भीषण गर्मी में पानी के जुगाड़ में भटक रहे हैं लोग
चतरा. शहर के लाइफ लाइन कहे जाने वाले हेरू डैम के बाद अब भेड़ीफॉर्म स्थित लक्ष्मणपुर डैम भी सूख गया हैं. दोनों डैम सूखने से शहर में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. कई मुहल्लों में 10 दिन से पेयजलापूर्ति ठप हैं. अब फिलहाल कुछ माह तक शहर में पेयजलापूर्ति नहीं होने की उम्मीद हैं. मार्च माह के पहले सप्ताह में ही हेरू डैम सूख गया था, इसके बाद 14 किमी दूर भेड़ीफॉर्म स्थित लक्ष्मणपुर डैम से शहर में तीन-चार दिनो के अंतराल पर पेयजलापूर्ति की जा रही थी. लेकिन वह भी डैम सूख जाने से पेयजलापूर्ति पूरी तरह से ठप हो गयी हैं. भीषण गर्मी में लोगों को पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा हैं. साइकिल, टेंपो, ठेला, बाइक से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं. लोगों को प्यास बुझाने के साथ-साथ रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पानी का जुगाड़ करना पड़ रहा है. जिसके कारण लोगो का दिनचर्या भी खराब हो रहा हैं. कई मुहल्लों का चापाकल खराब पड़ा हैं तो कई चापाकल का जलस्तर काफी नीचे चला गया. चापाकल से पानी निकालने के लिए लोगो को खूब पसीना बहाना पड़ रहा हैं. जिस चापाकल में पानी दे रहा हैं, वहां अहले सुबह से लेकर देर रात तक लोगो की भीड़ लग रही है. सबसे अधिक भीड़ सुबह व शाम लग रही हैं. पानी लेने को लेकर आपस में तू-तू, मैं-मैं होते देखा जा रहा हैं. हालांकि नगर परिषद द्वारा कुछ मुहल्लो में टैंकर के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा हैं, जो पर्याप्त नहीं हैं. एक ओर जहां पानी के लिए शहर में हाहाकार मचा हुआ हैं, वहीं दूसरी ओर जनप्रतिनिधि व पदाधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं हैं. पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही हैं. लोग खुद जैसे तैसे पानी का जुगाड़ कर काम चला रहे हैं.
पानी खरीद कर बुझा रहे हैं प्यासपेयजल संकट से जूझ रहे शहरवासी आरओ पानी खरीद कर प्यास बुझाने को मजबूर हैं. 25 से 30 रुपये प्रति जार पानी खरीद कर काम चला रहे हैं. आरओ पानी की मांग बढ़ गयी हैं. कई लोग टेंपो से पानी बेचना शुरू कर दिया हैं. टेंपो में एक हजार लीटर पानी 350 रुपये में घर पहुंचा रहे हैं, उसके लिए भी नंबर लगाना पड़ रहा है. इसके अलावा निजी टैंकर से भी लोग पानी खरीद कर काम चला रहे हैं. जिससे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ परेशानी भी हो रही हैं.
हेरू डैम का गहरीकरण व जीर्णोद्धार के नाम पर हुई खानापूर्तिनगर परिषद क्षेत्र के लाईफ लाईन कहे जाने वाले हेरू डैम का गहरीकरण व जीर्णोद्धार के नाम पर सिर्फ़ खानापूर्ति की गयी है. डैम गहरीकरण का लाभ शहरवासियों को नहीं मिला. एक साल पहले पौने तीन करोड़ की लागत से पूजा कंस्ट्रक्शन के द्वारा हैरू डैम का गहरीकरण व जीर्णोद्धार कराया गया था. जैसे तैसे काम कर राशि की निकासी कर ली गयी. डैम का गहरीकरण होने से अत्यधिक पानी का जमाव होने और शहर वासियों को पेयजल संकट से निजात मिलने की उम्मीद थी, लेकिन गहराई सही से नहीं होने के कारण कोई लाभ नहीं मिला. प्राक्कलन के अनुसार काम नहीं किया गया. बता दें कि हैरू डैम का निर्माण 1974 में किया गया था. इसके बाद पहली बार डैम का गहरीकरण कराया गया था. लेकिन एक सीजन भी शहरवासियों को लाभ नहीं मिला, गर्मी शुरू होते ही जवाब दे दिया. इसके पूर्व 2016 में एनटीपीसी के द्वारा कुछ कार्य किया गया था, उसमें भी खानापूर्ति की गयी थी.
लोगों ने कहा
सूरजभूषण शर्मा ने कहा कि डैम निर्माण में बरती जा रही अनियमितता की शिकायत मंत्री व तत्कालीन उपायुक्त से की गयी थी, लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया था. अमित कुमार, बजरंगी कसेरा, मो. सोहेल ने कहा कि गर्मी शुरू होते ही पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं. डैम गहरीकरण व जीर्णोद्धार से पानी की समस्या से निजात मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला. नगर परिषद दो-तीन टैंकर पानी वितरण कर सिर्फ खानापूर्ति कर रही हैं. लोगो ने उपायुक्त से शहर में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पानी वितरण कराने की मांग की.
पेयजलापूर्ति करना संभव नहीं : इइपीएचईडी के कार्यपालक अभियंंता अजय कुमार सिंह ने कहा कि दोनो डैम सूख गया हैं. रविवार को अंतिम दिन काली पहाड़ी से पेयजलापूर्ति की गयी हैं. अब पेयजलापूर्ति करना संभव नहीं हैं. इसकी जानकारी उपायुक्त व नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को दे दी गयी हैं.
पानी वितरण का कोई विकल्प नहीं : ईइओ नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी विनीता कुमारी ने कहा कि जब तक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी पहुंच रहा है, तब तक कुछ मुहल्लो में टैंकर के माध्यम से पानी आपूर्ति की जा रही है. दोनो डैम सूखने के बाद पानी का कोई विकल्प नहीं हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है