तहां बैठ कर काम निबटाते हैं. हमेशा असुरक्षित महसूस करती हूं.

बैठने की व्यवस्था नहीं : शेखर सिन्हा

अधिवक्ता शेखर सिन्हा ने कहा कि बैठने की व्यवस्था नहीं हैं. अपना भवन नहीं होने के कारण कई तरह की समस्या होती हैं. शौचालय व पानी की व्यवस्था नहीं हैं. इस ओर किसी का ध्यान नहीं हैं. भवन का शिलान्यास किया गया हैं, लेकिन अब तक भवन नहीं बना हैं.

प्रोत्साहन राशि अब तक नहीं मिला : सतीश पांडेय

अधिवक्ता सतीश कुमार पांडेय ने कहा कि सरकार द्वारा नये अधिवक्ताओं को प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की गयी है. सरकार ने राशि बार काउंसिल को दे दिया है, लेकिन अब तक इसका लाभ नहीं मिला हैं. न्यायालय परिसर में बैठने व सुरक्षा का व्यवस्था का कोई व्यवस्था नहीं है.

हर मौसम में बाहर बैठ कर काम निबटाते हैं : संतन जी

अधिवक्ता संतन जी ने कहा कि अधिवक्ताओं को बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं. ठंड, गर्मी, बरसात तीनों मौसम में बाहर बैठ कर काम निबटाते हैं. गर्मी में दस्तावेज उड़ने व बरसात के दिनों में भींगने का डर बना रहता है, जिसके कारण वाहन में दस्तावेज रखना पड़ता हैं.

कोर्ट फीस बढ़ने से न्याय महंगा हुआ : सत्यानारायण लाल

वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यनारायण लाल ने कहा कि कोर्ट फीस बढ़ गया हैं. जिससे गरीबों को न्याय मिलना मुश्किल हो गया है. कोर्ट फीस बढ़ने से सबसे अधिक गरीब व मध्यम परिवार के लोगो को परेशानी होती हैं. अधिवक्ताओं के लिए अपना भवन भी नहीं हैं, जिससे परेशानी होती है.

सबसे बड़ी समस्या शौचालय : पूनम कुमारी

महिला अधिवक्ता पूनम कुमारी ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या शौचालय की है. महिला अधिवक्ताओं को सबसे अधिक परेशानी होती है. पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है. अधिवक्ताओं की समस्या समाधान की ओर किसी का ध्यान नहीं हैं, जिससे परेशानी हो रही है.

बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं : समर संकल्प

अधिवक्ता समर संकल्प ने कहा कि बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं है. भवन नहीं रहने से शौचालय व पानी की सुविधा नहीं है. काफी संख्या में हर रोज लोग न्यायालय आते हैं. न्यायालय परिसर में पोस्ट ऑफिस होना चाहिए. डाक भेजने के लिए जाम की समस्या से जूझना पड़ता हैं.

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