सिमरिया. प्रखंड की लाइफलाइन कही जाने वाली मानत नदी सूख गयी है, जिससे किसानों के समक्ष पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. नदी के किनारे लगी गरमा फसल पानी के अभाव में मर रही हैं. नदी किनारे 50 एकड़ से अधिक जमीन में खेती कर किसान अच्छी आमदनी करते हैं, लेकिन इस बार नदी के सूख जाने से नुकसान उठाना पड़ रहा है. कुछ किसान जेसीबी से चुआं खोद कर फसलों को सिंचित कर रहे हैं. सबसे अधिक परेशानी नदी के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने पहुंच रहे लोगों को हो रही है. शव को जलाने से लेकर अन्य कार्य करने में दिक्कत हो रही है. उक्त नदी से पशु-पक्षी भी प्यास बुझाते थे. अब उन्हें पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है. पशुपालक भी काफी परेशान हैं. मानत नदी से सबानों, फतहा, खपिया, पगार, सडमा, डाड़ी एदला आदि गांव के किसान खेतों में टमाटर, भिंडी, करेला, कद्दू, मिर्च, धनिया, झींगी, परौर, कच्चू, पेक्ची, पालक साग, खीरा, ककड़ी, पत्ता गोभी, धनिया आदि फसल उपजाते हैं. नदी सूख जाने से खेती नहीं कर पा रहे हैं. नदी सूखने से हो रही है पटवन की समस्या: किसान डाड़ी गांव के किसान बासुदेव महतो, बैजनाथ महतो, भरत महतो, किशुन महतो, विष्णु देव महतो, ईश्वर दयाल महतो, जमुना गोप, एदला के किसान बंधु महतो, लालदेव महतो, देवकी महतो, बंधन महतो, फूलचंद महतो व खेमन महतो ने कहा कि मानत नदी के भरोसे फसल लगाये थे. लेकिन नदी सूख जाने से काफी नुकसान हुआ है.
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